निवेशकों को नहीं रहेगी बिजली को ग्रिड तक पहुंचाने की चिंता
हिमाचल में जलविद्युत क्षेत्र में निवेश नहीं हो रहा है।
राज्य ब्यूरो, शिमला : हिमाचल में जलविद्युत क्षेत्र में निवेश नहीं हो रहा है। सरकार सौर ऊर्जा की ओर कदम बढ़ा रही है। इस बीच विद्युत को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने के लिए सरकार ट्रांसमिशन लाइन बिछा रही है ताकि विद्युत उत्पादकों द्वारा किया जा रहा उत्पादन खपत वाले स्थानों तक पहुंचाया जा सके।
सरकार ऊर्जा क्षेत्र में निवेशकों को आकर्षित करने के लिए 105 करोड़ की लागत से ट्रासमिशन लाइन बनाएगी। इसके लिए अंतिम मंजूरी को लेकर एशियन डेवलपमेंट बैंक (एडीबी) को प्रस्ताव भेजा जाएगा। इस ट्रासमिशन लाइन के बन जाने से निवेशकों कों प्रोजेक्टों की बिजली को ग्रिड तक पहुंचाने के लिए किसी तरह की चिंता नहीं रहेगी। पावर प्रोजेक्ट स्थापित होने के बाद निवेशक बिना किसी देरी के उसे ग्रिड से कॉनेक्ट कर सकेंगे। इससे उनका समय बचेगा और निवेश करने का मकसद भी पूरा होगा। राज्य सरकार ट्रास तीन के तहत 105 करोड़ का प्रोजेक्ट मंजूरी के लिए एडीबी को भेजेगी। प्रदेश में निवेशक यूनिट स्थापित करने के बाद बिजली को ग्रिड से जोड़ने के लिए ट्रासमिशन लाइन न होने की वजह से बिजली को नहीं बेच पा रहे हैं। यूनिट स्थापित करने के साथ साथ उन्हें शीघ्र ट्रासमिशन लाइन की सुविधा मिल सके, इसके लिए सरकार ने प्रयास तेज कर दिए है। प्रदेश के जनजातीय जिला लाहुल स्पीति और चंबा में कई पावर प्रोजेक्ट प्रस्तावित हैं। प्रदेश में अभी तक 38 प्रतिशत ही बिजली का दोहन किया जा सका है। शेष 62 प्रतिशत बिजली के दोहन के लिए सरकार ने निवेशकों को प्रदेश में आमंत्रित किया है। सरकार निवेशकों को निवेश के लिए पूरी मदद देने को तैयार है। वहीं, उनके काम को आसान बनाने के लिए सरकार ट्रासमिशन लाइन बनाने पर जोर दे रही है ताकि उद्यमियों को निवेश के पूरे लाभ यहा मिल सकें। ट्रासमिशन लाइन बिछाने के लिए एडीबी प्रदेश को 228 करोड़ रुपये पहले भी जारी कर चुकी है। इसके तहत वर्ष 2011 में 113 करोड़ और वर्ष 2014 में 110 करोड़ का बजट दे चुकी है। अब सरकार एडीबी से 105 करोड़ का बजट और मागने जा रही है ताकि इस दिशा में काम तेजी से आगे बढ़ सके।
ट्रासमिशन लाइन बनाने के लिए 105 करोड़ रुपये का प्रस्ताव तैयार किया है। प्रस्ताव को फंडिंग के लिए एडीबी को भेजा जाएगा।
अनिल शर्मा, ऊर्जा मंत्री।