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मनी लॉंड्रिंग में संलिप्त पाए गए केसीसी बैंक के दो अधिकारी

केंद्रीय कांगड़ा सहकारी बैंक समिति(केसीसी)के दो अधिकारियों की मनी लॉन्ड्रिंग में संलिप्तता सामने आई है। सूत्रों के अनुसार बैंक अधिकारी खातेधारकों के गाढ़े खून पसीने की कमाई को प्रोपर्टी डीलर को कर्जे के तौर पर देते थे। इस कर्जे का पैसा बेनामी संपत्तियों में निवेश करवाते थे। सूत्रों के अनुसार इसका खुलासा विजिलेंस जांच में हुआ है। जांच एजेंसी को आरोपितों के कब्जे से बेनामी भू सौदों की डेढ़ सौ रजिस्ट्रियां भी बरामद हुई है। इससे इस आशंका को भी बल मिला कि पर्दे के पीछे यही अफसर फर्जीवाड़े का असल खेल रहे थे। आरोप है कि वे महिला को धड़ाधड़ कर्जा स्वीकृत करवा देते थे। वह इसे संपत्तियों में निवेश करती थी। इसमें आरोपितों का हिस्सा होने के भी गंभीर आरोप हैं। करोड़ों रूपये के फजीवाड़े की बैंक प्रबंधन से शिकायत की। बावजूद इसके प्रबंधन की ओर से विजिलेंस में एफआइआर दर्ज नहीं करवाई।

By JagranEdited By: Published: Mon, 05 Aug 2019 06:30 PM (IST)Updated: Mon, 05 Aug 2019 06:30 PM (IST)
मनी लॉंड्रिंग में संलिप्त पाए गए  केसीसी बैंक के दो अधिकारी
मनी लॉंड्रिंग में संलिप्त पाए गए केसीसी बैंक के दो अधिकारी

रमेश सिंगटा, शिमला

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कांगड़ा केंद्रीय सहकारी (केसीसी) बैंक के दो अधिकारियों की मनी लॉंड्रिंग में संलिप्तता सामने आई है। सूत्रों के अनुसार ये अधिकारी खातेधारकों की कमाई को प्रॉपर्टी डीलर को कर्ज के तौर पर देते थे। इस कर्ज का पैसा बेनामी संपत्तियों में निवेश करवाते थे। यह खुलासा विजिलेंस जांच में हुआ है।

जांच एजेंसी को आरोपितों के कब्जे से बेनामी भू सौदों की 150 रजिस्ट्रियां भी बरामद हुई हैं। इससे इस आशंका को बल मिला है कि पर्दे के पीछे फर्जीवाड़े का असल खेल यही अधिकारी खेल रहे थे। आरोप है कि वे एक महिला को धड़ाधड़ कर्ज स्वीकृत करवा देते थे। वह इसे संपत्तियों में निवेश करती थी। इसमें आरोपितों का हिस्सा होने के भी गंभीर आरोप हैं। करोड़ों रुपये के फजीवाड़े की बैंक प्रबंधन से शिकायत की गई थी। यह शिकायत ऊना के ही एक व्यक्ति ने की है। इसके बावजूद प्रबंधन की ओर से विजिलेंस में एफआइआर दर्ज नहीं करवाई गई। ऊना में कार्यरत बैंक अधिकारियों ने बार-बार कर्ज स्वीकृत किया। चार करोड़ से ज्यादा का कर्ज आवंटित किया। लेकिन डेढ़ करोड़ रुपये फंस गया। इस राशि को वापस नहीं लौटाया गया तो इसे नॉन परफार्मिग असेट (एनपीए) घोषित कर दिया। इसमें भी प्रॉपर्टी डीलर के साथ मिलीभगत होने के आरोप हैं। एनपीए जानबूझकर घोषित किया गया। बैंक प्रबंधन ने आरोपित वरिष्ठ शाखा प्रबंधक कमलदेव भोगल को ही टर्मिनेट किया है। आरोपित महाप्रबंधक अशोक पुरी पर कड़ी कार्रवाई नहीं की गई है। उन्हें सस्पेंड नहीं किया गया है।

फर्जीवाड़े की विजिलेंस जांच कर रही है। इस संबंध में दो एफआइआर दर्ज की गई थीं। सभी पहलुओं को जांचा जाएगा। इसके बाद ही चार्जशीट तैयार होगी।

अरुण कुमार, एसपी विजिलेंस, धर्मशाला

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