मुख्य सचिव से एक रुपया ज्यादा वेतन चाहते हैं विधायक
हिमाचल प्रदेश विधानसभा के माननीय विधायक चाहते हैं कि उनको मुख्य सचिव से अधिक वेतन प्राप्त होना चाहिए। है।
शिमला, जेएनएन। 51,700 करोड़ रुपये के कर्ज तले डूबे हिमाचल प्रदेश के माननीयों के भत्तों में लाखों की बढ़ोतरी कर दी गई है। यहीं नहीं, विधायक तो चाहते हैं कि उनका वेतन मुख्य सचिव से ज्यादा होना चाहिए, चाहे यह एक रुपये ही अधिक हो। तर्क यह है कि प्रोटोकॉल के तहत हर विधायक मुख्य सचिव से ऊपर का दर्जा रखता है। इस समय मुख्य सचिव का मासिक वेतन 2.25 लाख रुपये मासिक है। मानसून सत्र के अंतिम दिन दोनों पक्ष एकमत थे कि विधायक का मासिक वेतन तर्कसंगत होना चाहिए। विपक्ष के नेताओं ने वेतन बढ़ाने के लिए उपयुक्त तर्क दिए। उनका कहना था कि प्रदेश में ऐसा संदेश दिया जा रहा है कि विधायकों पर खजाना लुटाया जा रहा है। एक बार विधायक बनने वाला व्यक्ति करोड़पति बन जाता है। यह गलत प्रचार हो रहा है।
इसके बाद विधानसभा में विधायकों, मंत्रियों व विधानसभा अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष का यात्रा भत्ता बढ़ाने से जुड़ा संशोधन विधेयक पारित कर दिया गया। अब हर विधायक एक साल के दौरान यात्रा पर चार लाख रुपये खर्च कर सकेगा। सरकार के मंत्री और विधानसभा अध्यक्ष व उपाध्यक्ष भी इस सुविधा का लाभ ले सकेंगे। पूर्व विधायक दो लाख रुपये यात्रा भत्ता ले सकेंगे। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के पेश विधेयक को दोनों पक्षों के सदस्यों ने सर्वसम्मति से पारित कर दिया। इससे पहले मामले पर चर्चा करते हुए माकपा विधायक राकेश ¨सघा ने कहा कि राज्य वित्तीय संकट से गुजर रहा है। ऐसे में भत्ते बढ़ाने की जरूरत नहीं थी।
उन्होंने कहा कि वह भत्ते बढ़ाने का विरोध करते हैं। कांग्रेस विधायक रामलाल ठाकुर ने कहा कि हमारा स्टेटस मुख्य सचिव से ऊपर रखा है मगर वेतन बहुत कम है। कायदे से वेतन भी मुख्य सचिव के अधिक मिलना चाहिए। उन्होंने बिहार की तर्ज पर विधायकों को वेतन देने का मामला उठाया। कांग्रेस विधायक हर्षवर्धन चौहान ने कहा कि जो यात्रा भत्ता दिया जा रहा है, वह सरकारी कर्मचारियों को मिलने वाले एलटीसी की तरह है। उन्हें मासिक 55 हजार रुपये वेतन मिलता है, मगर स्टेटस मुख्य सचिव से ऊपर रखा है।
संघर्ष कर बनते हैं विधायक : सुक्खू
कांग्रेस विधायक सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा कि विधायकों को सम्मानजनक वेतन मिलना चाहिए। विधायक बनने में कितना संघर्ष और खर्च करना पड़ता है, यह सभी को पता होना चाहिए। इसके लिए पूरा जीवन संघर्ष करना पड़ता है। विधायक का काम भी आसान नहीं है। अगर विधायक वेतन लेते हैं तो इसमें कोई गुनाह नहीं है। बड़े घरों से संबंधित अगर विधायक बनते हैं तो अलग बात है लेकिन आम घर से विधायक बनता है तो यह उसे ही पता होता है कि किन परिस्थितियों से जूझ कर वह इस पद तक पहुंचा है। विधानसभा में विधायकों के वेतन बढ़ाने का बिल तो पारित होना ही है क्योंकि उसमें अधिकतर पक्ष में होते हैं। विधायकों को मिलने वाली अन्य सुविधाओं में बढ़ोतरी होनी चाहिए। विधायकों के लिए गाड़ी की सुविधा भी मिलनी चाहिए। अभी यह बात उठाई जा रही है कि विधायकों का वेतन बढ़ाया गया है तो यह वेतन नहीं बल्कि यात्रा भत्ता है। अभी वेतन की स्थिति विधायकों का वेतन 55 हजार रुपये है। यदि उन्हें मुख्य सचिव से एक रुपया अधिक वेतन दिया जाता है तो यह 2.25 लाख व एक रुपया होगा। इसके साथ उन्हें इस समय मिल रहे 1.50 लाख के भत्ते मिलते रहेंगे। इसके अलावा उन्हें सालाना चार लाख रुपये यात्रा भत्ता भी मिलेगा।
यह है अंतर
- पद,वेतन,भत्ते,इनकम टैक्स
- मुख्य सचिव,2.25 लाख,टीए-डीए टुअर पर,कर चुकाते हैं
- विधायक,55 हजार,1.50 लाख,कर मुक्त
आप सरकार का मॉडल बेहतर : बिंदल
हिमाचल प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष डॉ. राजीव बिंदल ने विधायकों की सुविधा के लिए दिल्ली की आम आदमी पार्टी (आप) सरकार के मॉडल का अध्ययन करने की जरूरत जताई जो देश में बेहतर है। उन्होंने कहा कि आप सरकार ने विधायकों को पेशेवर तरीके से कार्य करने के लिए सुविधाएं मुहैया करवाई हैं। दिल्ली सरकार ने विधायकों को उनके विधानसभा क्षेत्रों में कार्यालय उपलब्ध करवाया है। वे तीन लाख रुपये महीना वेतन ले रहे हैं। ऐसी ही कुछ व्यवस्था हिमाचल में भी होनी चाहिए जहां विधायकों के वेतन में बढ़ोतरी की जरूरत है। बिंदल मंत्रियों, विधानसभा अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, विधायकों व पूर्व विधायकों के यात्रा भत्ते को ढाई लाख रुपये से चार लाख रुपये सालाना करने के लिए आयोजित चर्चा में हिस्सा ले रहे थे। दिल्ली सरकार ने विधायकों की सुविधा के लिए दो विधानसभा क्षेत्रों में एक शोधार्थी भी नियुक्त किया है।