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शराब बिक्री में खामियों से हिमाचल सरकार को लगा 57 करोड़ का चूना

शराब कारोबारियों पर मेहरबानियों के कारण हिमाचल सरकार को 57 करोड़ का चूना लगा है वित्त वर्ष 2017-18 की रिपोर्ट में यह खुलासा हुअा है।

By Babita kashyapEdited By: Published: Wed, 18 Dec 2019 03:13 PM (IST)Updated: Wed, 18 Dec 2019 03:13 PM (IST)
शराब बिक्री में खामियों से हिमाचल सरकार को लगा 57 करोड़ का चूना
शराब बिक्री में खामियों से हिमाचल सरकार को लगा 57 करोड़ का चूना

शिमला, राज्य ब्यूरो। राज्य सरकार की आमदनी का मुख्य जरिया शराब है। इसकी बिक्री से हर साल राज्य सरकार को डेढ़ हजार करोड़ रुपये से अधिक की आय होती है। लेकिन शराब कारोबारियों पर मेहरबानियों का खामियाजा सरकार को करोड़ों रुपये की चपत के रूप में भुगतना पड़ा है। शराब बिक्री में बरती गई खामियों से सरकार को 57 करोड़ का चूना लगा है। शराब के 49 लाइसेंस धारकों से नियमों के

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विपरीत 38.90 करोड़ रुपये की कम लाइसेंस फीस वसूली गई।
 
नियंत्रक महालेखा परीक्षक (कैग) ने वित्त वर्ष 2017-18 की रिपोर्ट में यह खुलासा किया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि आबकारी एवं कराधान विभाग ने लाइसेंस फीस कम वसूलने के साथ ऐसे कारोबारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई भी नहीं की। नियमानुसार कम लाइसेंस फीस चुकाने वाले शराब ठेकेदारों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए थी। शराब की दुकानों को भी सील नहीं किया। आबकारी एवं कराधान विभाग ने 561 शराब के बिक्री केंद्रों के लाइसेंस धारकों के लिए निर्धारित वार्षिक न्यूनतम गारंटी कोटा के प्रति 40,58,893 प्रूफ लीटर शराब कम उठाई। इसके फलस्वरूप 12.74 करोड़ रुपये अतिरिक्त फीस नहीं ली गई।
 
इसके अतिरिक्त न्यूनतम गारंटी कोटा के 80 प्रतिशत कम उठाने पर 1.81 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। जबकि 156 बिक्री केंद्रों के लाइसेंसधारियों से लाइसेंस फीस, बोतलीकरण, फ्रेंचाइजी फीस का देरी से भुगतान होने के कारण 3.77 करोड़ रुपये ब्याज वसूली नहीं हो पाई। शराब की बिक्री में खामियां बरते
जाने से प्रदेश सरकार को 57 करोड़ का नुकसान उठाना पड़ा। कैग रिपोर्ट में हिमाचल सरकार पर 100 करोड़ रुपये की वसूली नहीं करने को लेकर कोताही बरतने की टिप्पणी की है।
  
माल व यात्री वाहनों में भी 34 करोड़ से अधिक का नुकसान झेलना पड़ा
वाहन, माल व यात्री कर से 34.85 करोड़ रुपये और स्टांप शुल्क से 8.41 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। सभी क्षेत्रों में वसूली करने में लापरवाही बरती गई। परिवहन विभाग ने ही 16,588 व्यावसायिक वाहनों से 8.50 करोड़ की वसूली नहीं हो पाई। 2,320 व्यावसायिक वाहन मालिकों से यात्री एवं माल कर के
1.74 करोड़ रुपये की वसूली नहीं हो पाई। आबकारी एवं कराधान कार्यालयों के पास वाहनों का पंजीकरण न होने से भी 1.23 करोड़ का नुकसान हुआ। स्टांप शुल्क के क्षेत्र में क्रमश: 3.64 करोड़ रुपये, 1.18 करोड़ रुपये और 3.59 करोड़ रुपये की राजस्व हानि हुई।

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