रुपये नहीं इस मुकाम तक पहुंचना बड़ी बात
ठियोग के संधु वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला में गणित की अध्यापिका प्रीति कीमटा टीवी शो कौन बनेगा करोड़पति में पहुंच कर प्रदेश का नाम रोशन किया है।
सुनील ग्रोवर, ठियोग
ठियोग के संधु वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला में गणित की अध्यापिका प्रीति कीमटा ने टीवी शो कौन बनेगा करोड़पति की हॉट सीट पर पहुंच कर ठियोग और प्रदेश का नाम रोशन किया है। प्रीति कीमटा ने दैनिक जागरण से कौन बनेगा करोड़पति शो से जुड़े अनुभव साझा किए। कहा कि सदी के महानायक अमिताभ बच्चन के साथ इस शो का हिस्सा बनना उनके जीवन का कभी न भूलने वाला क्षण है। शो का प्रसारण सोमवार शाम को हुआ।
प्रीति के अनुसार ग्रामीण परिवेश से संबंध रखने वाली एक महिला के लिए इतने बड़े शो का हिस्सा बनना ही अपने आप में गौरव की बात है और इतने बड़े मुकाम पर पहुंच कर रुपये की अहमियत कम हो जाती है। प्रीति कहती हैं कि अमिताभ बच्चन के सामने होना घबराहट पैदा करता है, लेकिन अमिताभ ने उनसे इतनी आत्मीयता और अपनेपन से बात बढ़ाई कि वह अपनी घबराहट पर जीत पाने में कामयाब रहीं। शो के दौरान उन्होंने एक पहाड़ी नाटी गाई, ताकि देशभर की जनता हिमाचल प्रदेश की संस्कृति को जान सके। प्रीति प्रदेश की संस्कृति और रीति-रिवाजों को लेकर बहुत गंभीर हैं। मौका मिला तो टीवी के माध्यम से पहाड़ी लोगों के भोलेपन और ईमानदार स्वभाव को दुनिया के सामने लाने का प्रयास किया। प्रीति इस सफलता का श्रेय पति ओम प्रकाश कीमटा और पूरे परिवार को देती हैं, जिनकी हौंसला अफजाई के बाद ही वह इतने बड़े मंच पर पहुंच पाई। प्रीति के दो बच्चे हैं। सातवीं कक्षा में मोक्ष और पांचवीं कक्षा में बेटी सिद्धि पढ़ती है। दोनों शिमला में शिक्षा हासिल कर रहे हैं। प्रीति की प्रारंभिक शिक्षा सरकारी स्कूल और ग्रामीण परिवेश में हुई है और उनका मानना है कि सरकारी स्कूलों में पढ़े विद्यार्थी संसार के किसी भी मंच पर पहुंच सकते हैं और किसी को भी प्रभावित कर सकते हैं। कौन बनेगा करोड़पति शो का हिस्सा बनने के बाद उनके स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों में उत्साह का माहौल है।
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12 प्रश्नों का दिए उत्तर
प्रीति ने शो के 12वें प्रश्न तक बहुत शानदार प्रदर्शन किया, लेकिन 12 लाख पचास हजार के प्रश्न के उत्तर में दुविधा में थीं। जोड़ीदार की हेल्प भी उन्हें इस प्रश्न से पार नहीं करवा पाई तो उन्होंने बिना किसी परेशानी के छह लाख चालीस हजार की इनामी राशि से संतोष करने में भलाई समझी।