दफ्तरों में नहीं खेतों में जाएं कृषि वैज्ञानिक
राज्य ब्यूरो, शिमला : प्रदेश के कृषि वैज्ञानिकों को दफ्तरों से बाहर निकलकर खेतों में जाना
राज्य ब्यूरो, शिमला : प्रदेश के कृषि वैज्ञानिकों को दफ्तरों से बाहर निकलकर खेतों में जाना होगा। कृषि मंत्री डॉ. रामलाल मारकंडेय ने वैज्ञानिकों के लिए भी 100 दिन के कामकाज का लक्ष्य तय किया है। उन्हें हिमाचल की जीडीपी यानी सकल घरेलू उत्पाद को बढ़ाने के लिए ठोस प्रस्ताव देने होंगे। इसमें कैसे और कितने फीसद तक बढ़ोतरी हो सकती है, इस बारे में बताना होगा।
मौजूदा वक्त में आर्थिक सर्वेक्षण 2016-17 के अनुसार कृषि और इससे संबंधित क्षेत्रों का सकल घरेलू उत्पाद में करीब 10 प्रतिशत का योगदान है। हिमाचल देश का अकेला ऐसा राज्य है, जिसकी 2011 की जनगणना के अनुसार 89.96 फीसद जनसंख्या ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है। कृषि, बागवानी पर लोगों की निर्भरता अधिक है। कृषि से राज्य के कुल कामगारों में से लगभग 62 प्रतिशत रोजगार उपलब्ध होता है। ऐसे में किसानी प्रदेश की आय का प्रमुख स्रोत है।
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कितनी जोत हैं यहां
आर्थिक सर्वेक्षण के आंकड़ों के अनुसार प्रदेश के कुल 55.67 लाख हेक्टेयर भौगोलिक क्षेत्र में 9.55 लाख हेक्टेयर क्षेत्र 9.61 लाख किसानों द्वारा जोता जाता है। औसतन जोत 1.00 हेक्टेयर है। कुल जोते गए क्षेत्रों में 80 प्रतिशत क्षेत्र वर्षा पर आधारित है।
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कितना खाद्यान उत्पादन
प्रदेश में वर्ष 2015-16 कृषि के लिए अच्छा रहा। वर्ष खाद्यान उत्पादन वर्ष 2014-15 में 16.08 लाख मी. टन हुआ। वर्ष 2015-16 में यह बढ़कर 16.34 हो गया। आलू उत्पादन वर्ष 2014-15 में 1.81 लाख मी. टन हुआ। जबकि वर्ष 2015-16 में यह 1.83 हो गया। राज्य की कृषि जलवायु नकद फसलों जैसे बीज, आलू, अदरक, बेमौसमी सब्जियों के उत्पादन के लिए उपयुक्त हैं।
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बड़ी नदियों से बनेंगी कृषि सिंचाई स्कीमें
कृषि विभाग बड़ी नदियों से सिंचाई के लिए नई स्कीमें तैयार करेगा। इसके लिए प्रोजेक्ट तैयार करने को कहा गया है। इसे वित्त पोषण के लिए केंद्र सरकार को भेजा जाएगा।
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कृषि वैज्ञानिकों को जीडीपी बढ़ाने के लिए प्रस्ताव तैयार करने के कहा गया है। इसमें कैसे इजाफा हो, इस बारे में ठोस प्रस्ताव देने होंगे। वैज्ञानिकों की सेवाओं का सरकार बेहतरीन उपयोग करेगी।
-डॉ. रामलाल मार्कडेय, कृषि मंत्री।