मेधावी विद्यार्थियों के करोड़ों हड़पने वाले नपेंगे
मेधावी छात्रों का करोड़ों रुपये डकारने वाले अब नपने तय हैं।
राज्य ब्यूरो, शिमला : मेधावी छात्रों का करोड़ों रुपये डकारने वाले अब नपने तय हैं। हिमाचल समेत दूसरे राज्यों के सैकड़ों संस्थान जांच की जद में आएंगे। ढाई सौ करोड़ के घोटालेबाजों पर सीबीआइ का शिकंजा कसेगा। पुलिस थाना छोटा शिमला में दर्ज एफआरआर ही सीबीआइ जांच का आधार बनेगी। छात्रवृत्ति को देश की प्रमुख जांच एजेंसी शिकायत नहीं बल्कि घोटाला समझेगी। अभी तक सरकार की सिफारिश को मात्र शिकायत समझा जा रहा था। अब सरकार एफआइआर का पूरा रिकॉर्ड सौंपेगी। इसे सौंपते ही सीबीआइ अलग से नियमित केस दर्ज करेगी। यह केस शिमला यूनिट में दर्ज हो सकता है। हालांकि बिना प्राथमिकी दर्ज किए भी इस मामले में पैनी निगाह रखी जा रही थी। सरकार ने की है सीबीआइ जांच की सिफारिश
राज्य सरकार ने मामले में सीबीआइ जांच की सिफारिश की है। इस केस को सरकार ने केंद्र सरकार के कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) को भेजा। वहां से इसे सीबीआइ के पास दिया गया। सीबीआइ ने पिछले दिनों प्रदेश सरकार को पत्र लिखकर पूछा था कि क्या इस बारे में हिमाचल में कोई प्राथमिकी दर्ज है या नहीं? इससे संबंधित कुछ और जानकारियां भी मांगी गई थी। अब गृह विभाग के निर्देश पर शिक्षा विभाग ने घोटाले के जांच अधिकारी रहे शक्ति भूषण की शिकायत पर प्राथमिकी दर्ज करवाई है। क्या है मामला
घोटाले की जांच से पता चला है कि छात्रवृत्ति की कुल रकम का करीब 80 फीसद बजट मात्र 11 फीसद निजी संस्थानों के छात्रों को दिया गया है। 2013-14 से 2016-17 तक 924 निजी संस्थानों के विद्यार्थियों को 210.05 करोड़ और 18682 सरकारी संस्थानों के छात्रों को मात्र 56.35 करोड़ रुपए छात्रवृत्ति के दिए गए। जनजातीय क्षेत्रों के छात्रों को कई साल तक छात्रवृत्ति नहीं मिल पाई। ऐसे ही एक छात्र की शिकायत पर इस फर्जीवाड़े से पर्दा उठा है। शिक्षा विभाग की जांच रिपोर्ट के मुताबिक 2013-14 से 2016-17 तक प्री और पोस्ट मेट्रिक स्कालरशिप के तौर पर छात्रों को कुल 266.32 करोड़ दिए गए। इनमें गड़बड़ी पोस्ट मैट्रिक स्कालरशिप में हुई है। पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप में कुल 260 करोड़ 31 लाख 31 हजार 715 रुपये दिए गए हैं। छात्रवृत्ति की जो राशि प्रदेश के छात्रों को मिलनी थी, उसे देशभर के अलग-अलग क्षेत्रों में गलत तरीके से बांटे जाने का आरोप है। अभी सीबीआइ के पास केस नहीं पहुंचा है। केस दर्ज करने के लिए केंद्र सरकार के कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग की मंजूरी का इंतजार है।
अभिषेक दयाल, प्रवक्ता सीबीआइ, दिल्ली मुख्यालय