शिक्षा विभाग के चार कर्मचारियों से कई घंटे पूछताछ
265 करोड़ के छात्रवृत्ति घोटाले को लेकर शिक्षा विभाग के चार और कर्मचारी निशाने पर आ गए हैं। सूत्रों के अनुसार इनकी कभी भी गिरफ्तारी हो सकती है। इनसे पूछताछ का पहला राउंड पूरा हो गया है। अब दूसरा राउंड चलेगा। सोमवार को भी कई घंटे तक कड़ी पूछताछ की गई। जांच से पता चला है कि ये कर्मी भी छात्रवृत्ति डकारने के खेल में संलिप्त थे और निजी संस्थानों से कमीशन वसूलते थे। सीबीआइ की जांच में भी इनकी संलिप्ता सामने आई है। अधीक्षक अरविद राजटा के बाद इनकी गिरफ्तारी तय मानी जा रही है। राजटा केसी ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशन के उपाध्यक्ष हितेश गांधी और सैंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के हैड कैशियर एसपी सिंह पहले ही गिरफ्तार हो चुके हैं। इनके खिलाफ
राज्य ब्यूरो, शिमला : शिक्षा विभाग में 265 करोड़ के छात्रवृत्ति घोटाले में विभाग के चार और कर्मचारी निशाने पर आ गए हैं। सीबीआइ कभी भी इन्हें गिरफ्तार कर सकती है। पहली चार्जशीट में इन्हें आरोपित बनाया जा सकता है।
सूत्रों के अनुसार सोमवार को इनसे कई घंटे तक पूछताछ की गई। सीबीआइ जांच में पता चला है कि ये भी छात्रवृत्ति डकारने के खेल में संलिप्त थे और निजी संस्थानों से कमीशन वसूलते थे। अधीक्षक अरविद राजटा के बाद इनकी गिरफ्तारी तय मानी जा रही है। सीबीआइ ने अब तक अरविंद राजटा, केसी ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशन के उपाध्यक्ष हितेश गांधी और सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के हेड कैशियर एसपी सिंह को गिरफ्तार किया है। इनके खिलाफ चार्जशीट तैयार की जा रही है। 15-20 दिन में इसे कोर्ट में दाखिल किया जा सकता है। सीबीआइ की अब तक की जांच में सामने आया है कि छात्रवृत्ति हड़पने के लिए निजी शिक्षण संस्थानों ने बड़े पैमाने पर अनियमिताएं बरतीं। छात्रों की जाति को भी बदल दिया गया। कई निजि संस्थानों ने तो पढ़ाई पूरी कर चुके विद्यार्थियों को भी फर्जी तरीके से छात्र दिखाया और विषय बदल कर छात्रवृत्तियां हड़पी। छात्रवृत्तियां हड़पने के लिए डे-स्कॉलर को फर्जी तरीके से हॉस्टलियर दर्शाया गया। छात्रवृत्ति हड़पने के लिए राज्य के बाहर बैंकों में खाते खोले गए। छात्रवृत्ति आवंटन के लिए कुछ संस्थानों पर ज्यादा मेहरबानी की गई। आवेदनों को बिना जांच-परखे छात्रवृत्तियां जारी हुई। निजी संस्थानों पर विभाग खासा मेहरबान रहा। चंडीगढ़ और कालाअंब के संस्थान को 35 करोड़ से अधिक की राशि जारी कर दी। चार अन्य संस्थान ऐसे हैं, जिन्हें 10 करोड़ से अधिक की राशि जारी की गई।
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क्या है छात्रवृत्ति घोटाला
2013-14 से 2016-17 तक 924 निजी संस्थानों के विद्यार्थियों को 210.05 करोड़ रुपये और 18682 सरकारी संस्थानों के विद्यार्थियों को मात्र 56.35 करोड़ रुपये छात्रवृत्ति के दिए गए। आरोप है कि कई संस्थानों ने फर्जी दस्तावेजों के आधार छात्रवृत्ति की मोटी रकम हड़प ली। जनजातीय क्षेत्रों के विद्यार्थियों को कई साल तक छात्रवृत्ति नहीं मिल पाई। ऐसे ही एक छात्र की शिकायत पर इस फर्जीवाड़े से पर्दा उठा। शिक्षा विभाग की जांच रिपोर्ट के मुताबिक 2013-14 से 2016-17 तक प्री और पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप के तौर पर विद्यार्थियों को 266.32 करोड़ रुपये दिए गए। इनमें गड़बड़ी पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप में हुई है। इस छात्रवृत्ति में कुल 260 करोड़ 31 लाख 31,715 रुपये दिए गए हैं। छात्रवृत्ति की जो राशि प्रदेश के विद्यार्थियों को मिलनी थी, उसे देशभर के अलग-अलग क्षेत्रों में गलत तरीके से बांटे जाने का आरोप है।