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World Environment Day 2019: आपके घर के सामान से भी बढ़ रहा है प्रदूषण, जानिये कैसे

World Environment Day 2019 गांवों में मुकाबले शहर के घरों में अधिक सामान होने से भी वायु प्रदूषण का स्तर बढ़ रहा है।

By Babita kashyapEdited By: Published: Wed, 05 Jun 2019 09:17 AM (IST)Updated: Wed, 05 Jun 2019 09:59 AM (IST)
World Environment Day 2019: आपके घर के सामान से भी बढ़ रहा है प्रदूषण, जानिये कैसे
World Environment Day 2019: आपके घर के सामान से भी बढ़ रहा है प्रदूषण, जानिये कैसे

शिमला, यादवेंद्र शर्मा। World Environment Day 2019 यदि आप यह सोचकर खुश होते हैं कि आपने अपने छोटे से कमरे में काफी ज्यादा सामान रखा है तो आप गलत हैं। ऐसा करने से कमरे में वायु प्रदूषित होती है। उसी कमरे में कम से कम सामान होने पर वायु प्रदूषण का स्तर कम हो जाता है। यह बात प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा करवाए गए शोध में सामने आई है। इसलिए आप कमरे की हवा को सामान से न घोंटिए। शोध के अनुसार ग्रामीण क्षेत्रों की अपेक्षा शहरों में कमरों में अधिक सामान होने से वायु प्रदूषण बढ़ रहा है। हिमाचल के चार जिलों के सात शहरों में वायु सबसे अधिक प्रदूषित हैं। इनमें सोलन के नालागढ़, परवाणू व बद्दी, सिरमौर के पांवटा साहिब व काला अंब, मंडी का सुंदरनगर और कांगड़ा का डमटाल शामिल है। इन शहरों के साथ पूरे प्रदेश में वायु को शुद्ध करने के लिए मुख्य रूप से खुले स्थानों में पौधरोपण के साथ घर के हर कमरे में एक-एक पौधा रखने का प्रस्ताव है।

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आरएसपीएम बढ़ना पर्यावरण के लिए खतरा

हिमाचल में कुछ वर्षों में रिस्पायरेबल सस्पेंडिड पर्टिकुलेट मैटर (आरएसपीएम) निर्धारित मानकों की अपेक्षा बढ़ता जा रहा है जो पर्यावरण के लिए खतरे की घंटी है। इससे ओजोन लेयर का तेजी से विघटन हो रहा है। वातावरण में क्लोरोफ्लोरो कार्बन गैस के कारण ओजोन लेयर में कमी आ रही है। इस कारण जमा बर्फ पिघलने के साथ लोगों को चर्म रोगों का सामना करना पड़ रहा है।

 

रोक के बावजूद जलाया जा रहा कूड़ा-कचरा

वायु प्रदूषण रोकने को लिए सर्वोच्च न्यायालय ने कूड़ा-कचरा जलाने पर पाबंदी लगा रखी है। इसके बावजूद प्रदेश में कूड़ा-कचरा जलाया जा रहा है। वायु प्रदूषण से अम्लीय बारिश का खतरा बढ़ा है। बारिश के पानी में सल्फर डाईऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड जैसी जहरीली गैसों के घुलने की आशंका बढ़ी है। इससे फसलों, पेड़ों, भवनों तथा ऐतिहासिक इमारतों को नुकसान पहुंच सकता है। प्रदेश में हवा की गुणवत्ता की जांच लगातार की जाती है।

पर्यावरण संरक्षण अभियान

ईको क्लबों द्वारा पर्यावरण संरक्षण के तहत पौधे रोपने व उन्हें सहेजने, कैंपस की स्वच्छता और जैव विविधता के प्रति जागरूकता के कार्यक्रम संचालित किए जा रहे हैं। इनके माध्यम से पर्यावरण संरक्षण अभियान चलाया जा रहे हैं। इसके तहत रैलियों, वाद-विवाद प्रतियोगिताओं व चित्रकला प्रतियोगिता के माध्यम से लोगों को पर्यावरण के प्रति जागरूक किया जाता है।

हिमाचल में सांस व दमा के रोगियों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है। दमा रोग से पीड़ित पांच से 10 मरीज ओपीडी में रोजाना आते हैं। हालांकि इसके विभिन्न कारण हैं लेकिन वायु प्रदूषण भी इसमें प्रमुख है। वायु प्रदूषण से दमा रोगियों की समस्या बढ़ जाती है। 

-मलाया सरकार, विभागाध्यक्ष, चेस्ट एंड टीबी, आइजीएमसी शिमला

कमरे में अधिक सामान रखने से वायु प्रदूषण बढ़ता है। प्रदूषण कम करने के लिए मुख्य रूप से चार पौधों पीपल, बरगद, नीम व तुलसी को लगाया जाएगा। सबसे अधिक प्रदूषित सात शहरों और ऊना जिला में इस साल 10-10 हजार पौधे रोपे जाएंगे। घरों में कमरों के भीतर पौधे रखने के लिए लोगों को प्रेरित किया जा रहा है।

-आरके प्रूथी, सदस्य सचिव, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड 

  उद्योगों का सूरत-ए-हाल

  • 10068 उद्योग हैं हिमाचल में
  • 662 उद्योग हैं रेड श्रेणी में। सबसे अधिक प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों जैसे सीमेंट उद्योग, क्रशर, फार्मा उद्योगों को शामिल किया गया हैं 
  • 3,917 उद्योग ऑरेंज श्रेणी में। इस श्रेणी में कम प्रदूषण फैलाने वाले उद्योग होटल, छोटे फार्मा उद्योग शामिल हैं
  • 5489 उद्योग ग्रीन श्रेणी में। इसमें पैकेजिंग उद्योग व छोटे होटल शामिल हैं। 

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