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वीरभद्र झूठे, विरोध करना उनकी आदत: सुक्खू

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने 2017 के विधानसभा चुनाव में वीरभद्र सिंह के हाथ में कमान दी थी और उन्हें मुख्यमंत्री पद का चेहरा भी घोषित कर दिया था।

By BabitaEdited By: Published: Wed, 21 Feb 2018 03:40 PM (IST)Updated: Wed, 21 Feb 2018 03:41 PM (IST)
वीरभद्र झूठे, विरोध करना उनकी आदत: सुक्खू
वीरभद्र झूठे, विरोध करना उनकी आदत: सुक्खू

शिमला, राज्य ब्यूरो। कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष सुखविंदर सुक्खू ने पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के बयान पर पलटवार किया है। उन्होंने कहा कि हिमाचल में कांग्रेस वीरभद्र सिंह के कारण हारी है न  कि संगठन के कारण। वीरभद्र झूठे और विरोधी हैं। विरोध करना उनकी आदत है। 

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सुक्खू ने यहां जारी बयान में कहा कि इतिहास बन गया है जब-जब वीरभद्र सिंह मुख्यमंत्री रहे और उनके नेतृत्व में दोबारा चुनाव हुए, कांग्रेस को हार का ही मुंह देखना पड़ा। वीरभद्र सिंह छह बार मुख्यमंत्री रहे पर कांग्रेस सरकार को रिपीट नहीं करवा सके। वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में 56 टिकट वीरभद्र की मर्जी से बांटी गईं जबकि जीत मात्र 15 पर मिली। संगठन के कोटे में सिर्फ 12 टिकट मिले और उसमें से छह उम्मीदवार जीतकर विधायक बने। इन सीटों पर कांग्रेस 30 साल से हार रही थी। 

 

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने 2017 के विधानसभा चुनाव में वीरभद्र सिंह के हाथ में कमान दी थी और उन्हें मुख्यमंत्री पद का चेहरा भी घोषित कर दिया था। इसके बावजूद कांग्रेस दोबारा सरकार क्यों नहीं बना पाई? वीरभद्र बीते 35-40 साल से विरोध की ही राजनीति करते आ रहे हैं चाहे वह विरोध ठाकुर रामलाल का हो, पंडित सुखराम का, विद्या स्टोक्स का, आनंद शर्मा, कौल सिंह ठाकुर, नारायण चंद पराशर का या मेरा। वीरभद्र ने कभी यह अध्ययन नहीं किया कि 1998 में भाजपा सत्ता में कैसे आई।

उन्होंने हमेशा सत्ता में रहकर राजनीति की। उनकी पूरी राजनीति कांग्रेस में रहकर खुद को मजबूत करने की रही है। शिमला नगर निगम चुनाव में शिमला ग्रामीण के तीनों वार्डों में कांग्रेस को हार का मुंह देखना पड़ा। सुक्खू ने दावा किया कि अब लोकसभा चुनाव में कांग्रेस चारों सीटों पर न केवल भाजपा को कड़ी टक्कर देगी बल्कि जीत भी दर्ज करेगी। इसके लिए वीरभद्र सिंह को भी बयानबाजी से बचकर संगठन के साथ मिलकर चुनाव मैदान में उतरना होगा।

सुक्खू ने दावा किया कि प्रदेश में कांग्रेस अध्यक्ष रहते उन्होंने पार्टी को मजबूत किया है। पिछले विधानसभा चुनाव में वीरभद्र के अहम के कारण ही कैबिनेट मंत्री अनिल शर्मा, एसोसिएट विधायकबलवीर वर्मा, पूर्व मंत्री मेजर विजय सिंह मानकोटिया व पूर्व मेयर मधु सूद आदि ने कांग्रेस छोड़ी। कांग्रेस कार्यकर्ता सरकार की कार्यप्रणाली से दुखी होने के बावजूद पार्टी छोड़कर नहीं गए।

वीरभद्र सिंह से पूछे ये सवाल

-कांग्रेस कार्यक्रमों में आप पार्टी प्रदेशाध्यक्ष की आलोचना करते हैं जबकि भाजपा के सीएम की तारीफ। यह कहां का न्याय है?

-हर चुनाव सीएम रहते आपकी अध्यक्षता में हुआ। गवर्नेंस चुनाव में बड़ा मुद्दा रहती है। सरकार के काम पर वोट पड़ता है तो फिर संगठन को दोष क्यों?

-किसी एक व्यक्ति पर हार का ठीकरा फोडऩा ठीक नहीं है।

-क्या गुडिय़ा प्रकरण व होशियार सिंह हत्याकांड ने सरकार की साख पर बट्टा नहीं लगाया। क्या इसका नुकसान कांग्रेस को चुनाव में नहीं हुआ?

-राहुल गांधी की मंडी रैली में आया राम-गया राम कहकर पूर्व केंद्रीय मंत्री सुखराम की बेइज्जती की गई। इस कारण वह और उनके बेटे कांग्रेस छोड़कर गए।

-पूर्व मंत्री कौल सिंह को भी उचित मान सम्मान नहीं दिया। क्या इससे मंडी की सभी दस सीटें नहीं हारी?

-कांग्रेस सरकार की छवि जनता के दिल में जनहितैषी बनाने में कामयाब क्यों नहीं हुए। भाजपा आपके सत्ता में रहते हुए हिमाचल में सत्तासीन कैसे हुई?

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