शिमला में कैसे बने मुंबई का 'भिंडी बाजार'
नगर निगम के पार्षदों ने मुंबई के भिंडी बाजार का निरीक्षण किया तो 40 मंजिल से अधिक भवन को देखकर दंग रह गए।
शिमला, अजय बन्याल। स्मार्ट सिटी शिमला के लिए नगर निगम के पार्षदों ने मुंबई के भिंडी बाजार का निरीक्षण तो कर लिया, लेकिन अब शिमला में गगनचुंबी भवन बनाने की चिंता सताने लग गई है। भिंडी बाजार में 40 मंजिल से अधिक भवन बन रहे हैं, जिसके सात मंजिलों में शॉपिंग और पार्किंग की सुविधा है। जब शिमला के पार्षदों ने उक्त भवन को देखा तो दंग रह गए क्योंकि शिमला में एनजीटी के फैसले के बाद केवल ढाई मंजिल ही बना सकते हैं। ऐसे में अब निगम प्रशासन एवं स्मार्ट सिटी के अधिकारी चिंतित हैं।
असल में स्मार्ट सिटी बनाने और शहर को नया रूप देने के लिए लोअर बाजार से लेकर कृष्णानगर तक के सभी सैकड़ों पुराने और जर्जर भवन तोड़े जाएंगे। इनकी जगह मॉडर्न बिल्डिंग बनाई जाएंगी। इनमें पुराने भवनों से शिफ्ट होने वाले लोगों को बसाया जाएगा। स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में कुल 1248 करोड़ रुपये के बजट से लोअर बाजार, राम बाजार और कृष्णानगर वार्ड का कायाकल्प किया जाएगा। रि-डेवलपमेंट प्रपोजल में जल्द ही मुंबई के भिंडी बाजार की तर्ज पर अर्बन रिन्युअल स्कीम लाएगी। इसमें चरणबद्ध तरीके से काम शुरू किया जाएगा। नगर निगम के सब्जी मंडी स्थित क्वार्टर को तोड़कर नए भवन बनाने से इस योजना की शुरुआत की जाएगी। शहर में इस समय 300 से ज्यादा अनसेफ भवन हैं। इनमें से ज्यादातर इन्हीं तीनों वार्ड में हैं। पार्षद कमलेश मेहता ने कहा कि भिंडी बाजार में 40 मंजिल से अधिक भवन बन रहा है। शिमला में तो ऐसे नहीं बन सकते है। अगर बहुमंजिला बन जाए तो काफी सुविधा होगी। शिमला का कायाकल्प हो पाएगा।
ये नई सुविधाएं मिलेंगी
प्रोजेक्ट में तीन वाडरें के करीब 48 एकड़ एरिया में नए भवनों के अलावा नए होटल, कामर्शियल काॅम्पलेक्स, नए रोड, फुटपाथ, स्ट्रीट लाइट्स, सोलर पैनल, तहबाजारियों के लिए बाजार, भूकंप से बचने के लिए शेल्टर, मॉडर्न स्कूल आदि बनाए जाने की योजना है।
बनेगी पॉलिसी, ये भवन नहीं टूटेंगे योजना में
धार्मिक भवन, पक्के मकान और नए बन रहे भवन नहीं टूटेंगे। सिर्फ वही मकान तोड़े जाएंगे जो पुराने हो चुके हैं। सरकार इसके लिए अर्बन रिनुअल स्कीम तैयार करेगी, जिसमें टीसीपी की मदद से शहर को नया रूप देने की पॉलिसी बनाई जाएगी।
80 फीसद प्रापर्टी नगर निगम की एनआइटी के सर्वे के अनुसार इन तीनों वाडरें में 80 प्रतिशत प्रॉपर्टी एमसी की है। ऐसे में काम शुरू करने में दिक्कत नहीं आएगी। हर साल 10 प्रतिशत पुराने भवन हटाकर नए बनाने की योजना है। इन वाडरें में सबसे पहले खाली जगह का चयन होगा जहा भवन निर्माण किया जाएगा। फिर कुछ पुराने भवनों का तोड़ने के लिए चयन किया जाएगा। वहीं, उसमें रह रहे लोगों को पहले बन चुके नए भवन में शिफ्ट किया जाएगा। इससे लोगों को भी दिक्कत नहीं होगी और काम भी जारी रह सकेगा।
अवैध कब्जे करने वालों को भी राहत कृष्णानगर में अवैध कब्जा कर मकान बनाने वालों को राहत दी गई है। प्रोजेक्ट के तहत किसी को भी जगह छोड़ने की जरूरत नहीं होगी। चाहे वो अवैध कब्जे करने वाले ही क्यों न हो। इनके लिए भी नए मकान बनेंगे, लेकिन पॉलिसी के बाद ही तय होगा कि इन्हें किस आधार पर नए भवनों में ठहराया जाए।