व्यापारी बोले, जीएसटी की राहत सिर्फ कागजों में ही
जीएसटी रिटर्न में वर्ष में तीन बार ही रिटर्न भरने के प्रावधान करने को कारोबारी कागजों में ही राहत करार दे रहे हैं। व्यापारियों का कहना है कि आखिर टैक्स तो हर माह देना पड़ रहा है जबकि रिटर्न साल में तीन बार की गई है। इसका लाभ छोटे व्यापारियों को ही मिल रहा है।
कहा, इसका लाभ सिर्फ छोटे व्यापारियों को ही मिल रहा
-कई व्यापारियों को हर माह देना पड़ रहा टैक्स
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राज्य ब्यूरो, शिमला : जीएसटी रिटर्न में वर्ष में तीन बार ही रिटर्न भरने के प्रावधान करने को कारोबारी कागजों में ही राहत करार दे रहे हैं। व्यापारियों का कहना है कि आखिर टैक्स तो हर माह देना पड़ रहा है जबकि रिटर्न साल में तीन बार की गई है। इसका लाभ छोटे व्यापारियों को ही मिल रहा है। इस लाभ से वह व्यापारी वंचित रह गए हैं जिन्होंने देरी से जीएसटी नंबर लिया या फिर रिटर्न फाइल नहीं कर पाए थे। अब जीएसटी फाइल करने के लिए तीन तिथियां 31 जनवरी, 30 अप्रैल और 31 अक्टूबर रखी गई हैं। इसके साथ ही एकमुश्त जीएसटी देने पर कोई पेनल्टी नहीं लगाई जाएगी।
प्रदेश में नब्बे हजार के करीब कारोबारी हैं जिन्होंने जीएसटी नंबर ले रखा है। सालाना बीस लाख से अधिक का कारोबार करने वाले व्यापारियों को जीएसटी नंबर लेना आवश्यक है। हालांकि प्रदेश में कारोबारियों का आंकड़ा लाखों में है। रिटर्न भरने से रह गए व्यापारियों को हजारों रुपये की रिटर्न न भरने पर पेनल्टी लगनी थी, जिसमें अब राहत मिली है। जीएसटी रिटर्न भरने में देरी पर प्रतिदिन 100 रुपये पेनल्टी का प्रावधान है।
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''जीएसटी रिटर्न के लिए साल में तीन तिथियों को निर्धारित करने से कोई लाभ नहीं है। यह केवल कागजों में ही लाभ है। हर माह टैक्स जमा करवाना पड़ रहा है। इसका लाभ छोटे व्यापारियों को ही है।''
-सोमेश शर्मा, अध्यक्ष प्रदेश व्यापार मंडल
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''रिटर्न न भरने वालों और देर से जीएसटी नंबर लेने वालों को राहत है। इससे जिन व्यापारियों ने रिटर्न नहीं भरी थी उन्हें पेनल्टी नहीं देना होगा।''
-कंवलजीत, महासचिव प्रदेश व्यापार मंडल