सोशल मीडिया ने दुनिया से जोड़ा, परिवार से नाता तोड़ा
सुमन भट्टाचार्य, शिमला सोशल मीडिया ने देश-दुनिया के लोगों को आपस में जोड़ा है। दुनिया
सुमन भट्टाचार्य, शिमला
सोशल मीडिया ने देश-दुनिया के लोगों को आपस में जोड़ा है। दुनिया के किसी भी कोने से एक-दूसरे से बात करने के साथ वीडियो कॉलिंग के माध्यम से एक-दूसरे को देख भी सकते हैं। लेकिन इसका दूसरा पहलू यह भी है कि एक परिवार में साथ रहते हुए भी अलग-थलग कर दिया है। युवा पीढ़ी ही नहीं आज वरिष्ठ पीढ़ी भी सोशल मीडिया की आदी हो चुकी है। सोशल मीडिया पर ही ज्यादातर रिश्ते, त्योहार व अन्य सामाजिक बंधन निभाए जा रहे हैं। वास्तविकता से दूर लोग काल्पनिक समाज में जी रहे हैं। पहले लोग त्योहारों पर एक-दूसरे से जुड़े होते थे एक साथ मिलकर रसोईघर में बैठ पकवानों का मजा लेते थे। मिठाई बांटकर एक-दूसरे के घर जाकर त्योहारों पर बधाई देने जाते थे, परंतु आज वहीं वाट्सएप, फेसबुक आदि सोशल मीडिया पर ही औपचारिकता निभाते हैं। सोशल मीडिया का मिला जुला प्रभाव लोग सोशल मीडिया के सकारात्मक व नकारात्मक दोनों पहलुओं को स्वीकारते हैं। लोगों का मानना है कि जहा एक ओर सोशल मीडिया सामाजिक कुरीतियों को दूर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं वहीं कभी-कभी नकारात्मक बातों का भी बहुत प्रचार हुआ है।
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क्या कहते हैं लोग
सोशल मीडिया ने लोगों को सामाजिक जड़ों से काट दिया है और आज पारिवारिक मूल्य का महत्व भी कम हो गया है।
-संजीव कुमार, इंटक शिमला जिलाध्यक्ष
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सोशल मीडिया को समाज का अभिन्न अंग है। सोशल मीडिया ने दूर रह रहे परिजनों से भी भावनात्मक रूप से जोड़ रखा है।
-रजनी, प्रधानाचार्य, मून पब्लिक स्कूल संजौली।
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सोशल मीडिया के कई लाभ हैं। जब मेरे भाई त्योहार पर घर नहीं नहीं होते तो वीडियो कॉलिंग करके त्योहार मना लेती हूं। इससे संतुष्टि मिल जाती है।
-अंजलि, बीएड की छात्रा।
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आज समाज तेज़ी से आगे बढ़ रहा है। लोगों के पास एक-दूसरे के लिए वक्त की कमी होने के कारण सोशल मीडिया के माध्यम से जुड़े हैं। यह एक तरह से अच्छा भी है।
-पूजा राठौर, पर्यटक गुरुग्राम।
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सोशल मीडिया से लोगों में आपसी लगाव कम हो गया है। एक घर में रहते हुए भी लोग एक दूसरे से दूर हो रहे हैं।
-भुवनेश नेगी, बीएससी छात्र कृषि विंग उत्तराखंड।
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पहले लोग यातायात की सुविधा न होने के बावजूद त्योहारों पर एक-दूसरे से मिलने जाते थे। व्यस्तता के बावजूद समय निकाल लेते थे। अब सोशल मीडिया के कारण समय होने के बावजूद नहीं जा पाते हैं। इससे त्योहार की उत्सुकता कम हुई है।
-विकास राज ठाकुर, पर्यटक चंडीगढ़।
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लोग सिर्फ औपचारिकता निभा रहे हैं। पहले की तरह अपनापन व सामंजस्य आज नहीं रहा। सामाजिक व सास्कृतिक समाज पर सोशल मीडिया को एक नकारात्मक प्रहार की तरह मानते हैं।
-अमित, एमएससी छात्र।
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मैं इस दिन अपनी बहन से दूर होने के कारण निराश था, लेकिन सोशल मीडिया ने उन्हें वीडियो कॉल से इस त्योहार पर मिलवा कर खुशी दी।
-अभिजीत, पर्यटक, पश्चिम बंगाल।