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सेवानिवृत्त शिक्षिका ने पेश की मिसाल, उम्रभर की कमाई से बनाया पुस्तकालय

सेवानिवृत्त शिक्षिका सुनीला ने दस लाख से बनवाई लाइब्रेरी, जिस स्कूल में खुद पढ़ीं और अध्यापन किया वहां पुस्तकालय न होने का था दुख।

By BabitaEdited By: Published: Mon, 17 Sep 2018 01:18 PM (IST)Updated: Mon, 17 Sep 2018 01:18 PM (IST)
सेवानिवृत्त शिक्षिका ने पेश की मिसाल, उम्रभर की कमाई से बनाया पुस्तकालय
सेवानिवृत्त शिक्षिका ने पेश की मिसाल, उम्रभर की कमाई से बनाया पुस्तकालय

नाहन, राजन पुंडीर। आधुनिकता के इस दौर में जहां व्यक्ति को पड़ोस में रहने वाले तक का पता नहीं होता, वहीं कोई उम्रभर की कमाई का बड़ा हिस्सा सामाजिक सरोकार में लगा दे तो वह उच्च सम्मान का हकदार है। समाज के लिए मिसाल बनी हैं सिरमौर जिला के तहत पच्छाद विकास खंड के राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय सराहां से सेवानिवृत्त शास्त्री शिक्षिका सुनीला गच्छन। सेवानिवृत्ति पर मिली जीवनभर की पूंजी से सुनीला ने 10 लाख रुपये इसी स्कूल में पुस्तकालय बनाने पर खर्च कर दिए। सुनीला गच्छन एक गरीब परिवार में पली-बढ़ी होने के कारण शिक्षा के महत्व को अच्छी तरह जानती हैं।

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ग्रामीण क्षेत्र की छात्राओं के लिए पुस्तकालय का निर्माण कर उनके भविष्य की राह सुगम बना दी है। पुस्तकालय भवन पर करीब आठ लाख रुपये का खर्च आया है, जबकि दो लाख रुपये किताबों और फर्नीचर पर खर्च हुए। स्कूल प्रशासन और एसएमसी ने इस पुस्तकालय को सुनीला लाइब्रेरी का नाम दिया है। 22 सितंबर को राज्यस्तरीय श्रीवामन द्वादशी मेले के समापन अवसर पर मुख्य अतिथि से इस पुस्तकालय का लोकार्पण करवाना प्रस्तावित है।

 

29 वर्ष दी शिक्षा विभाग में सेवा

सुनीला ने बताया कि शास्त्री अध्यापक पद पर उनकी पहली नियुक्ति बोगधार के समीप भजोन स्कूल में 1984 में हुई। इस स्कूल में तीन वर्ष तक सेवा दी। उसके बाद 1987 में माध्यमिक स्कूल सराहां में तबादला

हुआ। वहां पर लगातार 26 वर्ष तक सेवा देकर फरवरी 2016 में सेवानिवृत्त हुईं। सराहां की ही रहने वालीं सुनीला ने 29 वर्ष तक शिक्षा विभाग में सेवा द लाइब्रेरी के नाम स्कूल में थी एक अलमारी सुनीला के अनुसार जिस स्कूल में वह पढ़ी और लंबे समय तक अध्यापन का कार्य किया वहां पुस्तकालय न होने पर दुख होता था। वह पुट्टा परती में साईं बाबा के आश्रम में जाया करती थीं। वहां एक विशाल लाइब्रेरी बनी हुई है, जिसे देखकर उन्हें प्रेरणा मिली कि वह भी अपने स्कूल की छात्राओं के लिए लाइब्रेरी का निर्माण करवाएंगी।

बताया कि वह राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय सराहां में लाइब्रेरी की भी प्रभारी थीं। स्कूल में एक अलमारी में ही कुछ किताबें थी। न ही पुस्तकालय के लिए भवन था। दुख होता था कि ग्रामीण क्षेत्र की छात्राएं कैसे प्रतियोगिताओं में भाग लेंगी।


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