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ट्रक ऑपरेटरों की हड़ताल में पीसे बागवान

जागरण संवाददाता, शिमला : ट्रक ऑपरेटरों की शुक्रवार से शुरू हुई हड़ताल ने जिला शिमला

By JagranEdited By: Published: Fri, 20 Jul 2018 09:44 PM (IST)Updated: Fri, 20 Jul 2018 09:44 PM (IST)
ट्रक ऑपरेटरों की हड़ताल में पीसे बागवान
ट्रक ऑपरेटरों की हड़ताल में पीसे बागवान

जागरण संवाददाता, शिमला : ट्रक ऑपरेटरों की शुक्रवार से शुरू हुई हड़ताल ने जिला शिमला में पहले ही दिन सेब कारोबार प्रभावित कर दिया है। ट्रकों में सेब लोड़ न होने के कारण 4.60 करोड़ का नुकसान आंका गया है। शिमला की भट्टाकुफर स्थित मंडी में प्रतिदिन 15 हजार सेब की पेटियां पहुंच रही थी। एक पेटी की औसत कीमत 2000 रुपये आंकी जा रही है जिसके बाद अकेले भट्टाकुफर फल मंडी में नुकसान का आंकड़ा तीन करोड़ को पार कर गया है। जबकि फल मंडी पराला में आठ हजार पेटियां पहुंच रही हैं। यहां पर भी एक करोड़ 60 लाख रुपये का नुकसान आंका जा रहा है। हड़ताल के चलते सेब तुड़ान को लेकर बागवान भी असमंजस में हैं, अगर सेब तोड़ कर मंडियों तक भेज देते हैं और कारोबारी सेब नहीं खरीदते हैं तो करोड़ों का नुकसान हो जाएगा। कारोबारी मंडी में पहुंच तो रहे हैं लेकिन सेब नहीं खरीद रहे हैं। शिमला मंडी में अन्य राज्यों के 20 ट्रांसपोर्टर आए हैं लेकिन हड़ताल के चलते ट्रांसपोर्टर भी दूसरे राज्यों में जाने से कतरा रहे हैं।

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भट्टाकुफर मंडी में माहौल शांत बना रहा। न तो अन्य दिनों की तरह चहल पहल दिखी और न ही व्यापारियों ने कोई रुचि दिखाई। हालांकि छोटी गाड़ियों में बागवान सेब लेकर पहुंचे थे लेकिन मंडी में सेब का कारोबाद बंद होने के कारण परेशान दिखे।

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नाशपाती को हो सकता है नुकसान

सेब की टाइडमैन वैरायटी और नाशपाती जल्द खराब हो जाती है। यदि तीन दिन तक ट्रक में पड़ा रहता है तो सड़ जाएगा। इस कारण बागवानों को नुकसान उठाना पड़ेगा।

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हड़ताल के कारण आढ़ती और ट्रांसपोर्टर डरे हुए हैं। माल नहीं उठा रहे हैं, एक दिन में करोड़ों का नुकसान हुआ है।

नाहर सिंह चौधरी, अध्यक्ष, फल मंडी ढली। ---------------

दो बजे के बाद नहीं हुई सेब की बिक्री

सुनील ग्रोवर, ठियोग

ट्रक ऑपरेटर यूनियन की हड़ताल का असर ऊपरी शिमला की सेब मंडियों में देखने को मिला जहा मंडियों तक तैयार फसल का लगभग औसतन आधा भाग ही पहुंच पाया। हड़ताल से जहा ट्रकों के पहियों की रफ्तार रुक गई वहीं बागवान को फसल मंडियों तक पहुंचाने के लिए ट्रक न मिलने के कारण मुश्किलों का सामना करना पड़ा। सबसे बड़ी सेब मंडी पराला के आढ़ती महेंद्र वर्मा के अनुसार जहा प्रतिदिन औसतन बारह से पंद्रह हजार पेटिया मंडी तक पहुंच रही थी वहीं शुक्रवार को पाच से छह हजार ही पेटियां पहुंची। सेब की खरीद-फरोख्त जहा शाम को छह बजे तक होती थी लेकिन आज शुक्रवार को दो बजे के बाद नहीं हुई।

आढ़ती भूप राम शर्मा के अनुसार आजकल मंडी में रॉयल सेब के दाम दो हजार से 2700 रुपये प्रति पेटी चल रहा है जोकि पिछले साल की तुलना में कम है। अनूप चौहान के अनुसार दाम में गिरावट से लोडर कम आने और मंडी में सही उठाव न होना है लेकिन अच्छी किस्म के सेब को आढ़ती ऊंची कीमत पर खरीदने में दिलचस्पी दिखा रहे हैं। शुक्रवार आठ बजे तक ठियोग के फागू और बलग के नैना सेब नियंत्रण कक्षों से सेब से लदे 73 ट्रक व 195 पिकअप अन्य राज्यों के लिए रवाना हुए। इन वाहनों में 35794 पेटी सेब लदा हुआ था जोकि पिछले साल की तुलना में कम है। फागू नियंत्रण कक्ष के प्रभारी सूरज नेगी के अनुसार सत्यापन के समय वाहन चालक का आधार और लाइसेंस की जाच की जाती है और वाहन की रजिस्ट्रेशन कॉपी और उसके इंजन नंबर और चैसी की जाच गहनता से होती है।


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