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गरीबी रेखा का सच: मर्जी के साथ फर्जी भी बीपीएल से बाहर

प्रदेश में अभी तक 19 पंचायतों ने खुद को गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले परिवारों से मुक्त घोषित कर दिया है।

By BabitaEdited By: Published: Mon, 23 Apr 2018 03:09 PM (IST)Updated: Mon, 23 Apr 2018 03:10 PM (IST)
गरीबी रेखा का सच: मर्जी के साथ फर्जी भी बीपीएल से बाहर
गरीबी रेखा का सच: मर्जी के साथ फर्जी भी बीपीएल से बाहर

शिमला, यादवेन्द्र शर्मा। गरीबी रेखा से नीचे के परिवारों के रिव्यू में मर्जी के साथ फर्जी लोग भी बीपीएल सूची से बाहर हो रहे हैं। प्रदेश सरकार को हजारों की तादाद में अमीरों के बीपीएल में चयनित होने की शिकायतें आई थीं। इस संबंध में नई सरकार ने आते ही 29 जनवरी, 2018 को बीपीएल सूची से अपात्रों को बाहर और पात्र परिवारों को शामिल करने के लिए अभियान शुरू किया और यह अब भी जारी है।

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प्रदेश की कुल 3226 पंचायतों में से 19 पंचायतों ने घोषित कर दिया है कि उनकी पंचायत में एक भी परिवार गरीबी रेखा से नीचे रहने वालों का नहीं है, इसलिए पंचायत को बीपीएलमुक्त करते हैं। यह अलग बात है कि हजारों अमीर फर्जी गरीब बन बीपीएल सूची में डटे हुए हैं। केंद्र सरकार की ओर से निर्धारित बीपीएल कोटे में हिमाचल के  लिए 282370 परिवार हैं और इनमें से वर्तमान में 2.77 लाख बीपीएल परिवार हैं यानी पांच लाख कम परिवार हैं। सरकार की ओर से बीपीएल परिवारों के रिव्यू के लिए निर्धारित प्रक्रिया के तहत ग्रामसभा के पूरे कोरम में ही बीपीएल परिवारों को हटाया और शामिल किया जा सकता है।

प्रदेश में अभी तक 19 पंचायतों ने खुद को गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले परिवारों से मुक्त घोषित कर दिया है। हमीरपुर में आठ जिनमें देई का नौण, बल्ह विहाल, टिहरा मझोग, सुल्तानी, मति टीहरा, नारा, पुतडियाल, पटलांदर, मंडी में चोलथरा, बैरि, बिंग, सोलन से सरली और जगतपुर शामिल हैं। इनकी संख्या और भी बढ़ सकती है। अभी पंचायतों में बीपीएल परिवारों के रिव्यू के लिए ग्रामसभा चल रही है।

-वीरेंद्र कंवर, ग्रामीण विकास एवं पंचायती राजमंत्री

बीपीएल में शामिल होने के लिए एक लाख आवेदन 

प्रदेश में 2.77 लाख लोग बीपीएल में शामिल हैं और एक लाख के करीब नए परिवारों ने आर्थिक स्थिति का हवाला देते हुए बीपीएल परिवारों की सूची में शामिल करने के लिए आवेदन किया है। इसके साथ आय का हलफनामा व अन्य दस्तावेज लगाए हैं।

सैकड़ों पंचायतों में अभी कोरम नहीं हुआ पूरा प्रदेश की सैकड़ों पंचायतों में बीपीएल सर्वे का रिव्यू नहीं किया जा सका है क्योंकि दो बार ग्रामसभा की बैठक बुलाने के बाद भी कोरम पूरा नहीं हुआ है। ऐसे में बीपीएल सर्वे लटका हुआ है। ग्रामसभा का जब तक कोरम पूरा नहीं होता तब तक ग्रामसभा न तो सूची में से किसी का नाम हटा

सकती है। बीपीएल सर्वे के लिए जनसंख्या और आर्थिक स्थिति को आधार रखा गया है। 

कैसे हो रहा ग्रामसभा में विचार

ग्रामसभा में अपात्र लोगों को लेकर कोई भी कुछ कहने के लिए तैयार नहीं है जबकि अधिकारियों को शिकायतें अवश्य की गई हैं। ज्यादातर शिकायतों में सीधे तौर पर कहा गया है कि अपात्र लोग शामिल हैं लेकिन किसी भी व्यक्ति के नाम का उल्लेख नहीं है। ग्रामसभा की बैठक में सबसे पहले बीपीएल सूची को पढ़ा जाता है और जिस नाम पर आपत्ति होती है उनके नाम पर चर्चा को कहा जाता है। ग्रामसभा जिसके नाम को शामिल करने के लिए कहती है उसे शामिल कर दिया जाता है।  

जुब्बल खंड की बाघी पंचायत में चार लोगों को हटाया

जुब्बल खंड के तहत बाघी पंचायत में रविवार को बीपीएल से अपात्र परिवारों को हटाने के लिए ग्रामसभा हुई। बैठक पंचायत प्रधान राजकुमार बिंटा की अध्यक्षता में हुई। बाघी पंचायत में 305 परिवार हैं और इनमें से 17 परिवार बीपीएल में शामिल हैं। रविवार को हुई बैठक में चार परिवारों के नाम बीपीएल सूची से हटा दिए गए जबकि चार नए नामों को शामिल करने के लिए अब 24 अप्रैल को ग्रामसभा की बैठक बुलाई है। बीते करीब

10 वर्ष से शामिल संजू पुत्र शुक्रू निवासी बाघी को बीते वर्ष प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 1 लाख 30 हजार की मदद मिलने के बाद हटाया है। इसके अलावा बैंशी लाल निवासी बाघी के परिवार के सदस्य के सरकारी नौकरी में होने पर बैठक में आपत्ति जताई गई और ग्रामसभा ने उसके नाम को हटा दिया। संदीप पुत्र आमी चंद जो कि कैंसर पीडि़त है, को दवाओं का लाभ मिलने पर हटा दिया गया। इसके अलावा संतलाल पुत्र मुंद्रू गांव बाघी का नाम

बीमारी के हालात को देखते हुए कई वर्षों से शामिल था लेकिन अब हटा दिया गया है।


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