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इंडियन टेक्नोमैक घोटाला: कंपनी सीज होने के बाद जलाए दस्तावेज

सीआइडी टीम के हाथ जांच के दौरान कुछ ऐसे सबूत लगे हैं, जिनसे साफ है कि घोटाले में आबकारी एवं कराधान, बिजली बोर्ड व बैंक के अधिकारी भी शामिल थे।

By BabitaEdited By: Published: Mon, 26 Mar 2018 03:04 PM (IST)Updated: Mon, 26 Mar 2018 03:04 PM (IST)
इंडियन टेक्नोमैक घोटाला:  कंपनी सीज होने के बाद जलाए दस्तावेज
इंडियन टेक्नोमैक घोटाला: कंपनी सीज होने के बाद जलाए दस्तावेज

नाहन, जेएनएन। हिमाचल प्रदेश में इंडियन टेक्नोमैक कंपनी के सबसे बड़े टैक्स चोरी घोटाले में जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ रही है, हर रोज नए खुलासे हो रहे हैं। सीआइडी द्वारा जांच शुरू करने के बाद अब करीब छह हजार करोड़ के कर-कर्ज महाघोटाले में आबकारी एवं कराधान विभाग व बिजली बोर्ड के एक 12 से अधिक अधिकारी भी सीआइडी की जांच की जद में हैं। 

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सूत्रों के अनुसार सीआइडी टीम के हाथ जांच के दौरान कुछ ऐसे सबूत लगे हैं, जिनसे साफ है कि घोटाले में आबकारी एवं कराधान, बिजली बोर्ड व बैंक के अधिकारी भी शामिल थे। कंपनी को सीज करने के बाद एक षड्यंऌत्र के तहत 2008 से 2014 तक के कई दस्तावेज जला दिए गए हैं। कंपनी परिसर में गहन जांच में सीआइडी के हाथ कुछ जले हुए बिलों के टुकडे लगे हैं, जिनके आधार पर जांच आगे बढ़ाई जा रही है। सीआइडी अब इन बिलों को उन कंपनियों से रिकवर करने की योजना बना रही है, जिन कंपनियों से कच्चा

माल खरीदा गया और जिन्हें बेचा गया।

आपबीती सुनाते हुए फूट-फूट कर रोया निदेशक विनय शर्मा  पांवटा साहिब में जब सीआइडी टीम एकमात्र गिरफ्तार कंपनी के निदेशक व पूर्व आइएएस अधिकारी के बेटे आरोपित विनय शर्मा से गहन पूछताछ कर रही थी, तो आरोपित फूट-फूट कर रोने लगा। आरोपित ऊना जिले का रहने वाला है। विनय शर्मा ने बताया कि वह कंपनी में केवल 20 हजार रुपये प्रतिमाह की नौकरी करता था, जिसे कई माह तक वेतन तक नहीं दिया गया और बाद में उसे डायरेक्टर बनाकर सभी काले कारनामों का ठीकरा उसके सिर फोड़ दिया गया। कम शिक्षित होने व भोलेपन की वजह से वह कंपनी से जुड़ा रहा। आखिर में कंपनी का असल मालिकराकेश शर्मा विदेश फरार होने के बाद वह इस मामले में फंस गया।

इंडियन टेक्नोमैक कंपनी के टैक्स चोरी व बिजली बोर्ड के पांच करोड़ के घोटाले में स्वयं पावंटा साहिब जाकर सीज कंपनी का जायजा लिया व आरोपी से भी गहन पूछताछ की जा रही है। सीआइडी टीम सभी पहलुओं को ध्यान में रखकर जांच कर रही है। टैक्स चोरी व पांच करोड़ के बिजली बिल में आबकारी एवं कराधान विभाग व बिजली बोर्ड के अधिकारियों की मिलीभगत से इनकार नहीं किया जा सकता है। मामले में जल्द ही कई और गिरफ्तारियां हो सकती हैं। 

विनोद कुमार धवन, डीआइजी सीआइडी।

ये होंगे जांच के पहलू

जांच अधिकारी यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि कंपनी प्रंबधन ने महाघोटाले को अंजाम देने के लिए कितने प्रतिशत फर्जी बिल जुटाए। कच्चे माल और तैयार माल की कितनी गाडिय़ां कब और कैसे बेरियरों से पास हुई। साथ ही देश के विभिन्न राज्यों में खोले गए कंपनी के दफ्तरों में तैनात कर्मियों की भी तलाश जारी है। आमतौर जो कारखाने तय समय तक बिजली बिल नहीं भरते हैं, उनकी बिजली सप्लाई काट दी जाती है। मगर इंडियन टेक्नोमैक कंपनी की बिजली पांच करोड़ रुपये का बिल पेंडिंग होने तक क्यों नहीं काटी गई। साथ ही समय पर आबकारी एवं कराधान विभाग के अधिकारियों ने टैक्स की रिकवरी क्यों नहीं की। सीआइडी टीम अब कंपनी के प्रबंध निदेशक राकेश कुमार शर्मा के परिवार की लोकेशन ट्रेस कर रही है, ताकि राकेश शर्मा को जल्द दबोचा जा सके। 

सीआइडी जांच में नपेंगे पुलिस व राजस्व अधिकारी

छह हजार करोड़ के कर-कर्ज महाघोटाले में सीआइडी जांच में और तेजी आई है। टेक्नोमैक कंपनी के कब्जे से केंद्रीय आबकारी और राज्य के आबकारी एवं कराधान विभाग के अधिकारियों की मुहरें बरामद हुई हैं। उन्हें सीआइडी ने सील कर दिया है। कई और कंपनियों के नाम के जाली कागजातों का भी पता चला है। जल्द ही सिरमौर पुलिस और राजस्व विभाग के कई अधिकारी भी नपेंगे। आरोप है कि पांवटा पुलिस में पूर्व में तैनात रहे अधिकारियों की मिलीभगत से कंपनी के कारखाने से निकला लोहे के कबाड़ चोरी होने के मामले में कोई एफआइआर नहीं हुई। वर्ष 2015 में तीन दिन तक लोहे और तांबे से भरा ट्रक थाने के बाहर खड़ा रहा, पर इसे चोरी करने वालों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की।

सीआइडी ने अब कारखाने के लिए किए तमाम सौदों की फिर से निशानदेही करवाने को कहा है। इस दौरान मौके का कब्जा भी देखा जाएगा। कंपनी को धारा 118 के तहत जमीन की इजाजत नहीं मिली थी। ऐसे में निदेशकों के माध्यम से भू मालिकों को एडवांस में पैसा दिए गए। बिना रजिस्ट्री के हुई इन डील में सरकार को राजस्व का मोटा चूना लगाया गया।

कंपनी तक कैसे पहुंची अधिकारियों की मुहरें

कंपनी के पास केंद्र और राज्य सरकार के विभाग के अफसरों की मुहरें कैसे पहुंची, इसकी जांच की जा रही है। फिलहाल इससे जुड़े रिकॉर्ड को सील कर दिया है। ये किन हालात में निजी कंपनी के पास पहुंची, यह अपने में बड़ा सवाल बना हुआ है।

कंपनी के कब्जे से कई मुहरें व अहम कागजात बरामद किए हैं। पूरे रिकॉर्ड को सील कर दिया है। कई कंपनियों के जाली होने के भी दस्तावेज मिले हैं। पूरे घोटाले में कई अधिकारी लपेटे में आ सकते हैं। 

फिलहाल जांच कार्य जारी है। 

-डॉ. विनोद धवन, डीआइजी, सीआइडी


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