भू-राजस्व कानूनों की पेचीदगिया दूर करेंगी अब छह सब कमेटिया
राज्य ब्यूरो शिमला हिमाचल प्रदेश की भू-राजस्व कानूनों की पेचीदगियों को दूर करने के लिए विशेष
राज्य ब्यूरो, शिमला : हिमाचल प्रदेश की भू-राजस्व कानूनों की पेचीदगियों को दूर करने के लिए विशेषज्ञ समिति की अध्यक्षता में छह सब कमेटियों का गठन किया गया है। ये सब कमेटिया छह विधायकों की अध्यक्षता में गठित की गई हैं, जो पटवारियों के चक्कर काटने के साथ-साथ इंतकाल और डिमार्केशन में होने वाली देरी जैसी समस्याओं को दूर करेंगे।विधायक राम लाल ठाकुर, जगत सिंह नेगी, राकेश सिंघा, नरेन्द्र ठाकुर, बलवीर सिंह और बिक्रम जरियाल की अध्यक्षता में उप समितियों का गठन किया गया है। ये समितिया 30 नवंबर तक अपने सुझाव और रिपोर्ट देगी, जिसके आधार पर कानून में संशोधन किए जाएंगे। भू-कानूनों पर प्रदेश सरकार द्वारा गठित एक्सपर्ट कमेटी की बैठक मंगलवार को जल शक्ति एवं राजस्व मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर की अध्यक्षता में आयोजित की गई। बैठक के दौरान राजस्व विभाग से संबंधित कानूनों के सरलीकरण के लिए कार्यसूची की मदों पर विस्तृत चर्चा की गई जिसमें तकसीम, निशानदेही, इंतकाल, इंद्राज से संबंधित न्यायालय मामलों के शीघ्र निपटारे को लेकर कमेटी के सदस्यों ने अपने सुझाव दिए। महेंद्र सिंह ठाकुर ने कहा कि प्रदेश सरकार ने भूमिहीन एवं गृहहीन परिवारों को रिहायशी मकान के निर्माण के लिए ग्रामीण क्षेत्रो में तीन बिस्वा और शहरी क्षेत्रों में दो बिस्वा भूमि देने का प्रावधान किया है। जनजातीय क्षेत्रों में नौतोड़ नियमों के अंतर्गत, नौतोड़ भूमि आबंटन का प्रावधान है, लेकिन इन क्षेत्रों में भी वन संरक्षण अधिनियम के प्रावधान लागू होने के कारण भूमि का आबंटन नहीं हो पा रहा है। समिति ने इस समस्या पर गहन विचार किया तथा इसके निराकरण के लिए सुझाव दिए। इस बैठक में अतिरिक्त मुख्य सचिव, राजस्व आरडी धीमान, निदेशक भू-अभिलेख सीपी वर्मा, शिमला के बंदोबस्त अधिकारी मनमोहन शर्मा, वरिष्ठ अधिवक्ता जीडी. वर्मा, दीपक कौशल, भूपेंद्र गुप्ता, शशि पंडित व पवन कपरेट, सेवानिवृत्त अधिकारी उग्रसेन नेगी, इंद्रसिंह भारद्वाज, राकेश मेहता और सरकारी एवं गैर-सरकारी सदस्य उपस्थित हुए।
धारा-118 की कमियों को दूर करने
पर भी विचार
हिमाचल प्रदेश मुजारियत एवं भू-सुधार अधिनियम, 1972 की धारा 45, 104 व 118 पर विचार करने के उपरान्त इन्हें व्यावहारिक बनाने के लिए आवश्यक संशोधन का सुझाव दिया। बैठक में धारा-118 के प्रावधानों को इसके मूल उद्देश्यों की पूíत के लिए इसमें मौजूद कमियों को दूर करने पर विचार किया गया। 94902 मामले राजस्व न्यायालयों मे लंबित
प्रदेश में करीब 94902 मामले विभिन्न राजस्व न्यायालयों मे लंबित हैं।
इनमें तकसीम के 29313, निशानदेही के 18025, इंतकाल के 25251, दुरूस्ति इंद्राज के 2497, अतिक्रमण के 2837 और 16790 अन्य मामले हैं।