शिमला-मटौर मार्ग को फोर लेन बनाने पर सरकार गंभीर
मटौर-शिमला राष्ट्रीय राजमार्ग प्रदेश के नौ जिलों को जोड़ता है और आ
राज्य ब्यूरो, शिमला : मटौर-शिमला राष्ट्रीय राजमार्ग प्रदेश के नौ जिलों को जोड़ता है और आर्थिक व पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण है। चिट्ठियां तो आती रहती हैं, लेकिन इसे फोरलेन बनाने के लिए विपक्ष से ज्यादा सरकार चिंतित है। इसलिए 14 सितंबर को केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी से यह मामला उठाया है। सचिव भूतल परिवहन राजमार्ग केंद्र सरकार ने एनएचएआइ को अगले आदेश तक इस राजमार्ग की मरम्मत का कार्य जारी रखने को कहा है। यह बात मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने शुक्रवार को विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री के प्वाइंट ऑफ ऑडर के तहत उठाए मामले के जवाब में कही।
शिमला-मटौर मार्ग 223 किलोमीटर लंबा है और इसे 15 सितंबर 2016 को एनएचएआइ को फोरलेन बनाने के लिए ट्रांसफर हुआ था। अभी तक यह मार्ग उसके पास ही है। तीन जुलाई को भूतल परिवहन व राजमार्ग मंत्रालय ने एनएचएआइ के अध्यक्ष को पत्र लिखा है, जिसमें 2887 किलोमीटर अनवॉयबिल्टी राष्ट्रीय राजमार्गो में इस सड़क का नाम भी शामिल है। एनएचएआइ ने 10 सितंबर को इस सड़क को राज्य लोक निर्माण विभाग को हस्तांतरण के लिए मंत्रालय से अनुरोध किया है। हालांकि पठानकोट-मंडी मार्ग अनवॉयबिल्टी की सूची में शामिल नहीं है।
कहां गए फोरलेन और एनएच : अग्निहोत्री
नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने प्वाइंट ऑफ आर्डर के तहत शिमला-मटौर मामला उठाते हुए कहा कि कहां हैं एनएच और फोरलेन। केंद्र सरकार के एनएच के वॉयबिल्टी प्रोजेक्ट की सूची में हिमाचल के किसी भी हाईवे का नाम नहीं है, जो आश्चर्यजनक है। प्रदेश सरकार ने एनएच व फोरलेन के दावे किए थे, जो जमीन पर कहीं नहीं हैं। केंद्रीय मंत्री ने प्रदेश के लिए एक ही बार करीब 65 हजार करोड़ रुपये के 69 एनएच मंजूर किए थे, लेकिन केंद्र के 10 सितंबर को आए पत्र में शिमला-मटौर फोरलेन प्रोजेक्ट को रद कर दिया है। योजना विभाग ने भी इस सड़क के हिस्सों को अनवॉयबिल्टी कहा था। इसी तरह पठानकोट-कांगड़ा-मंडी हाईवे भी खतरे में पड़ गया है।