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ठियोग अस्पताल में दवाएं जलाने की हो उच्चस्तरीय जांच

सिविल अस्पताल प्रशासन द्वारा नागरिक आवासीय कालोनी छैई धाला के नजदीक दवाइयों को जलाने के मामले की विभिन्न स्वयंसेवी संस्थाओं और बुद्धिजीवियों द्वारा चौतरफा निदा की जा रही है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 20 Apr 2019 08:44 PM (IST)Updated: Sat, 20 Apr 2019 08:44 PM (IST)
ठियोग अस्पताल में दवाएं जलाने की हो उच्चस्तरीय जांच
ठियोग अस्पताल में दवाएं जलाने की हो उच्चस्तरीय जांच

सुनील ग्रोवर, ठियोग

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सिविल अस्पताल ठियोग के नागरिक आवासीय कॉलोनी छैई धाला के नजदीक दवाएं जलाने की विभिन्न स्वयंसेवी संस्थाओं और बुद्धिजीवियों ने निंदा की है। ठियोग व्यापार मंडल, स्वयंसेवी संस्था आस्था फाउंडेशन और ठियोग संघर्ष समिति ने इसकी उच्चस्तरीय जांच की मांग की है। आस्था फाउंडेशन के अध्यक्ष बीआर शर्मा ने कहा कि नियमानुसार एक्सपायर दवाओं को जलाने के लिए विभागीय प्रक्रिया का पालन किया जाना चाहिए था। अस्पताल प्रशासन सरकारी मतियाना स्थित ब्लॉक मेडिकल ऑफिस में दवाओं का स्टॉक होने के बावजूद अस्पताल परिसर में स्थित जन औषधि केंद्र से लाखों रुपये की दवाएं खरीदता है, जोकि सरासर गलत है। उन्होंने अस्पताल प्रशासन पर आरोप लगाया कि प्रशासन पैरासिटामोल और एनएस जैसी साधारण दवाएं जो सरकार द्वारा नि:शुल्क उपलब्ध होती हैं वह भी बाहर से खरीदी गई हैं। संस्था के अनुसार उसके पास अस्पताल में चल रही गड़बड़ी के पर्याप्त सुबूत हैं जो वह जांच एजेंसी को बताएंगे। बीआर शर्मा ने कहा कि यदि इस मामले की उच्चस्तरीय जांच नहीं होती है तो उच्च न्यायालय में जनहित याचिका लगाएंगे।

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दवाओं को इस तरह जलाना दुर्भाग्यपूर्ण है, जिसकी निदा करते हैं। लकड़ी के मकान में इस वजह से कोई बड़ा हादसा हो सकता था, जिसका कौन जिम्मेदार होता। यदि दवाएं एक्सपायर भी हो गई थी तब भी नियमानुसार उसे जलाया जाना चाहिए था।

-अजेय ठाकुर, अध्यक्ष व्यापार मंडल।

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आवासीय कॉलोनी में दवाएं जलाना उचित नहीं है। विभागीय प्रक्रिया के हिसाब से दवाओं को नष्ट किया जाना चाहिए था, लेकिन काफी समय तक दवाओं का जहरीला धुआं हवा में फैलता रहा, जोकि बहुत गंभीर विषय है।

-विनीत सूद, अध्यक्ष, स्वयंसेवी संस्था रिदम ब्वॉयज।

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सरकार यदि मरीजों की बेहतरी के लिए दवाएं उपलब्ध करवा रही है तो वह दवाएं उचित हाथों तक जरूर पहुंचनी चाहिए। यदि इस मामले में कोई कोताही बरती गई है तो यह बहुत गंभीर विषय है और इसकी जांच की जानी चाहिए।

-अजेय श्याम, जिला अध्यक्ष भाजपा महासू।

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अस्पताल प्रशासन द्वारा मरीजों की जान के साथ जानबूझ कर खिलवाड़ हो रहा है। अस्पताल प्रशासन अपनी निजी फायदे के लिए सरकारी तंत्र और जनता के धन की खुली लूट मचाए हुए है। अस्पताल में रोजाना 300 के आसपास मरीज अपना इलाज करवाने आते हैं, लेकिन इन तक मुफ्त दवाएं नहीं पहुंचाई जाती।

-सुशील शर्मा, उपाध्यक्ष आस्था फाउंडेशन।

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दवाओं को जलाने का मामला बहुत संवेदनशील है, जिसकी विभागीय जांच की जानी चाहिए। उपमंडल की 50 पंचायतों के मरीज अपना इलाज करवाने सिविल अस्पताल पहुंचते हैं, लेकिन उन्हें यह दवाएं न देकर उन्हें एक्सपायर होने के लिए छोड़ देना गलत बात है। यह जनता के रुपयों से खरीदी गई दवाएं हैं और प्रशासन सही मरीज तक यह दवाएं पहुंचाए यही उसकी नैतिक जिम्मेदारी है।

-कपिल भारद्वाज, सदस्य ठियोग संघर्ष समिति।

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सभी आरोप निराधार

प्रभारी सिविल अस्पताल ठियोग डॉ. दिलीप टेक्टा ने सभी आरोपों को नकारते हुए बताया कि जो दवाएं जलाई जा रही थीं वे एक्सपायर थीं और मरीजों को नहीं दी जा सकती थीं। इन दवाओं की सूची भी बनाई गई है। अस्पताल प्रशासन डॉक्टरों व स्टॉफ की सिफारिश पर ही इमरजेंसी में बाहर से वह दवाएं मंगवाता है, जो सप्लाई में नहीं आती हैं। अस्पताल में कुछ लोग डॉक्टरों व स्टॉफ को काम करने में बाधा पहुंचा रहे हैं और आए दिन यहां आकर वीडियोग्राफी की जाती है। इस बारे में कई शिकायतें एक महिला डॉक्टर व अन्य स्टॉफ ने उन्हें व सीएमओ को दी हैं। यहां तक कि महिलाओं के शौचालय की भी वीडियोग्राफी की जाती है। अस्पताल में भय व दबाव का माहौल बनाया जा रहा है।


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