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Himachal News: हिमाचल में 12 साल पहले लागू हुआ RTE एक्ट, हर महीने मिलते हैं 3924 रुपये, फिर भी आवेदन नहीं

निदेशक प्रारंभिक शिक्षा ने सभी निजी स्कूलों को निर्देश दिए कि पहली कक्षा में दाखिलें के दौरान व उससे पहले सभी विद्यालय नोटिस बोर्ड स्कूल गेट के नजदीक अन्य प्रमुख जगहों बस अड्डे के आसपास पंचायत घर में नोटिस बोर्ड लगाए।

By Jagran NewsEdited By: Narender SanwariyaPublished: Mon, 27 Mar 2023 04:41 AM (IST)Updated: Mon, 27 Mar 2023 04:41 AM (IST)
Himachal News: हिमाचल में 12 साल पहले लागू हुआ RTE एक्ट, हर महीने मिलते हैं 3924 रुपये, फिर भी आवेदन नहीं
हिमाचल में 12 साल पहले लागू हुआ RTE एक्ट, हर महीने मिलते हैं 3924 रुपये, फिर भी आवेदन नहीं

शिमला, जागरण संवाददाता, शिक्षा का अधिकार (आरटीई) अधिनियम 2009 के तहत आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों को निशुल्क शिक्षा का प्रावधान है। हिमाचल में 2010 में इस एक्ट को लागू किया गया। इसके तहत 25 फीसद सीटें निजी स्कूलों में आरक्षित रखा जाता है। देशभर में इन सीटों के लिए मारामारी है। लेकिन राजधानी शिमला के निजी स्कूलों में इसके लिए आवेदन ही नहीं आ रहे हैं। वह भी तब जब फीस को लेकर बड़े आंदोलन शिमला में पूर्व में हुए हैं। नियमों की जानकारी न होने के चलते यह स्थिति है।

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मामला हाईकोर्ट पहुंचा तो शिक्षा विभाग हरकत में आ गया है। शिक्षा विभाग इसको लेकर अब लगातार बैठकों का आयोजन कर रहा है। पहली कार्यशाला शिमला स्थित प्रारंभिक शिक्षा निदेशालय में हुई। इसके बाद जिला स्तर पर उप शिक्षा निदेशक इसको लेकर स्कूल प्रबंधकों के साथ बैठकें कर रहे हैं।

सरकार देगी हर महीने 3924

आरटीई के तहत सरकार ने जो नियम बनाए हैं उसके तहत आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों को प्रति महीने सरकार की तरफ से 3924 दिए जाएंगे। यह फीस के लिए होंगे। इसके लिए स्कूल की तरफ से ही आवेदन करना होगा। उन्हें विभाग को बताना होगा कि स्कूल में किस क्लास में कितने बच्चें इस श्रेणी के है। इस से ज्यादा यदि किसी स्कूल की फीस है तो वह अभिभावकों केा खुद वहन करना पड़ेगा।

क्या है नियम

शिक्षा का अधिकार अधिनियम यानि आरटीई के तहत निजी स्कूलों के लिए कुल दाखिल बच्चों में से समाज के आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए 25 फीसद सीटों पर दाखिला देना जरूरी किया गया है। यह दाखिला बीपीएल परिवारों से संबंधित या विकलांगता से युक्त बच्चों को देना होता है। एससी, एसटी परिवारों के बच्चों को भी प्राथमिकता दी जाती है। हिमाचल में आरटीई एक्ट 2010 में लागू हुआ था। इस पर नियम सपष्ट नहीं थे। पूर्व कांग्रेस सरकार के समय में इसके लिए नियम बनाए गए थे। इसके लिए बच्चे के घर से स्कूल की दूरी सुनिश्चित की गई थी। नियमों के तहत निजी स्कूल बच्चों को दाखिला देते थे और इस का खर्च राज्य सरकार वहन करती है। आरटीई के तहत ऐसा करने की व्यवस्था लागू करने के निर्देश पहले से ही हैं, मगर अब इसे सरकार सख्ती से लागू कर रही है।

निदेशक प्रारंभिक शिक्षा घनश्याम चंद ने कहा कि प्रदेश निजी स्कूल एसोसिएशन व स्कूल प्रबंधकों के साथ बैठक की है। शिमला शहर के स्कूलों के साथ अलग से बैठक की है। इसमें नियम के बारे में जानकारी दी गई। स्कूलों को आरटीई एक्ट का सख्ती से पालन करने को कहा गया है। स्कूलों को कहा गया है कि वह इसका ज्यादा से ज्यादा प्रचार प्रसार करें ताकि पात्र विद्यार्थी दाखिला ले सकें।इनके लिए छूटआरटीई यानि राइट टू एजुकेशन एक्ट-2009 में जो विद्यालय जो अल्पसंख्यक श्रेणी के तहत आते है उनके लिए इस एक्ट में छूट है। यानि उनके लिए यह नियम लागू नहीं होता। इसका प्रावधान पहले से हैं।

अब यह दिए निर्देश

निदेशक प्रारंभिक शिक्षा ने सभी निजी स्कूलों को निर्देश दिए कि पहली कक्षा में दाखिलें के दौरान व उससे पहले सभी विद्यालय नोटिस बोर्ड, स्कूल गेट के नजदीक, अन्य प्रमुख जगहों, बस अड्डे के आसपास, पंचायत घर में नोटिस बोर्ड लगाए। उसमें बताए कि आरटीई एक्ट 2009 के तहत सभी निजी स्कूल 25 फीसद कोटा आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के बच्चों के लिए आरक्षित रखे।


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