रिपन में गंभीर मरीजों को नहीं सताएगी वेंटिलेटर की कमी
शहर के क्षेत्रीय अस्पताल रिपन में गंभीर मरीजों के लिए वेंटिलेटर्स की कमी अब नहीं सताएगी।
जागरण संवाददाता, शिमला : शहर के क्षेत्रीय अस्पताल रिपन में गंभीर मरीजों के लिए वेंटिलेटर्स की कमी नहीं सताएगी। इसके लिए अस्पताल प्रशासन ने 50 वेंटिलेटर की खरीद के लिए सरकार से स्वीकृति मांगी है। अस्पताल प्रशासन ने कोरोना की संभावित तीसरी लहर के लिए तैयारी शुरू कर दी है। मौजूदा समय में अस्पताल में बैडिग के साथ 19 वेंटिलेटर स्थापित किए हैं। वहीं नए आने वाले 50 वेंटिलेटर भी स्थापित किए जाने हैं। इसमें अडल्ट और चाइल्ड वेंटिलेटर शामिल होंगे।
वेंटिलेटर चलाने के लिए रिपन के डाक्टरों को आइजीएमसी अस्पताल में प्रशिक्षण दिया जा रहा है। ये वेंटिलेटर कोरोना मरीजों के अलावा विभिन्न बीमारियों से ग्रसित मरीजों के इलाज में इस्तेमाल किए जाएंगे। अस्पताल में पहली बार वेंटिलेटर की सुविधा दी जा रही है, इससे पहले मरीज को वेंटिलेटर की जरूरत होने पर आइजीएमसी शिफ्ट किया जाता था।
अस्पताल के एमएस डा. रविद्र मोक्टा का कहना है कि अभी तक सांस की दिक्कत वाले गंभीर मरीजों को वेंटिलेटर की जरूरत पड़ने पर आइजीएमसी शिफ्ट करना पड़ता था, ऐसे में मरीज का समय बर्बाद होता था। अब यह सुविधा रिपन में शुरू होने से मरीजों को समय पर वेंटिलेटर की सुविधा मिलेगी और समय बचेगा। कोरोना की संभावित तीसरी लहर को ध्यान में रखते हुए तैयारियां की जा रही हैं। ऐसे काम करते हैं वेंटिलेटर
फेफड़े जब काम करना बंद कर दें तब शरीर को आक्सीजन नहीं मिल पाती है और न ही शरीर के अंदर मौजूद कार्बन डाईआक्साइड बाहर निकल पाती है। साथ ही फेफड़ों में लिक्विड भर जाता है। ऐसे में कुछ ही देर में हृदय भी काम करना बंद कर देता है और मरीज की मौत होने की आशंका बढ़ जाती है। वेंटिलेटर के जरिए शरीर में आक्सीजन पहुंचाई जाती है। यह आक्सीजन फेफड़ों में वहां पहुंचती है जहां बीमारी के कारण तरल भर चुका होता है। वेंटिलेटर सांस की नली और फेफड़ों की कोशिकाओं के बीच कुछ इस तरह से दबाव बनाते हैं कि शरीर में ज्यादा से ज्यादा आक्सीजन पहुंच सके। जैसे ही सही प्रेशर बनता है शरीर से कार्बन डाईआक्साइड निकलने लगती है और इसकी मदद से इंसान सांस लेने लगता है।