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पुस्तकें कुछ कहना चाहती हैं, पर कहें किससे

शिमला के सौ साल पुराने राज्य पुस्तकालय में कई पुरानी पुस्तकें उपलब्ध हैं।

By JagranEdited By: Published: Tue, 13 Nov 2018 07:13 PM (IST)Updated: Tue, 13 Nov 2018 07:13 PM (IST)
पुस्तकें कुछ कहना चाहती हैं, पर कहें किससे
पुस्तकें कुछ कहना चाहती हैं, पर कहें किससे

रविंद्र शर्मा, शिमला

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शिमला के सौ साल पुराने राज्य पुस्तकालय के गांधी भवन में इतनी ही पुरानी पुस्तकें हैं। इनमें इंग्लैंड के इतिहास सहित सौ से अधिक पुरानी पुस्तकें एक कोने में पड़ी हैं। ये पुस्तकें कुछ कहना चाहती हैं..लेकिन सुनने वाला कोई नहीं।

राज्य पुस्तकालय शिमला में अंग्रेजों के जमाने की पुस्तकें अब कोई नहीं पढ़ता। हर दिन इनका मिलना धूल से ही होता है। पुस्तकालय के गांधी भवन में अंग्रेजों के इतिहास के पन्ने धूल में दम तोड़ रहे हैं। पुस्कालय में युवाओं को भीड़ जरूर रहती है, लेकिन पुरानी पुस्तकें पढ़ने की कोई रुचि नहीं लेता। वे अपने साथ प्रतियोगी परीक्षा की पुस्तकें लाते हैं और पुस्तकालय में जहां जगह मिल जाए वहीं बैठक कर पढ़ते हैं। ये वे युवा हैं जो रिज पर स्थित पुस्तकालय से पुस्तक इश्यू करवाते हैं और गांधी भवन में पढ़ाई करते हैं। राज्य पुस्तकालय का इतिहास

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वर्ष 1986 में इसे राज्य पुस्तकालय का दर्जा मिला और शिक्षा विभाग के अधीन आया। इससे पहले यह नगर निगम की लाइब्रेरी थी। वर्ष 1918 के दौरान यह स्टेशन लाइब्रेरी हुआ करती थी। ब्रिटिश लेखकों की कई पुरानी पुस्तकें गांधी भवन में मौजूद हैं। बैठने की पर्याप्त व्यवस्था नहीं

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राज्य पुस्तकालय के दो भवन हैं। एक रिज मैदान पर और दूसरा इवनिंग कॉलेज के पास गांधी भवन में। रिज मैदान के पास भवन में बैठने की व्यवस्था कम है और दूसरे में व्यवस्था नहीं है। हालात ऐसे हैं कि गांधी भवन में जमीन पर टाट-पट्टी बिछाई गई है। अलमारियों और पुस्तकों के रैक के बीच में बैठकर पढ़ना मजबूरी है। रिज मैदान पर पुस्तकालय में केवल साठ सदस्यों के बैठने की व्यवस्था है, जबकि गांधी भवन में 180 सदस्य बैठते हैं। सुबह साढ़े चार बजे लगती है लाइन

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पुस्तकालय के दोनों भवनों में युवा ही पढ़ते नजर आते हैं। सभी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करते हैं। गांधी भवन में सुबह साढ़े चार बजे से पुस्तकालय के बाहर लाइनें लगनी शुरू हो जाती हैं। कई युवा सीट न मिलने के कारण वापस लौट जाते हैं। पुस्कालय में पुस्तकें और सदस्य

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पुस्तकों की संख्या : 75000

व्यस्कों के लिए पुस्तकें : 36000

बच्चों के लिए पुस्तकें : 7800

प्रतियोगी परीक्षा की पुस्तकें : 3200

गांधी भवन में पुरानी पुस्तकें : 28000

सदस्यों की संख्या

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4 से 14 आयु वर्ग के सदस्य : 3832

14 से अधिक आयु के सदस्य : 17,473

हर साल पंजीकरण करवाने वाले नए सदस्यों की औसतन संख्या : 2000 200 रुपये में पूरी उम्र के लिए सदस्यता

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राज्य पुस्तकालय में 200 रुपये में उम्र भर के लिए सदस्यता दी जाती है। यदि सदस्य शिमला छोड़ कर दूसरे स्थान पर जाता है तो राज्य पुस्तकालय शुल्क को रिफंड कर देता है। बच्चों के लिए अलग से सदस्यता शुल्क लिया जाता है। 4 से 14 वर्ष तक की आयु वर्ग से 50 रुपये सदस्यता शुल्क लिया जाता है।


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