Move to Jagran APP

अब जोड़ों की छोटी सी चोट भी नहीं छुपेगी

अब ऑपरेशन से पहले ही यह बता दिया जाएगा कि मरीज के कौन से जोड़ में कितनी चोटें आई हैं।

By BabitaEdited By: Published: Fri, 07 Sep 2018 10:21 AM (IST)Updated: Fri, 07 Sep 2018 10:21 AM (IST)
अब जोड़ों की छोटी सी चोट भी नहीं छुपेगी
अब जोड़ों की छोटी सी चोट भी नहीं छुपेगी

टांडा, तरसेम सैनी। शरीर के किसी भी हिस्से के जोड़ में आई छोटी सी चोट अब छुपी नहीं रहेगी। हड्डी रोग विशेषज्ञ को ऑपरेशन से पहले ही यह बता दिया जाएगा कि मरीज के कौन से जोड़ में कितनी चोटें आई हैं। इससे उन्हें ऑपरेशन के दौरान जटिलता का सामना नहीं करना पड़ेगा। यह संभव होगा एमआर ऑर्थोग्राम विधि से। डॉ. राजेंद्र प्रसाद मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल कांगड़ा (टांडा) के रेडियोडायग्नोसिस विभाग के विशेषज्ञ अब एमआर ऑर्थोग्राम विधि से मरीजों की जांच कर रहे हैं। इससे ऑर्थो विभाग के विशेषज्ञों को ऑपरेशन में सुविधा हो रही है। हिमाचल में सिर्फ टांडा में ही इस विधि से मरीजों की जांच हो रही है।

loksabha election banner

अभी आइजीएमसी में भी ऐसा संभव नहीं हो पाया है। हादसे या किसी अन्य कारण से किसी भी इन्सान के जोड़ों में चोट आती है या जोड़ की हड्डी टूट जाती है तो ऑर्थो विभाग  के विशेषज्ञ उसे एमआरआइ करवाने की सलाह देते हैं। इससे पता लगाया जाता है कि चोट कहां आई है। एमआरआइ में बड़ी चोट का पता लगाना ही संभव हो पाता है।

इसमें छोटी चोट या जोड़ के अंदरूनी हिस्से में हुए फ्रेक्चर का पता नहीं चल पाता था। जब हड्डी रोग विशेषज्ञ मरीज का ऑपरेशन करते हैं तो उन्हें अन्य चोटों का पता चलता था। इससे ऑपरेशन में दिक्कत होती थी। लेकिन एमआर ऑर्थोग्राम विधि से छोटी से छोटी चोट का भी पता लगाया जा सकता है। इससे हड्डी रोग विशेषज्ञों को मरीज का ऑपरेशन करने से पहले ही पता चल जाता है कि जोड़ में कितनी चोट है और कहां कहां फ्रेक्चर है। इससे उन्हें ऑपरेशन करने में आसानी होती है। टांडा मेडिकल कॉलेज में रेडियोडायग्नोसिस विभाग के विशेषज्ञ काफी समय से एमआर ऑर्थोग्राम विधि से जोड़ों में चोट के मरीजों की जांच कर रहे हैं। इससे अब मरीजों को पीजीआइ चंडीगढ़ के चक्कर लगाने से छुटकारा मिल गया है।

एमआर ऑर्थोग्राम विधि से जोड़ों में आई चोट का पता लगाने का लाभ मरीजों के साथ ऑर्थो विभाग के चिकित्सकों को भी मिलेगा। इस विधि से मरीजों की जांच करने के लिए रेडियोडायग्नोसिस विभाग के अध्यक्ष डॉ. दिनेश सूद, असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. लोकेश राणा व पूरी टीम को बधाई। टांडा मेडिकल कॉलेज के रेडियोडायग्नोसिस विभाग को सभी सुविधाओं से लैस करने की कोशिश की जा रही है। जल्द कुछ और मशीनें इस विभाग को उपलब्ध करवाई जाएंगी।

-विपिन परमार, स्वास्थ्य मंत्री।

केस स्टडी

जिला कांगड़ा के जोगीपुर निवासी 25 वर्षीय शम्मी का कंधा बार-बार खिसक जाता था। वह कई साल से इस रोग से परेशान था। बार-बार उपचार करवाने के बाद फिर वही समस्या आ जाती थी। रेडियोडायग्नोसिस विभाग के विशेषज्ञों ने एमआर ऑर्थोग्राम विधि से उसकी जांच की तो बीमारी की असली वजह का पता चला। अब उसका बेहतर इलाज हो पाएगा। रेडियोडायग्नोसिस विभाग में अब तक कुछ मरीजों की एमआर ऑर्थोग्राम विधि से जांच की जा चुकी है। 

क्या है एमआर ऑर्थोग्राम विधि

शरीर के किसी भी जोड़ में आई चोट का पता लगाने के लिए उस हिस्से में कंट्रास्ट इंजेक्ट किया जाता है यानी तरल पदार्थ डाला जाता है। इसके बाद एमआरआइ स्कैन किया जाता है। इससे छोटी से छोटी चोट का भी पता चल जाता है जिसे ऑर्थोस्कोपी यानी हड्डी रोग विशेषज्ञों द्वारा ऑपरेशन कर आसानी से ठीक किया जा सकता है। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.