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एचपीयू में नहीं थमा गतिरोध, बैठक में नहीं आए छात्र नेता

हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय (एचपीयू) शिमला में छात्र संगठनों से प्रशासन

By JagranEdited By: Published: Tue, 20 Oct 2020 07:01 PM (IST)Updated: Wed, 21 Oct 2020 05:18 AM (IST)
एचपीयू में नहीं थमा गतिरोध, बैठक में नहीं आए छात्र नेता
एचपीयू में नहीं थमा गतिरोध, बैठक में नहीं आए छात्र नेता

जागरण संवाददाता, शिमला : हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय (एचपीयू) शिमला में छात्र संगठनों से प्रशासन के गतिरोध को खत्म करने का प्रयास मंगलवार को सिरे नहीं चढ़ा। विश्वविद्यालय प्रशासन ने जो बैठक बुलाई थी, वहां पर छात्र नेताओं ने प्रशासन की शर्तो के साथ जाने से इंकार कर दिया। प्रशासन ने कोरोना के कारण कम छात्र नेताओं को आने के लिए कहा था। इसके साथ ही उन्हें मोबाइल फोन व बैज न लगाने को कहा था। इसका छात्र संगठनों ने विरोध किया और प्रदर्शन शुरू कर दिया।

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एबीवीपी व एनएसयूआइ कार्यकत्र्ताओं ने कुलपति के वाहन को रोका तो एसएफआइ ने दूसरी तरफ प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी है। कुलपति के वाहन के आगे बैठे छात्रों को पुलिस ने समझाया, लेकिन वे सुनने को तैयार नहीं थे, इसलिए पुलिस को उन्हें हटाना पड़ा। प्रदर्शन के दौरान एनएसयूआइ के कार्यकत्र्ताओं की पुलिस कर्मचारियों के साथ धुक्कामुक्की भी हुई। एबीवीपी के परिसर अध्यक्ष विशाल ने आरोप लगाया कि जब तक प्रशासन उनकी मांगों को स्वीकार नहीं करेगा आंदोलन जारी रहेगा। दूसरी तरफ एसएफआई ने इसी मामले पर पिंक पटेल पर प्रदर्शन किया। कैंपस सचिव गौरव नाथन ने आरोप लगाया कि विश्वविद्यालय तानाशाह रवैया अपनाए हुए है। कैंपस अध्यक्ष रविंद्र चंदेल ने कहा कि प्रशासन उनकी मांग सुनने को तैयार नहीं है। छात्र संगठन स्नातकोत्तर कक्षाओं में परीक्षा के आधार पर प्रवेश की मांग कर रहे हैं। अभी दाखिला मेरिट के आधार पर दिया जा रहा है।

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हपुटा ने घर आकर नारेबाजी का किया विरोध

हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (हपुटा) के अध्यक्ष एसएल कौशल व महासचिव प्रो. आरएल झिंटा ने छात्र संगठनों की ओर से शिक्षक कॉलोनी में आकर घेराव करने की निदा की है। उन्होंने कहा कि इससे बुजुर्गो और बच्चों को काफी परेशानी हुई है। छात्रों को घरों में घेराव के लिए नहीं आना चाहिए।

विश्वविद्यालय प्रशासन का दावा है कि छात्रों की समस्या के हल के लिए मंगलवार को डीएस आचार्य अरविंद कालिया की अध्यक्षता में बैठक हुई। बैठक में सुरक्षा अधिकारी के माध्यम से छात्र संगठनों के प्रतिनिधियों को बातचीत के लिए बुलाया था। बैठक में छात्र नेता नहीं आए। इस कारण बातचीत नहीं हो सकी।


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