सावधान, पानी नहीं बीमारी खरीद रहे आप
हर व्यक्ति जब पानी पीने लगता है तो उसके मन मे ये बात आती है कि नलके के पानी से ज्यादा सुरक्षित बोतल बंद पानी है।
यादवेन्द्र शर्मा, शिमला
अधिकतर लोग यह सोचते हैं कि बोतलबंद पानी साफ व बेहतर होता है। लेकिन ऐसा नहीं है। बोतलबंद पानी को लेकर न्यूयार्क की स्टेट यूनिवर्सिटी के शोध में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। इसके आधार पर बोतलबंद पानी जब तक किसी व्यक्ति तक पहुंचता है तब तक वह पीने लायक नहीं रहता है। उसमें प्लास्टिक के कण होने के साथ कई तरह के रसायन शामिल होते हैं जो स्वास्थ्य के लिए बहुत घातक हैं।
बोतलबंद पानी की गुणवत्ता का कोई पता नहीं होता है। लोग जिस बोतलबंद पानी को सुरक्षित मानकर पैसे देकर खरीद रहे हैं, वो उन्हें बीमार कर रहा है। बोतलबंद पानी की पैकिंग स्वास्थ्य के लिए कितनी सुरक्षित है, इसकी जांच की कोई व्यवस्था नहीं है। शोधकर्ताओं ने भारत के अलावा अमेरिका, चीन, ब्राजील, इंडोनेशिया, थाईलैंड, मैक्सिको, केन्या व लेबनान के बोतलबंद पानी के नमूनों की जांच की। शोधकर्ताओं का मानना है कि बोतलबंद पानी में प्रदूषण पैकिंग के दौरान पनपता है। सामान्य पानी को उबाल कर इस्तेमाल करने से उसमें जो भी कीटाणु या वायरस होते हैं, वे नष्ट हो जाते हैं। लेकिन बोतलबंद पानी में प्लास्टिक के जो घातक कण होते हैं, उनका कोई हल नहीं है। बोतलबंद पानी की प्लास्टिक की बोतलें व पाउच पर्यावरण को प्रदूषित करते हैं। यह प्लास्टिक कई दशक तक नहीं गलता है। अधिक तापमान से पानी में घुलते हैं प्लास्टिक के कण
प्लास्टिक की बोतल में बंद पानी की बोतलें जब कंपनियों से निकाल कर दुकानों व गोदामों में जाने के लिए ट्रकों में लोड होती हैं तो उस समय बाहर का तापमान अगर 35 से 40 डिग्री सेल्सियस है तो ट्रक के अंदर का तापमान 50 से 60 डिग्री सेल्सियस होता है। उस दौरान कई केमिकल से बनी प्लास्टिक की बोतलों में केमिकल मिलना शुरू हो जाता है। यह केमिकल पानी में मिल जाता है। इसके अलावा पानी में प्लास्टिक के कण घुल जाते हैं। इससे पानी प्रदूषित हो जाता है। पानी की जांच की तो व्यवस्था की जाती है लेकिन जिन बोतलों, प्लास्टिक की थैलियों या कप में पानी भरा जाता है, उनकी जांच की कोई व्यवस्था नहीं है। हिमाचल सहित कई राज्यों में इनकी जांच के लिए उपकरण नहीं हैं। सेहत के लिए रसायन हानिकारक
देश के अधिकांश राज्यों में कंपनियां पानी की बोतलों के लिए पीवीसी पाइपों में प्रयोग होने वाले प्लास्टिक और बीपीए पॉलीकार्बोनेट प्लास्टिक व बिसफेनोल नामक रसायनों का प्रयोग करती हैं। ये रसायन सेहत के लिए बहुत हानिकारक होते हैं। गुणवत्ता जांचने की नहीं व्यवस्था
बोतलबंद पानी को लेकर शिकायत आने पर सैंपल लेकर जांच की जाती है। सैंपल सही न पाए जाने पर नियमों के अनुसार कार्रवाई होती है। लोगों को चाहिए कि ऐसी बोतलों को इस्तेमाल के बाद नष्ट कर या छेद कर फेंका जाए जिससे उसका दुरुपयोग न हो सके। पानी की बोतलों की गुणवत्ता जांचने के लिए कोई व्यवस्था नहीं है।
-नरेश कुमार लट्ठ, निदेशक, स्वास्थ्य सुरक्षा विनियमन निदेशालय