छात्रवृत्ति घोटाला: 260 करोड़ के घोटाले का आरोपित अरविंद राजटा सस्पेंड
Scholarship scam छात्रवृत्ति घोटाले के अारोपित अधीक्षक अरविंद राजटा को सस्पेंड कर दिया गया है छात्रवृत्ति के एवज में राजटा कमीशन लेता था।
शिमला, राज्य ब्यूरो। Scholarship scam 260 करोड़ रुपये के सूत्रों के अनुसार निजी शिक्षण संस्थानों को छात्रवृत्ति आवंटित करने की एवज में राजटा कमीशन लेता था। यह कमीशन किन- किन में बंटी, इसकी जांच तेज हो गई है। सीबीआइ ने शुक्रवार को तीन आरोपितों की गिरफ्तारी की गई थी। इनमें हिमाचल प्रदेश शिक्षा विभाग का तत्कालीन अधीक्षक ग्रेड टू अरविंद राजटा, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया का हेड कैशियर एसर्पी ंसह और ऊना के केसी ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूट के उपाध्यक्ष हितेश गांधी शामिल थे। कुछ महीने पहले जांच एजेंसी ने शिमला में उसके तीन ठिकानों पर दबिश दी थी, तब वह आरोपित नहीं थे। इसके बाद सीबीआइ ने उसे आरोपित बनाने के लिए राज्य सरकार से अनुमति मांगी थी। अनुमति मिलते ही आरोपित बनाया गया।
यह था मामला
2013-14 से 2016-17 तक 924 निजी संस्थानों के विद्यार्थियों को 210.05 करोड़ रुपये और 18682 सरकारी संस्थानों के विद्यार्थियों को 56.35 करोड़ रुपये छात्रवृत्ति के दिए गए। आरोप है कि कई संस्थानों ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर छात्रवृत्ति की मोटी रकम हड़प ली। जनजातीय क्षेत्रों के विद्यार्थियों को कई साल तक छात्रवृत्ति ही नहीं मिल पाई। एक छात्र की शिकायत पर फर्जीवाड़े से पर्दा उठा। शिक्षा विभाग की जांच रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2013-14 से वर्ष 2016-17 तक प्री और पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति के तौर पर विद्यार्थियों को 266.32 करोड़ रुपये दिए गए। इनमें गड़बड़ी पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति में हुई है। इसमें 260 करोड़ 31 लाख 31,715 रुपये दिए गए हैं। छात्रवृत्ति की जो राशि प्रदेश के विद्यार्थियों को मिलनी थी, उसे देशभर के अलग-अलग क्षेत्रों में गलत तरीके से बांटे जाने का आरोप है।