Shimla Politics: हिमाचल में श्रीलंका जैसे हालत हुए तो कांग्रेस होगी जिम्मेदार: जयराम ठाकुर
पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने मुख्यमंत्री पर हमला बोलते हुए कहा कि राज्य में श्रीलंका जैसे हालत होते हैं तो उसके लिए पूरी तरह से कांग्रेस जिमम्मेवार होगी। सत्ता परिवर्तन के बाद जो सरकार सत्ता में आती है उसको देनदारियां के रूप में कई खर्चे साथ में मिलते हैं।
शिमला, जागरण संवाददाता : पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने मुख्यमंत्री पर हमला बोलते हुए कहा कि राज्य में श्रीलंका जैसे हालत होते हैं तो उसके लिए पूरी तरह से कांग्रेस जिमम्मेवार होगी। सत्ता परिवर्तन के बाद जो सरकार सत्ता में आती है उसको देनदारियां के रूप में कई खर्चे साथ में मिलते हैं। इसमें डीए की किस्त हो या पेंशन की देनदारी हो। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू बार-बार 11000 करोड का राग गा रहे हैं । इसे कर्ज में जोड़ रहे है , ये बिल्कुल गलत है।
कांग्रेस सरकार ने लिया 2 से 3 गुना अधिक कर्ज
जब भाजपा भी सत्ता में आई थी तो हमें पूर्व कांग्रेस सरकार की देनदारियों को देना पड़ा था। ये हमने अदा किया था, शायद वर्तमान सरकार को यह सरल गणना समझ नहीं आ रही है। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार का अर्थशास्त्री कौन है,सलााहकार कौन है जो इस प्रकार के सुझाव सरकार को दे रहा है। हिमाचल प्रदेश पर कर्ज़ बड़ा है तो उसके कांग्रेस का सबसे बड़ा योगदान है।
हिमाचल प्रदेश में 10 बार कांग्रेस की सरकार रही है। जब भी कांग्रेस सरकार सत्ता में आई है तो भाजपा की सरकार से 2 से 3 गुना अधिक कर्ज लिया है। मुख्यमंत्री हिमाचल प्रदेश में श्रीलंका जैसे हाल होने की बात कह रहे हैं, यदि श्रीलंका जैसे हाल होते हैं तो उसके लिए भी सबसे बड़ी जिम्मेदार होगी।
10 गारंटियों को पूरा करने के लिए लगेंगे करोड़ों
जिस प्रकार के वादे उन्होंने जनता से किए हैं । जिसे वह 10 गारंटी के रूप में लाए थे, उससे सालाना हजारों करोड़ों का खर्चा प्रदेश का बढ़ जाएगा और हिमाचल में विकास कार्य ठप हो जाएगा। मुख्यमंत्री बार-बार कह रहे हैं कि मुझे 4 साल चाहिए इस प्रदेश की अर्थव्यवस्था सुधारने के लिए पर 4 साल बाद तो जनता ही इस सरकार को रुखसत कर देगी। प्रदेश में अगर हर महीने महिलाओं को 1500 रुपए दिए जाएंगे तो सालाना खर्च सरकार का 1895 करोड रुपए होगा । ऐसे ही हर गारंटी का लगभग इतना ही खर्च निकल कर सामने आएगा।
अपनी जिम्मेवारियों को भाग नहीं सकती सरकार
संस्थाओं को चलाने के खर्च को भी कर्ज में जोड़ा जा रहा है यह कैलकुलेशन भी बिलकुल गलत है। अगर संस्था खोला जाता है तो उससे विकास बढ़ता है, अब तो 620 से अधिक संस्थान बंद कर दिए है इन्हें बंद कर पैसा बचता नहीं है अपितु विकास बाधित होता है , यह कांग्रेस की सरकार को समझना चाहिए। कांग्रेस सरकार अपनी जिम्मेदारियों से भाग नहीं सकती है, किसी पर मढ़ नहीं सकती है।