कभी भी कहर ढा सकता है शिमला का रिज मैदान, पड़ रहीं है मोटी दरारें
शिमला का ऐतिहासिक रिज मैदान कभी भी दरक सकता है, इस पर तीन इंच मोटी दरारें पड़ गई हैं।
शिमला, जेएनएन। ऐतिहासिक रिज मैदान पर पड़ी दरारें चौड़ी होती जा रही हैं। रिज पर दो से तीन इंच मोटी दरारें पड़ गई हैं। इससे कभी भी रिज मैदान दरक सकता है। रिज ही नहीं दरकेगा, पूरी तिब्बतियन मार्केट तबाह हो जाएगी। प्रशासन ने दरारों के स्थान पर बैरिकेड्स लगाकर अपना कार्य पूरा समझ लिया है। रिज को धंसने से बचाने के लिए कोई प्रयास नहीं किया जा रहा है। रिज का एक हिस्सा तो करीब एक फीट तक धंस गया है। 2011 में भी रिज का एक हिस्सा गिर गया था। कई दुकानें भी क्षतिग्रस्त हुईं थी, लेकिन जिला प्रशासन और नगर निगम गंभीर नहीं हुआ। हर साल की तरह इस साल भी स्थायी समाधान न करके इसकीलीपापोती की जा रही है। ऐतिहासिक रिज मैदान के धंसने पर शहर के बुजुर्ग काफी चिंतित हैं। उनका कहना है कि शिमला स्मार्ट सिटी में आ चुका है और केंद्र की तरफ से पैसे की कोई कमी नहीं है, लेकिन स्थानीय प्रशासन का ढीला रवैया बेहद चिंताजनक है।
रिज धंसा तो टैंक को भी खतरा
रिज मैदान के नीचे शिमला शहर को जल आपूर्ति करने वाला टैंक है। यदि रिज मैदान का यह हिस्सा धंस गया तो टैंक को भी खतरा हो सकता है, जिससे समूचे शहर में तबाही मच सकती है। शिमला का पूरा नॉर्थ जोन बह सकता है।
सिंकिंग जोन होने के बावजूद बसा दी मार्केट
वर्ष 2011 में रिज मैदान के धंस रहे हिस्से को सिंकिंग जोन घोषित किया था। उस समय यहां पर स्थित तिब्बतियन मार्केट हो हटाने की योजना बनाई गई। कुछ दिन तक यह कार्रवाई चलती रही, लेकिन समय बीतने के साथ प्रशासन भी भूल गया और फिर से उक्त स्थान पर मार्केट बसा दी।
भारी बारिश से शहर में जगह-जगह भूस्खलन हुआ है। रिज मैदान पर भी काफी दरारें दिखाई दे रही हैं। दरारों को बंद करने के लिए निगम अधिकारियों को निर्देश जारी किए हैं। जैसे ही मौसम साफ होता है तो इसे ठीक करने का काम शुरू कर दिया जाएगा।
-कुसुम सदरेट, महापौर नगर निगम शिमला।
नौ जिलों में कहर मचा सकती है भारी बारिश
प्रदेश में दो दिन में बरसात कहर मचा सकती है। मौसम विभाग ने नौ जिलों में सोमवार व मंगलवार को भारी बारिश की चेतावनी जारी की है। लाहौल स्पीति, किन्नौर और चंबा को छोड़कर अन्य जिलों में मूसलधार बारिश हो सकती है। ऐसे में प्रदेश के लोगों की मुश्किलें और बढ़ सकती हैं। कुछ दिन से जारी भारी बारिश से जनजीवन पूरी तरह से अस्त-व्यस्त हो गया है। कुल्लू और मंडी जिले में हो रही भारी बारिश से लोगों का घरों से बाहर निकलना मुश्किल हो गया है। कांगड़ा और पालमपुर में भी भारी बारिश होने के कई स्थानों पर मार्ग अवरुद्ध हैं।
राजधानी शिमला में भी हालांकि रुक-रुक कर बारिश हो रही है, लेकिन ऊपरी क्षेत्रों में जमकर मेघ बरसे। इस कारण सेब तूड़ान में बागवानों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। सड़कें कच्ची होने और भूस्खलन की वजह से बंद होने से मंडियों तक सेब को पहुंचाना मुश्किल हो रहा है।
प्रदेश में चौबीस घंटे के दौरान अधिकांश स्थानों पर बारिश रिकॉर्ड की गई है। सबसे अधिक बारिश धर्मशाला
में 92 मिलीमीटर में हुई। गगल में 49, जोगेंद्रनगर में 45, पालमपुर में 42, सुजानपुर टीहरा 41, बैजनाथ 37, नगरोटा सूरियां 32 और मनाली में 11 मिलीमीटर बारिश हुई। मौसम विभाग की माने तो पश्चिमी हवाएं प्रदेश की ओर बढ़ रही हैं। ऐसे में 20 व 21 अगस्त को मध्यम ऊंचाई व मैदानी क्षेत्रों में जमकर बारिश होगी।
कोटरोपी में 23 दिन बाद एनएच बहाल
जिला मंडी के कोटरोपी में 23 दिन से बंद मंडी-पठानकोट राष्ट्रीय राजमार्ग आखिर रविवार को बहाल हो
गया। लंबे इंतजार के बाद एनएच और एनएचएआइ के संयुक्त प्रयासों से रविवार शाम चार बजे मार्ग पर वाहनों की आवाजाही शुरू हुई। यहां नाले के पानी की निकासी के लिए अस्थायी रूप से बहाव बदलकर मार्ग को बहाल किया गया।
प्रशासन की ओर से तहसीलदार पद्धर प्रकाश चंद ने सुबह ही घटनास्थल पर पहुंच कर स्थिति का जायजा लिया। जबकि एनएचएआइ के तकनीकी सलाहकार सतीश नाग, एनएच मंडल जोगेंद्रनगर के अधिशाषी अभियंता राजीव शर्मा, एसडीओ सुमन कुमार और जेई टेक चंद ठाकुर सुबह से ही घटनास्थल पर जुटे रहे। दोपहर दो बजे एनएचएआइ के प्रोजेक्ट डायरेक्टर संजीव गौड़ ने घटनास्थल पर पहुंचकर जायजा लिया।
वहीं एसडीएम पद्धर आशीष शर्मा ने दोपहर तीन बजे घटनास्थल पर पहुंच कर सड़क का जायजा लेने के उपरांत एनएच और एनएचएआई के अधिकारियों के साथ समीक्षा की। फिर घटनास्थल पर तैनात प्रशासन ने मार्ग बहाल को झंडी दे दी। पहला वाहन सांसद रामस्वरूप शर्मा का क्रॉस हुआ।