सरकार से शहर के जंगल वापस लेने की फिर कसरत
राज्य सरकार से जंगल वापस लेने के लिए नगर निगम प्रशासन ने फिर से कसरत तेज कर दी है।
जागरण संवाददाता, शिमला : राज्य सरकार से जंगल वापस लेने के लिए नगर निगम प्रशासन ने फिर से कसरत शुरू कर दी है। इसकी स्वीकृति के लिए नगर निगम ने सरकार के पास प्रस्ताव भेजा था, लेकिन कैबिनेट से इस प्रस्ताव को वन विभाग के कमेंट के लिए भेज दिया था। जनवरी के बाद से अभी तक यह फाइल विभाग के पास ही पेंडिग पड़ी है। इससे निगम की वन क्षेत्र को वापस लेने की मुहिम को झटका लगा है। अब निगम की मेयर सत्या कौंडल ने वन विभाग को पत्र लिख शीघ्र ही कमेंट सरकार को भेजने के लिए कहा है। मेयर का तर्क है कि शहर में इतने पेड़ गिरे पड़े हैं कि उन्हें उठाने की कोई जहमत नहीं उठा रहा है।
राजधानी में लोगों के घरों के लिए पेड़ खतरा बने हैं। निगम अपने स्तर पर इन पेड़ों को काटने की मंजूरी नहीं दे सकता है। निगम की ट्री कमेटी की ओर से घरों के लिए खतरा बने पेड़ों का निरीक्षण तो किया जाता है, लेकिन पेड़ों को काटने की मंजूरी में लंबा समय लग जाता है। इस प्रक्रिया को निगम के तहत वन क्षेत्र लाने के बाद आसान किया जा सकता है। मेयर सत्या कौंडल ने बताया कि जल्द ही कमेंट भेजने के लिए वन विभाग को पत्र लिखा है। खतरा बने 130 पेड़ों को काटने के लिए आए हैं आवेदन
शहर में घरों के लिए 130 से ज्यादा पेड़ खतरा बने हुए हैं। इन पेड़ों को निरीक्षण के लिए मेयर की अध्यक्षता में सदस्यों ने हर वार्ड का दौरा किया। कुछ वार्डो का काम बचा है, इसे किया जा रहा है। इस दौरान पाया कि शहर के जंगलों में कई पेड़ गिरे हैं, लेकिन उन्हें उठाने की जहमत तक नहीं उठाई जा रही है। निगम के तहत यह क्षेत्र होगा तो इस इमारती लकड़ी का बेहतर इस्तेमाल किया जा सकता है। पहले कई साल तक निगम के पास रहा है वन क्षेत्र
नगर निगम का वन क्षेत्र पहले कई साल तक निगम के पास रहा है। निगम के पास वन विभाग के अधिकारी और कर्मचारी भी होते थे। वन क्षेत्र में से कुछ हिस्सा तो ऐसा है, जिसे नगर निगम ने खुद खरीद रखा है। इसके बावजूद अब निगम का मालिकाना हक हरित पट्टी पर नहीं है।