दस रुपये में तैयार होगा परिवार का स्वास्थ्य डाटा
72 लाख लोगों को प्रदेश में मिलेगा लाभ, आशा वर्कर को इस काम के लिए कमीशन देगी सरकार।
शिमला, राज्य ब्यूरो। हिमाचल सरकार अब दस रुपये में परिवार का स्वास्थ्य डाटा तैयार करवाएगी। इसके लिए आशा वर्करों को सारा जिम्मा सौंपा गया है। आशा वर्कर को प्रति परिवार स्वास्थ्य डाटा तैयार करने के लिए सरकार दस रुपये कमीशन देगी। इस आधार पर प्रदेश के 72 लाख लोगों का डाटा तैयार किया जाएगा।
जिन लोगों को बीपी, शुगर और अन्य बीमारियां हैं उसका मेसेज मोबाइल फोन पर आएगा। आशा वर्करों लोगों को घर जाकर दवा देने के साथ गर्भवती को अस्पताल में प्रसव के लिए पहुंचाएगी। हिमाचल प्रदेश में पहली बार इस तरह की योजना को लागू किया जा रहा है।
इससे प्रदेश में बीपी, शुगर, हृदय रोग, हाइपरटेंशन, टीबी, खून की कमी और कैंसर जैसी बीमारियों का पूरा डाटा तैयार होगा। अभी तक प्रदेश में इस तरह का डाटा नहीं है, जिससे रोगियों की सही संख्या का पता चल सके। अस्पतालों में बढ़ती मरीजों की संख्या को कम करने और सही समय पर सही उपचार मिले इस मकसद से इसे शुरू किया गया है।
टीबी रोगी को दवा देने के मिलेंगे 100 रुपये
क्षयरोग(टीबी) से पीड़ित को घर पर दवा देने पर आशा वर्कर को सौ रुपये प्रति मरीज के हिसाब से दिए जाएंगे। हिमाचल को 2022 तक टीबी मुक्त किया जाना है। हर वर्ष टीबी के 15 हजार नए मरीजों का पता चल रहा है। टीबी मुक्त हिमाचल के लिए हर मरीज द्वारा दवा लेना जरुरी है।
7739 आशा वर्करों को सौंपा जिम्मा
स्वास्थ्य डाटा कार्ड तैयार करने का जिम्मा प्रदेश की 7739 आशा वर्करों को जिम्मा सौंपा गया है। इनको केंद्र सरकार की तरफ से 2000 रुपये और प्रदेश सरकार की तरफ से 1250 रुपये मासिक मानदेय दिया जा रहा है। बैठक, टीकाकरण व अन्य कार्यों के लिए कमीशन दी जा रही है।
आशा वर्करों को घर-घर जाकर स्वास्थ्य डाटा सहित दवाएं देने का जिम्मा भी सौंपा गया है। रिपोर्ट और डाटा को लेकर इन्हें अलग से कमीशन का प्रावधान किया गया है।
-मनमोहन शर्मा, परियोजना निदेशक, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन।