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अब टॉफी का रेपर भी नहीं बिगाड़ेगा पर्यावरण

पर्यावरण विज्ञान एवं तकनीकी विभाग के अनुसार चिप्स टॉफी सहित अन्य प्लास्टिक पैकेज मेटिरियल से तैयार सड़क निर्माण सामग्री से शोघी के पास सात किलाीमीटर सड़क बनाई जाएगी।

By JagranEdited By: Published: Sun, 21 Apr 2019 10:44 PM (IST)Updated: Sun, 21 Apr 2019 10:44 PM (IST)
अब टॉफी का रेपर भी नहीं बिगाड़ेगा पर्यावरण
अब टॉफी का रेपर भी नहीं बिगाड़ेगा पर्यावरण

रविद्र शर्मा, शिमला

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अब किसी भी प्रकार का पॉलीथीन हमारी पृथ्वी को नुकसान नहीं पहुंचाएगा। पर्यावरण विभाग के केंद्रीय सड़क अनुसंधान संस्थान (सीआरआरआइ) ने टॉफी के रेपर तक को ठिकाने लगाने के लिए योजना तैयार की है। उसके बाद टॉफी और चिप्स के रेपर भी सड़क पर नजर नहीं आएंगे, बल्कि सड़कें बनाने के काम आएंगे। इससे पर्यावरण का संरक्षण तो होगा ही, जहां पानी की ज्यादा मार होती है वहां पर इससे बनने वाली सड़क भी ज्यादा समय तक टिकी रहेगी। सीआरआरआइ के साथ मिलकर राज्य पर्यावरण विभाग ऐसा रणनीति बना रहा है कि चिप्स, टॉफी, बिस्कुट, दूध, टेट्रा पैक के रेपर सड़क बनाने में इस्तेमाल होंगे। इस बारे में लोक निर्माण विभाग के इंजीनियरों को प्रशिक्षण देना भी शुरू कर दिया गया है।

अभी तक केवल 60 माइक्रोन तक के पॉलीथीन से सड़क बनाने की कवायद शुरू हुई थी, लेकिन वह भी बीच रास्ते में दम तोड़ गई। अब सीआरआरआइ ने शून्य माइक्रोन तक के पॉलीथीन को सड़क के निर्माण में प्रयोग करने का दावा किया है। ऐसे में प्रदेश में इस विधि से सड़क बनाने की दोबारा से कवायद तेज हो गई है। जो सड़क के लायक नहीं, वह सीमेंट प्लांट में जाएगा

इस प्रक्रिया के इस दौरान तेल या अन्य चिकनाई वाले पदार्थ की पैकेजिग वाले पॉलीथीन या प्लास्टिक से रस्सी बना उनके बॉल बनाने के बाद उसे सीमेंट प्लांट में भेजा जाएगा। वहां पर इसे इंधन के रूप में इस्तेमाल किया जाएगा। सड़क निर्माण में प्रयोग किए जाने वाले पॉलीथीन और प्लास्टिक के एकत्रीकरण के लिए प्रदेश में 14 स्थानों का चयन किया गया है। मंडी, कुल्लू, धर्मशाला, जोगेंद्रनगर, नूरपुर, चंबा, हमीरपुर, बिलासपुर, ऊना, सोलन, नाहन, निरमंड, ठियोग और रोहडू में पॉलीथीन व प्लास्टिक एकत्र किया जाएगा।

शोघी के पास बनेगी सड़क

पर्यावरण विज्ञान एवं तकनीकी विभाग के अनुसार चिप्स, टॉफी सहित अन्य पॉलीथीन पैकेज के मैटिरियल से तैयार सड़क निर्माण सामग्री से शोघी के पास सात किलोमीटर सड़क बनाई जाएगी। इसके लिए शिमला से ही छह टन के करीब प्लास्टिक वेस्ट एकत्र कर लिया गया है। प्रदेश के अन्य जिलों में प्लास्टिक एकत्रित किया गया है। इससे पहले 2009 से 2015 तक 60 माइक्रोन पॉलीथीन से प्रदेश में 175.018 किलोमीटर सड़क का निर्माण किया गया है। इसमें शिमला जोन में 53.450 किलोमीटर, मंडी जोन में 45.582, हमीरपुर जोन 26.921 और कांगड़ा में 49.065 किलोमीटर सड़कें बनाई गई थी।

अब जीरो माइक्रोन के पॉलीथीन से भी सड़क बनाने के लिए प्रयोग कर सकेंगे। सीआरआरआइ के साथ मिलकर इस पर काम शुरू हो गया है। ट्रायल के तौर पर शोघी के पास जल्छ ही जीरो माइक्रोन तक के पॉलीथीन से सड़क बनाई जाएगी। ट्रायल सफल रहने के बाद प्रदेश की अन्य सड़कों का निर्माण भी इससे करवाया जाएगा।

-डॉ. डीसी राणा, निदेशक, पर्यावरण विज्ञान प्रौद्योगिकी हमारा लक्ष्य प्लास्टिक व पॉलीथीन से पूरी तरह से मुक्ति पाना है। इसके लिए प्लास्टिक वेस्ट को एकत्र करने के लिए प्रदेश में 14 स्थानों का चयन किया गया है। इन स्थलों पर प्लास्टिक व पॉलीथीन को एकत्र कर इसे सड़कें बनाने में प्रयोग किया जाएगा।

-डॉ. सुरेश अत्री, प्रधान वैज्ञानिक पर्यावरण, राज्य सरकार


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