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अब प्यासे नहीं रहेंगे देश के छह राज्य, लखवार परियोजना के समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर

छह राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने बहुद्देश्यीय राष्ट्रीय परियोजना लखवार के समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।

By BabitaEdited By: Published: Wed, 29 Aug 2018 02:55 PM (IST)Updated: Wed, 29 Aug 2018 02:55 PM (IST)
अब प्यासे नहीं रहेंगे देश के छह राज्य, लखवार परियोजना के समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर
अब प्यासे नहीं रहेंगे देश के छह राज्य, लखवार परियोजना के समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर

शिमला, राज्य ब्यूरो। नई दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड व हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्रियों ने मंगलवार को नई दिल्ली में बहुद्देश्यीय राष्ट्रीय परियोजना लखवार के समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। केंद्रीय जल संसाधन मंत्री नितिन गडकरी की उपस्थिति में हस्ताक्षर हुए। यह परियोजना ऊपरी यमुना जलाशय में 4000 करोड़ रुपये से बनेगी। लखवार परियोजना से 2.67 लाख एकड़ फीट पानी का प्रबंधन होगा। इससे छह राज्यों में पानी की कमी से निजात मिलेगी और बिजली उपलब्धता बढ़ेगी।मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि हिमाचल को इस परियोजना के हिस्से के रूप में 3.15 फीसद पानी मिलेगा।

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परियोजना के जल घटक का राज्य हिस्से के रूप में आठ करोड़ रुपये का योगदान करेगा। यमुना व इसकी सहायक नदियों, उत्तराखंड व हिमाचल के क्षेत्रों में आने वाली टोंस व गिरि नदी पर तीन मुख्य जल भंडारण परियोजनाओं का निर्माण प्रस्तावित है। इसमें 330 मिलियन क्यूबिक मीटर (एमसीएम) लाइव स्टोरेज की बहुद्देश्यीय लखवार परियोजना, टोंस नदी से 300 मेगावॉट बिजली उत्पादन और हिमाचल प्रदेश

में 498 एमसीएम लाइव भंडारण वाली रेणुका परियोजना व गिरी नदी पर 40 मेगावॉट बिजली उत्पादन परियोजनाएं शामिल हैं।

यमुना नदी पर बनेगा 204 मीटर ऊंचा बांध लखवार परियोजना के लिए यमुना नदी पर जल भंडारण तथा 330 मेगावाट बिजली उत्पादन क्षमता वाले 204 मीटर ऊंचे बांध का निर्माण किया जाएगा। परियोजना से

79 एमसीएम स्वच्छ पेयजल आपूर्ति होगी। इससे यमुना नदी के प्रवाह में 65 फीसद की वृद्धि होगी और 34,000 हेक्टेयर अतिरिक्त भूमि की सिंचाई हो सकेगी। जल घटक परियोजना की 90 फीसद लागत केंद्र सरकार जबकि शेष 10 प्रतिशत हिस्सा राज्यों द्वारा वहन किया जाएगा। 12 मई 1994 के समझौता ज्ञापन के आधार पर आवंटित जल हिस्सेदारी के अनुपात के आधार पर राज्य खर्च वहन करेंगे। 

परियोजना के विद्युत घटक की लागत का वहन उत्तराखंड द्वारा किया जाएगा और वे ऊर्जा उत्पादन का लाभ प्राप्त करेंगे। परियोजना का निर्माण उत्तराखंड सरकार द्वारा 54 महीने के भीतर किया जाएगा। परियोजना के कार्यों की निगरानी अपर यमुना नदी बोर्ड द्वारा की जाएगी।


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