शिमला फेस्ट से गायब पहाड़ी संस्कृति
जागरण संवाददाता, शिमला : शिमला फेस्ट यानी पहाड़ी संस्कृति और लोक गीतों का उत्सव। लेकिन
जागरण संवाददाता, शिमला : शिमला फेस्ट यानी पहाड़ी संस्कृति और लोक गीतों का उत्सव। लेकिन इसमें हिंदी और पंजाबी गाने गाए जा रहे हैं। पहाड़ी कलाकार भी पंजाबी और हिंदी फिल्मों के गानों की ही प्रस्तुतियां दे रहे हैं। हां, अगर कोई भूले से पहाड़ी गीत गाता है तो उसका अभिवादन तालियों से ही नहीं सीटियों से भी किया जा रहा है। पर्यटक और स्थानीय लोग भी पहाड़ी गानों को खूब पसंद कर रहे हैं। जब भी कोई कलाकार पहाड़ी तरानों छेड़ता है तो पंडाल में उपस्थित दर्शक झूम उठते हैं, लेकिन ऐसे पल शिमला फेस्ट में विरले ही देखने को मिल रहे हैं। शुक्रवार को आधुनिक वस्त्र पहनकर एपीजी विश्वविद्यालय की छात्राओं ने फैशन शो की प्रस्तुति दी। लेकिन इस दौरान बारिश शुरू हो गई और एकदम पंडाल खाली हो गया।
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नहीं चुनी जाएगी मिस शिमला
जिला प्रशासन ने हिमाचल की संस्कृति और सभ्यता को संजोए रखने के लिए समारोह से मिस शिमला प्रतियोगिता को हटा दिया है। इसके बदले सिर्फ हिमाचली फैशन शो करवाया गया। फिल्म इंडस्ट्री में अपना करियर बनाने वाली शिमला की युवतिया मिस शिमला का ताज पहनना पंसद करती हैं। सैकड़ों लड़किया हर साल इस प्रतियोगिता में हिस्सा लेती थीं जो लड़की विजेता बनती थी, उसे बालीवुड और टीवी इंडस्ट्री में एंट्री का मौका मिल जाता था, मगर प्रशासन ने इस बार उनकी उम्मीद के सारे रास्ते बंद कर दिए। हालांकि प्रशासन तर्क यह है कि हिमाचली संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए हिमाचली कार्यक्रम ही प्रस्तुत किए जाएंगे, लेकिन मंच से हिमाचली गीत कम और हिंदी और पंजाबी गीत ज्यादा गाए जा रहे हैं।
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कई प्रतिभागी कर रही हैं धारावाहिकोंमें काम
शिमला फेस्ट का आकर्षण मिस शिमला का चुना जाना था। मिस शिमला बनने वाली प्रतिभागियों ने देश भर में नाम कमाया है। मिस शिमला रुबीना धलैक छोटी बहू सीरियल में अभिनय कर चुकी हैं। शिव्या पठानिया हमसफर में अभिनय कर रही हैं। शगुन जस्वाल, अनन्या और प्रिया चौहान टॉप मॉडल में मुंबई में लोहा मनवा चुकी हैं। कई युवतिया पंजाब में मॉडल के तौर पर काम कर रही हैं।
मिस शिमला प्रतियोगिता 1993 से निजी संस्था द्वारा करवाई जाती थी। 2004 में जिला प्रशासन ने मिस शिमला प्रतियोगिता करवाने का फैसला लिया। गत वर्ष भी इस प्रतियोगिता में 100 से अधिक युवतियों ने ऑडिशन दिया था।
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स्कूली बच्चों की प्रस्तुतियां रही सराहनीय
शिमला फेस्ट की दूसरी सांस्कृतिक संध्या में राजधानी के स्कूली बच्चों की प्रस्तुतियां सराहनीय रही। कार्यक्रम की शुरुआत राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला लक्कड़ बाजार द्वारा नाटी की गई, जिसने दर्शकों की खूब तालियां बटोरी। सेंट एडवर्ड स्कूल तराना व कथक जुगलबंदी ने खूब धमाल मचाया। राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला लालपानी द्वारा पंजाबी भंगड़ा, लॉरेटो पब्लिक स्कूल ढली मिलाजुला भारतीय नृत्य प्रस्तुत किया। इस दौरान अन्य राज्यों से आए पर्यटकों सहित स्थानीय लोगों ने कार्यक्रम का खूब लुत्फ उठाया। कार्यक्रम का आकर्षण हिमाचली गायक संजीव दीक्षित, कृतिका तनवर व सुनील राणा प्रस्तुति रही। फ्यूजन डास कंपीटिशन तथा स्थानीय कलाकारों द्वारा भी कार्यक्रम प्रस्तुत किया। कुल्लू के लोकनृत्य दल ने पारंपरिक लोक नृत्य की प्रस्तुति ने समा बांधा।