शिमला प्लानिंग एरिया में ढाई मंजिल से अधिक भवन निर्माण पर है रोक, सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से मांगा स्टे
हिमाचल सरकार ने हल्फनामा दायर कर एनजीटी के आदेश को गलत ठहराते हुए आठ बिंदुओं पर स्टे की मांग की।
शिमला, राज्य ब्यूरो। हिमाचल सरकार ने शिमला प्लानिंग एरिया में भवन निर्माण को लेकर दिए एनजीटी के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट से स्टे मांगा है। इस मामले में शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। प्रदेश सरकार ने हल्फनामा दायर कर एनजीटी के आदेश को गलत ठहराते हुए आठ बिंदुओं पर स्टे की मांग की। इस मामले में सुनवाई 11 मार्च को होगी। प्रदेश सरकार ने एनजीटी द्वारा दिए गए 29 मुख्र्य बिंदुओं के आदेश में से आठ पर ही आपत्ति जताई है। बाकी बिंदुओं को आदेश के पहले से लागू किए जाने की बात दोहराई है। एनजीटी के आदेश का प्रभाव राजधानी के साथ नगर निगम क्षेत्र, कई पंचायतों व 300 गांवों पर हुआ है।
प्रदेश सरकार के अनुसार एनजीटी के पास ऐसा कोई अधिकार क्षेत्र नहीं है जिसके आधार पर वह भवनों की
मंजिलों को निर्धारित कर सके। सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में शिमला शहर के अलावा 300 गांवों का जिक्र भी किया गया है जिनमें इस आदेश के बाद निर्माण कार्य बंद है। एनजीटी ने 16 नवंबर 2017 को दिए 165 पेजों के आदेश में शिमला प्लानिंग एरिया में ढाई मंजिल से अधिक के भवन निर्माण और ग्रीन व कोर एरिया में भवन निर्माण पर पूरी तरह रोक लगा दी थी।
निरस्त हों कमेटियां
एनजीटी द्वारा भवन निर्माण के लिए गठित सुपरवाइजरी कमेटी व इंप्लीमेंटेशन कमेटी को सरकार ने निरस्त करने की मांग की। न्यायालय में दिए हल्फनामे में सरकार ने कहा है कि इससे सभी निर्माण कार्य प्रभावित हो रहे हैं। ऐसी कमेटियों की प्रदेश में जरूरत नहीं है।
इन बिंदुओं पर मांगा स्टे
- योजनाबद्ध कार्य करने के लिए कुछ नहीं किया। इस कारण प्राकृतिक आपदा व लोगों के कारण आपदाएं आ रही हैं।
- कोर व ग्रीन एरिया में किसी भी तरह के नए आवासीय, संस्थागत व व्यापारिक भवन निर्माण पर रोक।
- दो मंजिल व एटिक यानी ढाई मंजिल से अधिक के भवन निर्माण पर शिमला प्र्लांनग एरिया में रोक। इसमें 22 पंचायतों के करीब 300 गांव शामिल हैं जो 250 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में आते हैं।
- कोर व ग्रीन एरिया में जो भवन जर्जर हालत में हैं, चाहे वे चार से पांच मंजिलें हैं, उन्हें गिराकर ढाई मंजिल से ज्यादा बनाने पर रोक।
- कोर व ग्रीन एरिया में बिना अनुमति बने भवनों को नियमित नहीं किया जाए। पास किए गए नक्शे से
- डेविएशन कर अतिरिक्त मंजिल बनाने वालों के भवन पास न किए जाएं।
- बिना अनुमति पेड़ कटान व भवन निर्माण के लिए खोदाई करने पर पर्यावरण भुगतान के तौर पर पांच लाख रुपये हर उल्लंघन पर वसूले जाएं।
- जो भवन अनियमित थे और नियमित किए जाने थे, उनके लिए पर्यावरण सैस वसूलने का
- आदेश। ढाई मंजिल से अधिक के निर्माण पर 5000 रुपये प्रति वर्गमीटर की दर से सैस वसूलने
- का आदेश दिया गया था। सरकार ने अपील में हवाला दिया है कि एनजीटी पर्यावरण से संबंधित सैस की राशि निर्धारित नहीं कर सकती है।