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विशेष साक्षात्कार: हवा में उड़ रहे लोगों को नहीं जमीन की चिंता

अपनी मुखरता व हाजिरजवाबी के लिए पहचाने जाने वाले नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने ‘दैनिक जागरण’ के बनोई परिसर में संपादकीय टीम से खुल कर बातचीत की।

By BabitaEdited By: Published: Sat, 15 Dec 2018 10:54 AM (IST)Updated: Sat, 15 Dec 2018 10:54 AM (IST)
विशेष साक्षात्कार: हवा में उड़ रहे लोगों को नहीं जमीन की चिंता
विशेष साक्षात्कार: हवा में उड़ रहे लोगों को नहीं जमीन की चिंता

देश के तीन राज्यों में कांग्रेस को मिली जीत से उत्साहित और विधानसभा के अंदर व बाहर भी अपनी मुखरता व हाजिरजवाबी के लिए पहचाने जाने वाले नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री की टोन अब और सख्त हो गई है। धर्मशाला के सर्द मौसम में धौलाधार की तलहटी में तपोवन स्थित विधानसभा परिसर में चल रहे शीतकालीन सत्र में ही नहीं, वह सदन के बाहर भी खुलकर भाजपा को घेर रहे हैं। हिमाचल में जयराम सरकार को एक वर्ष पूरा होने  को है, लेकिन विपक्ष से पूछो तो यह कार्यकाल केवल कांग्रेस के समय शुरू हुए विकास कार्यों के फीते काटने तक सीमित रहा। सत्र की इसी गहमागहमी में से कुछ समय निकालकर मुकेश अग्निहोत्री ‘दैनिक जागरण’ के बनोई परिसर पहुंचे। इस दौरान उन्होंने कांगेस-भाजपा की राजनीति से लेकर प्रदेश में जन विकास, कानून-व्यवस्था, केंद्रीय नीतियों और सरकार की कार्यप्रणाली पर जागरण की संपादकीय टीम से खुल कर बातचीत की। प्रस्तुत हैं प्रमुख अंश... 

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क्या वाकआउट एक परंपरा है जिसे विपक्ष वालों को निभाना ही है?

-विधानसभा से वाकआउट संसदीय प्रणाली की परंपरा है, अपनी बात मनवाने के लिए। हमारे और भाजपा के वाकआउट में फर्क है, हम बहिष्कार भी करते हैं और सदन में चर्चा भी, जबकि भाजपा पूरा-पूरा सत्र ही बाहर रहती थी। उनके साथ हमें न जोड़िए। वे तो आते ही नहीं थे। हम जहां आवश्यक है, प्रदेशहित है, वहां क्यों वाकआउट करेंगे।

सरकार के खिलाफ कांग्रेस की चार्जशीट का क्या हुआ।

-इस सरकार का एक साल पूरा हो रहा है, इनके कार्यों की समीक्षा होनी चाहिए। भाजपा ने तो तीन बार चार्जशीट बनाई थी, आज के मुख्यमंत्री भी उसके सदस्य थे। हम मुद्दा आधारित बात करते हैं, चरित्र

हनन की राजनीति नहीं कर रहे, इन्होंने तो ‘बिलो द बेल्ट बीट’ किया था। जिन आरोपों के तथ्य होंगे, वही मुद्दे शामिल होंगे।

सरकार अपना एक साल पूरा करने जा रही है, क्या कुछ रहा इसमें।

-एक साल में मुद्दे बहुत खड़े हो गए हैं। साल भर से जश्न ही चल रहा है, मुख्यमंत्री दौरों पर रहते हैं, सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग हो रहा है। सरकार हवा में ही उड़ रही है, जमीनी हकीकत से भी वाकिफ होना चाहिए, कानून-व्यवस्था बिगड़ी हुई है और विकास के नाम पर सिर्फ बातें हो रही हैं।

भाजपा राज में विकास के दावे व दलीलें और प्रदेश व केंद्र में, दोनों जगह भाजपा सरकारें होने का कितना लाभ मिला।

-सब पालिटिकल एजेंडा है, झूठ की बैसाखियों पर सरकार की बुनियाद खड़ी है। पिछले लोकसभा चुनावों से लेकर विधानसभा चुनावों तक केंद्रीय नेताओं ने सिर्फ कहा, हुआ नहीं और प्रदेश सरकार भी नया कुछ

न कर सकी। गडकरी को यहां लाकर 69 नेशनल हाइवे और 65 हजार करोड़ रुपये की घोषणाएं, जमीन

पर कहीं दिख नहीं रही। बस एनएच की घोषणाएं कर दी, न सर्वे किया न ट्रैफिक वॉल्यूम देखा, गांव की गलियों तक को नेशनल हाइवे घोषित कर दिया। जमीन पर अभी एक इंच सड़क नहीं बनी, दिल्ली भेजे केस मंत्रालय में धूल फांक रहे हैं। यहां तक की मोदी सरकार के बजट में इन योजनाओं का जिक्र तक नहीं, अब फिर से लोकसभा चुनाव आने वाले हैं, शायद प्रपोजल फाइनल हो जाए। विस चुनाव के समय मोदी को बुलाकर एम्स का शिलान्यास करवाया, नहीं बना। चुनाव आए तो अब सेंट्रल यूनिवर्सिटी की याद आ गई। रेलवे विस्तारीकरण की बात की थी, लेकिन स्वयं रेल मंत्री यहां आकर अलग ही बयान दे रहे हैं। बड़ी बातें की थी कि केंद्र सरकार हमारी है, अब हिमाचल की बारी है। 27 दिसंबर को प्रधानमंत्री आ रहे हैं, अगर हिम्मत है तो राज्य पर 50 हजार करोड़ का कर्ज एकमुश्त माफ करवाएं।

धारा 118 को लेकर बड़ा बवाल मच रहा है, भाजपा कहती है कि उसके साथ छेड़छाड़ आपके समय में अधिक हुई? 

-नहीं। सच तो यह है कि जब-जब भाजपा सत्ता में आई तो ‘हिमाचल फॉर सेल हो गया।’ हमने पहले ही इसका विरोध किया था। बाबा रामदेव को करोड़ों की जमीन औने-पौने दाम में दे दी, जो शुद्ध व्यापारी हैं, क्योंकि वो इनकी विचारधारा को पोषित करते हैं। अब सरकार का लाभ उठाकर सभी जिलों में आरएसएस को जमीन देने की तैयारी चल रही है। हिमाचल निर्माता डॉ. यशवंत सिंह परमार ने बड़ी मुश्किलों से एक्ट बनाया था कि हिमाचल की जमीन पर बाहरी पूंजीपतियों का कब्जा न हो। इसे खत्म करने की बात करेंगे तो हम विरोध में उतरेंगे। कांग्रेस के समय जनहित के लिए 118 के तहत लीजें की गई, इन्होंने दुकानदारी बना दी।

सरकार पर क्या कोई दबाव है?

-बिलकुल। आज भाजपा वर्कर को ही नहीं लग रहा कि उनकी सरकार है, जहां संघ का व्यापक दखल हो गया है। सीएम ऑफिस में सब विचारधारा विशेष के लोग बिठा दिए गए हैं, हम पर टायर्ड-रिटायर्ड अधिकारी रखने का आरोप लगाते थे। खुद ऐसे रख लिए, जिन्हें कुछ पता ही नहीं। एक ही सरकार में सत्ता के कई केंद्र हो गए हैं, अधिकारियों को समझ नहीं आता कि किसकी मानें। बड़े-बड़े अधिकारी पहले रखते हैंं, फिर बदले जा रहे हैं, साल में ही एक लाख के करीब तबादले कर दिए, अधिकारियों से लेकर चौकीदार व रेस्ट हाउस में चाय पिलाने वाले तक।

राज्य में पर्यटन उत्थान और रेलवे व हवाई विस्तार की हकीकत।

-कुछ नहीं हुआ, पर्यटन को बढ़ावे की बातें ही की। रेल लाइन कहीं से भी एक इंच तक नहीं बढ़ी, कोई नई हवाई पट्टी फाइनल नहीं हुई। गप्पे मारकर काम नहीं होते, हवाई चप्पल पहनने वाले को जहाज में उड़ना नसीब नहीं हुआ, किसी उड़ान में टिकट सस्ती नहीं। पर्यटकों के लिए हेलीकॉप्टर उड़ना था, वो भी नहीं हुआ। पर्यटन निगम की 38 संपत्तियों को खत्म किया जा रहा है, चंडीगढ़ में टूरिस्ट सेंटर बंद कर दिया।

प्रदेश की भाग्य रेखाएं सड़कों की दुर्दशा का मुद्दा क्यों गौण है।

-मुख्यमंत्री स्वयं लोक निर्माण मंत्री भी हैं। लेकिन वह तो हैली सीएम... हो गए हैं, जमीन पर दुर्घटनाओं में लोग मर रहे हैं। कहा था 15 दिनों में सड़कों के गड्ढे भर देंगे, ब्लैक स्पॉट तक ठीक नहीं हुए। (व्यंग्यात्मक लहजे में) फिर कहते हैं कि ट्रॉमा सेंटर बनाएंगे, जब गड्ढे नहीं भरेंगे तो ट्रॉमा सेंटर ही बनाने पड़ेंगे। वह हेलीकॉप्टर में ज्यादा उड़ रहे हैं, सुना है दो और चौपर आ रहे हैं। हिमाचल जैसे छोटे राज्य में यह जायज नहीं, जहां 50 हजार करोड़ से अधिक कर्जा हो। सरकार ने फिजूलखर्ची पर नियंत्रण के कोई प्रयास नहीं किए, आय ढ़ाने के लिए क्या किया। हमें बोर्ड-निगम में नियुक्तियों के लिए कहते थे, खुद हमसे भी अधिक हैं। ऐसे -ऐसे चेयरमैन कि गुड़िया के भी चेयरमैन होंगे। कई ऐसे उच्च पद भरे गए जहां आवश्यकता नहीं थी। प्रशासनिक सचिव व विभागों में ओहदों की भरमार है, नौकरशाही भर-भरकम हो गई है।

 

 नौकरी एवं रोजगार पर क्या कहेंगे?

-स्थायी नौकरी की बात कही थी, अब कंपनियों से आउटसोर्स कर रहे हैं। बसों में कंडक्टर भी ठेके पर, बिजली बोर्ड, आइपीएच व हर महकमे में आउटसोर्सिंग से काम हो रहा है। वह भी बाहरी कंपनियों से, जिनकी अपनी कमीशन अधिक है। यह तो चिटों पर भर्तियों के आरोपों से भी बुरा हाल है, इन्हें कोई भी बाहर कर देगा। इसकी जगह भर्ती की कोई नीति बनाते। सरकार का पैसा बिचौलियों की जेब में

जा रहा है, उन्हें क्यों न मिले, जिनकी सेवाएं ली जा रही है।

सरकार के इस एक साल के कार्यकाल को कितने अंक देते हैं।

-अंक देने की बात नहीं, लोकसभा चुनाव आने वाले हैं, खुद पता लग जाएगा। सिर्फ घोषणाओं व ऐलान कर देने से पेट नहीं भरते। मुख्यमंत्री ने पहले बजट में 30 योजनाओं की घोषणा की थी, कोई अमल नहीं हुई।

तीन राज्यों में कांग्रेस की जीत का हिमाचल में क्या असर मानते हैं।

-यह सवाल इनसे पूछा जाना चाहिए, अभी तो ट्रेलर है पुरी फिल्म आनी बाकी है। देश भर में महंगाई से जनता त्रस्त है। नोटबंदी व जीएसटी का व्यापक असर हुआ है। इनकी विदेश नीति, बॉर्डर पर सुरक्षा, पाकिस्तान व चीन को सबक, सब बातें ही है।

 

कांग्रेस में वीरभद्र सिंह व सुक्खू की खींचतान का कार्यकर्ता पर क्या असर है।

-गंभीर होकर, वीरभद्र सिंह का एक इतिहास है, केंद्र में मंत्री छह बार मुख्यमंत्री और अब भी विधायक हैं। वो प्रदेश की जनता की नब्ज पहचानते हैं, कांग्रेस को हमेशा उनका लाभ मिला है। प्रदेश में कांग्रेस को स्थापित करने में उनकी अहम भूमिका रही है। मैंने भी उनसे बहुत कुछ सीखा है।

धर्मशाला में भी विधानसभा परिसर का औचित्य है?

-प्रदेश की भौगोलिक परिस्थिति व लोगों की भावनाओं को देखते हुए यह बनाई गई थी। खर्च की बात नहींं, ऐतिहासिक महत्व की बात है, इसका सदुपयोग हो, यहां ई-विधान अकादमी बननी चाहिए। यदि खर्च घटाना है तो यहां एमएलए हॉस्टल बना दो, सभी आकर अपने-अपने हॉस्टल में रहें तो होटलों पर खर्च करने की जरूरत नहीं।

 नेता प्रतिपक्ष पर भी जद्दोजहद चली रही?

-सख्त लहजे में... नेता विपक्ष बनाना कोई खैरात नहीं। यह काफी समय तक गुमराह करते रहे कि इतने सदस्य होने चाहिए, उतने होने चाहिए। हम श्रोता नहींं कि विधानसभा में सब चुपचाप सुनते रहेंगे, नेता विपक्ष बनाना कोई सौदेबाजी नहीं, हम सदन में गलत का विरोध करेंगे। इन्हें साफ कह दिया कि कोई एहसान नहीं है, आप चाहें तो वापस ले लें।

सब पर कब्जा इनकी मंशा...

मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि मोदी सरकार सबकुछ पर कब्जा करना चाहती है। सुप्रीम कोर्ट को प्रेस कांफ्रेंस करनी पड़ रही है, रिजर्व बैंक के निदेशक ने इस्तीफा दे दिया, सीबीआई का चीफ हटा दिया और योजना आयोग को भी बदल दिया। अब तो इनके नेता भी घबराने लगे हैं, कई वरिष्ठ नेता चुनाव लड़ने से मुकर रहे हैं। मनमोहन ने चुप रहकर दो कार्यकाल पूरे कर दिए और यह पुरी दुनिया घूमकर भी कुछ नहीं कर पाए।

पत्रकार की परिभाषा को बदला...

विधानसभा में कांग्रेस के नेता मुकेश अग्निहोत्री बोले कि राजनीति में पत्रकार की परिभाषा को बदला है। माना जाता था कि पत्रकार चुनावी राजनीति नहीं कर सकते, इस भ्रम को तोड़ा है। पत्रकार विधानसभा व राजनीति को भी अंदर व बाहर, हर चश्में से देखते हैं और विकास की राजनीति करने में सक्षम हैं। 

नेता प्रतिपक्ष के आरोप

-मुकेश ने आरोप लगाया कि व्यक्ति विशेष को लाभ देने के लिए ऊर्जा नीति बदल दी, 12 साल तक कुछ नहीं लेंगे, जबकि यही हिमाचल की आय का सबसे बड़ा साधन है।

-एक-एक करके सभी राजनीतिक केस वापस ले लिए, हमने विधानसभा में मुद्दा लगाया तो सवाल ही विलोप कर दिया। उस पर हमें ही डराने-धमकाने की बात कर रहे हैं।

-आठ लाख बच्चे वर्दी का इंतजार कर रहे हैं, इनसे फैसला ही नहीं हो रहा कि किसे वर्दी देनी है, किसे बैग, लैपटॉप व किसे बॉटल दें। आप स्कूलों में गेस्ट बनकर तो जा रहे हैं, लेकिन वहां की जरुरतें पूरी नहीं कर रहे। 

-औद्योगिक निवेश के लिए एक इन्वेस्टर मीट तक नहीं करवा सके।

जनमंच पर सवाल...

जनमंच को झंडमंच बोलने पर सत्ता पक्ष हमसे बिगड़ रहा है। सरकारी अधिकारी व कर्मचारियों को रविवार

छुट्टी के दिन आकर भी डांट खानी पड़ रही है, लोगों के सामने उनपर धौंस दिखाई जा रही है। उनकी सरकार में भी प्रशासन जनता के द्वार चल रहा था, लेकिन इन्होंने इसे राज्यपोषित शो बना दिया। सालाना लगभग चार करोड़ का अतिरिक्त बोझ पड़ा है, सरकारी खर्चे पर पार्टी की रैलियां हो रही है, मंत्रियों का रेड कारपेट वेलकम और बाद में धाम भी। इससे विभागों में काम भी नहीं हो रहा, महीने का आधा समय जनमंच की तैयारियों में बीतता है। जो काम एक अर्जी से होना है, उसे भी दिखावे के लिए जनमंच के लिए लंबित रखा जा रहा।

कानून-व्यवस्था राम भरोसे...

हिमाचल में कानून-व्यवस्था राम भरोसे चल रही है, माफिया पर नकेल कसने की बात कही थी। एक साल के अंदर प्रदेश में 100 कत्ल हो चुके हैं, 300 से अधिक रेप के मामले और नशे का कारोबार लगातार बढ़ रहा है। प्रशासन व पुलिस ऐसे चल रहे कि कसौली में अवैध निर्माण गिराने गई टीम में एक अधिकारी की हत्या हो गई, सिरमौर में जिदान हत्या, चौपाल में दलित का कत्ल, बद्दी में प्रिंसिपल की हत्या और मुख्यमंत्री बयान दे रहे कि छोटी-मोटी वारदातें होती रहती हैं। सरकार की पुरानी सभी सभी हेल्पलाइन दम तोड़ गई और मुख्यमंत्री पिछले दिनों मंडी से नई हेल्पलाइन जारी कर रहे हैं।


गांधी जयंती पर शराब के ठेके...

सरकार नशे के खिलाफ लड़ने की बात करती है और देखिए कि एक साल में ही 300 से अधिक नए ठेके खोले गए। क्या हाल हो गया कि दो अक्टूबर को गांधी जयंती के दिन ही 237 शराब ठेके खोले गए, जिस

दिन पूर्ण शराबबंदी होती है। उन्होंने ठोक कर कहा सिंथेटिक ड्रग्स को गैर जमानती वारंट बनाएं और दम है तो इसमें फांसी का प्रावधान करें, हम साथ हैं।


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