टेक्नोमेक घोटाले की जांच पूरी, नए साल में चार्जशीट दाखिल करने की है तैयारी
टेक्नोमेक घोटाले की जांच पूरी हो चुकी है इस मामले में स्टेट सीआइडी नए साल में चार्जशीट दाखिल करेंगे।
राज्य ब्यूरो, शिमला। छह हजार करोड़ से अधिक के टेक्नोमेक घोटाले की जांच पूरी हो गई है। स्टेट सीआइडी नए साल में चार्जशीट दाखिल करने की तैयारी में हैं। प्रदेश सरकार ने जांच इसी महीने पूरी करने का निर्देश दिया था, लेकिन आबकारी एवं कराधान विभाग के कुछ आरोपित अधिकारियों व कर्मचारियों की अग्रिम जमानत पर 11 जनवरी को कोर्ट में फैसला होना है। इसी कारण तब तक चार्जशीट दाखिल नहीं हो पाएगी।
सीआइडी इस मामले में दो चार्जशीट दायर करने की सोच रही है। मुख्य चार्जशीट जल्द ही दायर होगी और बाद में सप्लीमेंट्री चालान पेश किया जाएगा। अभी मुख्य आरोपित आरके शर्मा भी गिरफ्त से बाहर है। सीआइडी के पास सूचना है कि वह विदेशों में लगातार ठिकाने बदल रहा है। शर्मा हीरे का व्यापारी है। आरोपित का घाना, इंडोनेशिया, साउथ अफ्रीका व दुबई में खनिजों का कारोबार रहा है। उसकी कंपनी इंडियन टेक्नोमेक ने हिमाचल के सिरमौर के पांवटा क्षेत्र में जहाज के कल पुर्जे बनाने का कारखाना स्थापित किया था। ज्यादा उत्पादन दिखाकर बैंकों से करीब 1600 करोड़ का कर्जा लिया। इसमें से केवल 233 करोड़ चुकाया, बाकी डकार लिया। ब्याज समेत यह राशि अब काफी बड़ गई है। राज्य सरकार को 2100 करोड़ का चूना लगा है।
अधिकारियों पर आरोप साबित जांच में आबकारी एवं कराधान विभाग के नौ अधिकारियों और कर्मचारियों पर आरोप साबित हो गए हैं। इनमें तीन तत्कालीन इंस्पेक्टर, एक सहायक आबकारी एवं कराधान आयुक्त व चार कर्मी शामिल हैं। तीन इंस्पेक्टर, तीन चपरासी, एक अधिकारी, निदेशक अश्रि्वनी साहु अग्रिम जमानत पर हैं। जबकि रंगानाथन व टेकचंद की जमानत हो गई है। अब तक हुई गिरफ्तारियां अब तक सीआइडी 10 आरोपितों को गिरफ्तार कर चुकी है। इनमें कंपनी के निदेशक रंगानाथन, निदेशक विनय शर्मा, डीजीएम वित्त विवेक लाल, डीजीएम स्टोर आरके सेनी, सीनियर मैनेजर वित्त हिमांशु गोयल, डीजीएम लेखा विवेक गुप्ता, प्लांट हेड त्रिलोचन बिस्वाल, इटीओ रिटायर टेकचंद, आयरन रिसीवर सुलेमान, मशीन रिसीवर अमित सिंह शामिल हैं।
यह है मामला
आबकारी एवं कराधान विभाग की आर्थिक सतर्कता टीम ने 18 फरवरी, 2014 को कंपनी के दस्तावेज जांचे। इसमें पाया कि जब से पांवटा में उद्योग शुरू हुआ, तब से करों की चोरी हो रही थी। आरंभ में 72 करोड़ की कर चोरी पकड़ी गई। घोटाले का पर्दाफाश आबकारी एवं कराधान के अधिकारी गणेश ठाकुर ने किया। कंपनी पर भारी पेनल्टी लगाई। करों, पेनल्टी का राशि 2200 करोड़ तक पहुंच गई। कंपनी पहले अपीलीय प्राधिकरण और बाद में हाईकोर्ट गई। दोनों ही जगह हार गई। मामले में सुप्रीमकोर्ट से भी कोई राहत नहीं मिली।