हिमाचल में पहले संस्कृत विवि के लिए बनी दो कमेटियां
प्रदेश में पहला संस्कृत विश्विद्यालय के लिए दो कमेटियों को गठन किया गया है। इसे लेकर बुधवार को शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज की अध्यक्षता में शिक्षा विभाग की आलाधिकारियों की बैठक हुई। इस बैठक में एक समिति का गठन संस्कृत विश्विद्यालय के लिए भूमि चयन के लिए किया गया है और दूसरी शोध तथा शैक्षणिक पहलुओं के लिए एक शैक्षणिक समिति गठित की गई है।
राज्य ब्यूरो, शिमला : हिमाचल में पहला संस्कृत विश्वविद्यालय स्थापित करने के लिए दो कमेटियों का गठन किया गया है। इस संबंध में बुधवार को शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज की अध्यक्षता में शिक्षा विभाग की आला अधिकारियों की बैठक हुई। इसमें एक समिति का गठन संस्कृत विश्वविद्यालय की भूमि चयन के लिए किया गया। शोध तथा शैक्षणिक पहलुओं के लिए शैक्षणिक समिति गठित की गई है।
सुरेश भारद्वाज ने कहा कि प्रदेश सरकार राज्य में पहला संस्कृत विश्वविद्यालय स्थापित करने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। संस्कृत भाषा न केवल एक प्राचीन, शुद्ध व संपन्न भाषा है बल्कि भारत की संस्कृति, इतिहास व परंपराओं की परिचायक भी है। संस्कृत के विद्वानों ने समाज के कल्याण के साथ-साथ राष्ट्र निर्माण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। प्रदेश सरकार ने अपने ²ष्टिपत्र में संस्कृत विश्वविद्यालय स्थापित करने का संकल्प लिया था। इस दिशा में सभी हितधारकों को ध्यान में रखते हुए इस विषय पर विचार किया जा रहा है। विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए उचित स्थान की खोज की जाएगी जहां संस्कृत भाषा की प्रासंगिकता होगी। इसके अलावा दो कमेटियां विश्वविद्यालय के स्वरूप, प्रारूप तथा आर्थिक पक्ष पर विचार करेंगी। वहीं, प्रधान सचिव शिक्षा केके पंत ने कहा कि संस्कृत भाषा में हमारे देश की विभिन्न संस्कृतियां समाहित हैं। प्रदेश सरकार संस्कृत विश्वविद्यालय की स्थापना करने के लिए प्रयास कर रही है ताकि संस्कृत के विद्वानों, शोधकर्ताओं तथा छात्रों को प्रदेश में ही शिक्षण और पाठन के अवसर प्राप्त हों। इस दौरान निदेशक शिक्षा डॉ. अमरजीत शर्मा, केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. कुलदीप चंद अग्निहोत्री, हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय शिमला के कुलपति डॉ. सिकंदर कुमार और हिमाचल संस्कृत अकादमी के सचिव डॉ. भक्तवत्सल शर्मा उपस्थित थे।