रोहड़ू में सीड बॉल से होगा वनों का विस्तार
रोहड़ू के छौहारा क्षेत्र में साई फाउंडेशन ने वन विभाग के साथ ह
जितेंद्र मेहता, रोहड़ू
रोहड़ू के छौहारा क्षेत्र में साई फाउंडेशन ने वन विभाग के साथ हरियाली बढ़ाने की मुहिम शुरू की है। इसके लिए सीधे पौधे रोपने की बजाय सीड बॉल फेंके जा रहे हैं। एक बॉल में कई बीज पौधों के होते हैं, जो प्राकृतिक तरीके से उगते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार इसकी सफलता 50 फीसद से अधिक है। पहाड़ी व दुर्गम क्षेत्रों में पौधारोपण कठिन है, ऐसे में यह तकनीक अपनाई गई है। 1500 से अधिक बॉल क्षेत्र में फेंकने का लक्ष्य है।
इसमें छुहारा वैली एप्पल सोसायटी नेचर ऊर्जा व रोहडू कनेक्शन की टीम भी सहयोग कर रही है। जापान के मासानोवो फेकू ओका संस्था की तर्ज पर ऐसा किया जा रहा है। छुहारा वैली एप्पल सोसायटी के 50 से अधिक सदस्य, स्वयं सहायता समूह की महिलाएं, साई फाउंडेशन के सदस्य और बागवान वन विभाग के साथ मिलकर वन क्षेत्र की खाली भूमि पर बीजों के बॉल फेंक रहे हैं।
छुहारा वैली एप्पल सोसायटी के प्रधान संजीव ठाकुर व सचिव हंसराज ने बताया है कि डीएफओ रोहडू शहनवाज अहमद भट्ट और डॉ. जगबीर दुल्टा, डॉ. नरेंद्र कायथ, बागवानी विभाग रोहडू के विषय विज्ञान विशेषज्ञ डॉ. समीर सिंह राणा के मार्गदर्शन व एनजीओ कारवां से अदिति पाटिल व रोहडू कनेक्शन से ललित मोहन ने तकनीकी रूप से सहयोग किया।
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स्वयं सहायता समूह की सदस्य बना रहीं सीड बॉल
सीड बॉल बनाने का जिम्मा स्वयं सहायता समूह की महिलाओं ने लिया हैं। एक टीम नडला गांव में बॉल बना रही है, जिसकी अध्यक्षता सुषमा शर्मा कर रही हैं। वहीं दूसरी टीम तहसील चिड़गांव के जगोटी गांव में डॉ. दिव्या के मार्गदर्शन में काम कर रही है। बॉल में कचनार व सिलवर ओक के बीज डाले जा रहे हैं। कचनार का पौधा बहुत जल्द भूमि में अपनी पकड़ बना लेता है। आयुर्वेद में कचनार की छाल को शरीर के किसी भी हिस्से में बनी गांठ को गलाने में इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावा, रक्त विकार व त्वचा रोग आदि में भी इसकी छाल बेहद लाभकारी है।
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इस तकनीक से पौधे उगने की सफलता दर 50 फीसद से भी अधिक है। कचनार के बीज से बहुत जल्दी पौधे उगते हैं।
-शहनवाज अहमद भट्ट, डीएफओ रोहड़ू।