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होशियार के न्याय पर भारी सिस्टम की सुस्ती

मंडी जिला के करसोग की सेरी कतांडा बीट में वनरक्षक होशियार सिंह की मौत मामले की जांच सुस्त हो गई है। इससे जुड़े वन कटान मामले में अब चार्जशाीट दाखिल होगी।

By JagranEdited By: Published: Fri, 21 Sep 2018 08:01 PM (IST)Updated: Fri, 21 Sep 2018 08:01 PM (IST)
होशियार के न्याय पर भारी सिस्टम की सुस्ती
होशियार के न्याय पर भारी सिस्टम की सुस्ती

रमेश सिंगटा, शिमला

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मंडी जिला के करसोग की सेरी कतांडा बीट में वनरक्षक होशियार सिंह की कथित हत्या की जांच पर सिस्टम की सुस्ती भारी पड़ी है। इस मामले ने पूरे हिमाचल को हिलाकर रख दिया था। होशियार की मौत के बाद जन आक्रोश सड़क पर उमड़ आया था लेकिन अब पौने दो वर्षो बाद सब खामोश हैं।

होशियार की दादी की बूढ़ी आंखों को न्याय की आस है। देश की सर्वोच्च जांच एजेंसी सीबीआइ की तफ्तीश की रफ्तार ढीली है। इसकी प्रमुख वजह अधिकारियों की कमी है। यह बात कोर्ट के ध्यान में भी लाई गई है। सीबीआइ को होशियार की मौत मामले की जांच पूरी करने में समय लगेगा। अभी इस मामले से जुड़े वन कटान को लेकर चार्जशीट दाखिल होगी। पिछले दिनों वन कटान के संबंध में आरोपित परशुराम, प्यारेलाल व हेतराम को गिरफ्तार किया गया था। इसमें से हेतराम को मंडी पुलिस भी गिरफ्तार कर चुकी थी। ये आरोपित मंडी जिले के रहने वाले हैं। हेतराम आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में पकड़ा गया था। अब वह वन कटान मामले में आरोपित है। तीन केस हुए थे दर्ज

हाइकोर्ट के आदेश पर सीबीआइ ने शिमला ब्रांच में पिछले साल 26 अक्टूबर को तीन अलग-अलग केस दर्ज किए थे। पहला केस हत्या का था। दो केस वन कटान व लकड़ी की चोरी से संबंधित थे। अभी वन कटान के एक केस की जांच पूरी नहीं हुई है। नहीं मिले हत्या के सुबूत

सीबीआइ जांच में होशियार की हत्या होने के सुबूत नहीं मिले हैं। जांच की दिशा लगभग वैसी ही है, जैसी स्टेट सीआइडी की रही। इससे पहले सीआइडी ने जांच की थी। जांच रिपोर्ट के मुताबिक मौत की वजह कीटनाशक दवा का सेवन करना था। इसमें इसे हत्या नहीं आत्महत्या कहा गया था। लेकिन इसके लिए उसे वन माफियाओं ने उकसाया था। क्या है मामला

होशियार सिंह पिछले साल पांच जून को लापता हुआ था। नौ जून को गुरजब के जंगल में उसका पेड़ से उल्टा लटका शव बरामद हुआ था। उसी दिन करसोग पुलिस ने हत्या का मामला दर्ज किया था पर होशियार के एक बैग की तलाशी दूसरे दिन ली गई जिसमें सुसाइड नोट मिला। इसके आधार पर पुलिस ने हत्या की धारा बदल ली। इसे आत्महत्या के लिए उकसाने की धारा में तब्दील कर दिया। इससे लोग पुलिस पर भड़क उठे। बाद में तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने सीआइडी जांच के आदेश दिए थे। इस मामले में वन विभाग की एसआइटी की जांच में क्षेत्र से 395 ठूंठ बरामद हुए थे। अवैध लकड़ी भी मिली थी। इससे पता चला कि बीट में अवैध कटान हुआ था। होशियार सिंह ने वन माफिया की शिकायत अधिकारियों से की थी पर उन्होंने कोई कार्रवाई नहीं की। तीन सुसाइड नोट मिले थे

सीआइडी ने तीन सुसाइड नोट बरामद किए थे। इनमें मौत के लिए कई लोगों को जिम्मेदार ठहराया था। इनमें घनश्याम, हेतराम, अनिल कुमार, लोभ सिंह, तेज सिंह आदि के नाम शामिल थे। इसके बाद पुलिस ने इन सबको गिरफ्तार किया। इनमें तेज सिंह बीओ के पद पर कार्यरत थे। 13 जून को वन कर्मी गिरधारी लाल भी गिरफ्तार हुआ था। पोस्टमार्टम में मिला था बिना पचा भोजन

वनरक्षक होशियार सिंह ने पांच जून को सुबह आठ बजकर 45 मिनट पर शिक्षक पवन के घर भोजन किया था। उसने दोपहर एक बजकर 17 मिनट पर दादी को अंतिम फोन कॉल की। उसके माता-पिता नहीं थे। होशियार का पोस्टमार्टम 10 जून को हुआ था। पांच दिन बाद भी उसके पेट में वैसा ही बिना पचा भोजन निकला था जैसा उसने पांच जून को किया था।


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