घर-घर जाकर टीबी के मरीजों को ढूंढा जाएगा
टीबी मुक्त अभियान के तहत एक्टिव केस फाइंडिंग (खोजो अभियान) का दूसरा चरण शुरू हो गया है।
जागरण संवाददाता, शिमला : टीबी मुक्त अभियान के तहत एक्टिव केस फाइंडिंग (खोजो अभियान) का दूसरा चरण 15 से 30 नवंबर तक चलेगा। इसके लिए दो चरणों में डोर टू डोर बलगम जाच अभियान चलाया गया, जिसमें पहला चरण जुलाई में 16 से 31 चला व दूसरा चरण 15 से 30 नवंबर तक चलाया जाएगा। दूसरे चरण का अभियान जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. अशोक चौहान की अध्यक्षता में जिला शिमला में विशेष अभियान चलाया जा रहा है। इस अभियान में प्रदेश के हर जिले में अब घर-घर जाकर टीबी के मरीज ढूंढे जाएंगे। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा आशा कार्यकर्ताओं की टीमों का गठन कर उन्हें प्रशिक्षित किया जा रहा है। स्वास्थ्य कर्मी घर घर जाकर मरीजों की खोज करेंगे। बीमारी से ग्रस्त पाए जाने पर उन्हें 48 घंटे के अंदर उपचार पर ले लिया जाएगा। स्वास्थ्य विभाग ने इसका शेड्यूल तैयार कर लिया है और स्वास्थ्य निदेशक ने इसकी अधिसूचना जारी कर दी है। सभी जिलों के मुख्य चिकित्सा अधिकारियों को अभियान चलाने के निर्देश जारी कर दिए हैं।
कुमारसैन खंड के अंतर्गत बड़ागांव, थानाधार, भूट्टी व भरेड़ी पंचायतों में आशा कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित कर क्षय रोगियों को ढूंढा जाएगा और उनके बलगम की जांच की जाएगी। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र थानाधार के डॉ. खेमचंद ने बताया कि जो मरीज अस्पताल तक नहीं पहुंच पाते व नहीं आते हैं उनकी स्वास्थ्य कर्मी घर-घर जाकर जांच के बाद उपचार शुरू किया जाएगा। सरकार ने 2021 तक हिमाचल को टीबी रोगमुक्त करने का लक्ष्य तय किया है। इसके लिए केंद्र सरकार ने संशोधित राष्ट्रीय क्षय रोग नियंत्रण कार्यक्रम (आरएनटीसीपी) चलाया है। अवकाश के दिन भी अभियान जारी रहेगा।
वीरवार को कुमारसैन खंड के वरिष्ठ उपचार पर्यवेक्षक अनमोल राज कौंडल ने गठित की गई टीम को क्षय रोग के लक्षण और उपचार की जानकारी दी। क्षय रोग आम तौर पर फेफड़ों पर हमला करता है, लेकिन यह शरीर के अन्य भागों को भी प्रभावित कर सकता हैं। यह रोग हवा के माध्यम से फैलता है। यदि लगातार तीन हफ्तों से खासी, खासी के साथ खून का आना, छाती में दर्द और सास का फूलना, वजन का कम होना और ज्यादा थकान महसूस करना, शाम को बुखार आना और ठंड लगना, रात में पसीना आना यह सभी टीबी के लक्षण हैं। सुपरवाइजर पूर्णचंद ने बताया कि इस अभियान के तहत एक टीम में तीन सदस्य रखे गए हैं। इनकी मॉनिटरिंग के लिए 15 सुपरवाइजर बनाए गए हैं। इनके अलावा उच्चाधिकारी भी मॉनिटरिंग करते रहेंगे।