ढाई मंजिल मामले में सुप्रीमकोर्ट में याचिका स्वीकार
शिमला में ढाई मंजिल से अधिक के भवन निर्माण पर रोक मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने हिमाचल सरकार की याचिका स्वीकार कर ली है। एनजीटी (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) शिमला के प्लानिग एरिया में अढ़ाई मंजिल के अधिक के भवन निर्माण पर रोक लगाने का आदेश दिया था प्रदेश सरकार ने इसी आदेश को शीर्ष अदालत में चुनौती दी है।
-एनजीटी ने शिमला के प्लानिंग एरिया में लगा रखी है ढाई मंजिल से अधिक भवन निर्माण पर रोक
-सितंबर में अंतिम सुनवाई के साथ आएगा निर्णय
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राज्य ब्यूरो, शिमला : शिमला में ढाई मंजिल से अधिक के भवन निर्माण पर रोक मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने हिमाचल सरकार की याचिका स्वीकार कर ली है। एनजीटी (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) शिमला के प्लानिग एरिया में अढ़ाई मंजिल के अधिक के भवन निर्माण पर रोक लगाने का आदेश दिया था, प्रदेश सरकार ने इसी आदेश को शीर्ष अदालत में चुनौती दी है।
सोमवार को सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश दीपक गुप्ता और अनिरुद्ध बोस ने याचिका को स्वीकार करते हुए सितंबर में अंतिम सुनवाई कर निर्णय सुनाने के लिए कहा है। हालांकि याचिका को स्वीकार करने के साथ कोई अंतरिम राहत प्रदान नहीं दी है। सर्वोच्च न्यायालय में हिमाचल की तरफ से सोलीसिटर जनरल ऑफ इंडिया तुषार मेहता, महाधिवक्ता अशोक कुमार शर्मा और पैनल एडवोकेट दिव्य प्रकाश पांडे ने पैरवी की।
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यह था मामला एनजीटी ने 16 नवंबर 2017 को 165 पेजों के आदेश में शिमला के प्लानिग एरिया में अढ़ाई मंजिल से अधिक के भवन निर्माण, ग्रीन और कोर एरिया में भवन निर्माण पर पूरी तरह से रोक लगा दी थी। प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में शपथपत्र दायर कर एनजीटी द्वारा दिए गए 29 मुख्य बिदुओं में से आठ पर आपत्ति जताकर रोक लगाने की मांग उठाई थी। एनजीटी के आदेशों का असर 300 से अधिक गांवों पर भी पड़ा है।
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ये थे एनजीटी के आदेश
-कोर व ग्रीन एरिया में किसी भी तरह के आवसीय, संस्थागत और व्यापारिक नए भवन निर्माण पर रोक।
-दो मंजिल व एटीक यानी अढ़ाई मंजिल से अधिक के भवन निर्माण पर शिमला प्लानिग एरिया में रोक। इसमें 22 पंचायतों के करीब 300 गांव शामिल हैं।
-कोर और ग्रीन एरिया में जर्जर पुराने भवनों को गिराकर अढ़ाई मंजिल से ज्यादा बनाने पर रोक।
-कोर और ग्रीन एरिया में बिना अनुमति के बने भवनों को नियमित नहीं किया जाए। पास किए गए नक्शे से डेविएशन कर अतिरिक्त मंजिल बनाने वालों के भवन पास न किए जाएं।
-बिना अनुमति के पेड़ और खोदाई करने पर पर्यावरण भुगतान के तौर पांच लाख रुपये हर उलंघन पर वसूले जाएं।
-कोर और ग्रीन एरिया में भवन निर्माण में किसी भी तरह की डेविएशन पर भवन को नियमित करने के लिए आवासीय परिसर के लिए पांच हजार रुपये प्रति वर्ग फीट और व्यावसायिक के लिए दस हजार रुपये प्रति वर्ग फीट वसूले जाएं।