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बार-बार बजट में कटौती से कैसे होंगे विकास कार्य

प्रदेश सरकार उनकी आवंटित राशि को बार-बार कम कर रही है जिससे उनके विकास कार्य प्रभावित हो रहे हैं। बीडीसी सदस्यों ने चेतावनी दी है कि यदि विकास कार्यो के लिए बजट नहीं बढ़ाया गया तो मजबूरन बीडीओ कार्यालय के आगे धरना देना पड़ेगा। यह बात वीरवार को यहां पत्रकार वार्ता करते हुए बीडीसी मजारा-मलूकपुर व सनोली क्षेत्र से सदस्य परमिदर कौर व सुनीता कुमारी ने कही।

By JagranEdited By: Published: Thu, 25 Nov 2021 10:18 PM (IST)Updated: Thu, 25 Nov 2021 10:18 PM (IST)
बार-बार बजट में कटौती से कैसे होंगे विकास कार्य
बार-बार बजट में कटौती से कैसे होंगे विकास कार्य

संवाद सहयोगी, संतोषगढ़ : प्रदेश सरकार उनकी आवंटित राशि को बार-बार कम कर रही है जिससे उनके विकास कार्य प्रभावित हो रहे हैं। बीडीसी सदस्यों ने चेतावनी दी है कि यदि विकास कार्यो के लिए बजट नहीं बढ़ाया गया तो मजबूरन बीडीओ कार्यालय के आगे धरना देना पड़ेगा। यह बात वीरवार को यहां पत्रकार वार्ता करते हुए बीडीसी मजारा-मलूकपुर व सनोली क्षेत्र से सदस्य परमिदर कौर व सुनीता कुमारी ने कही। उन्होंने कहा कि क्षेत्र की जनता ने उन्हें विकास कार्य करवाने के लिए चुना है। लेकिन विकास कार्यो के लिए जारी किए जानी वाले बजट में बार-बार कटौती से विकास कार्य किस तरह से हो पाएंगे।

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जुलाई में उन्हे बताया गया कि सरकार ने कुल एक करोड़ 88 लाख रुपये विकास कार्यो के लिए आवंटित किए हैं। उस हिसाब से हर सदस्य के क्षेत्र के विकास के लिए लगभग छह लाख सत्तर हजार आता है। इन पैसों में आपने कौन सा विकास कार्य करवाना है, उसका एस्टीमेट बीडीओ कार्यालय में बैठक में रखें। इसके बाद राशि के हिसाब से क्षेत्र के विकास कार्यो की सूची भी बना ली लेकिन जब सात दिन बाद बैठक हुई तो ऐसी जानकारी दी गई कि अब कुल राशि एक करोड़ 33 लाख 84 हजार है। अब हर सदस्य को विकास कार्य के लिए चार लाख सत्तर हजार रुपये आवंटित होंगे। उन्होंने कहा कि हैरत का विषय है कि छह लाख सत्तर हजार से बजट कम करके दो लाख 98 हजार रह गया है तो इसमें क्या विकास कार्य पूरे होंगे।

उन्होंने कहा कि जब भी तीन माह के बाद बैठक होती है तो उसमें पहुंचने वाले अधिकारी रटारटाया पाठ पढ़कर चले जाते हैं। यदि कोई सदस्य उनसे कोई सवाल पूछता है तो उनके पास कोई जवाब नहीं होता और सवाल को अगली बैठक तक टाल जाते हैं। अगली बैठक में अधिकारी बदले हुए होते हैं। जब उनके पास जनता के सवालों का जवाब ही नहीं है तो ऐसे अधिकारियों को बैठक में बुलाया ही क्यों जाता है।


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