हिमाचल में पदोन्नति में आरक्षण पर रोक
महासंघ के नेताओं ने बताया कि 10 अगस्त को ट्रिब्यूनल ने आदेश पारित कर प्रदेश में पदोन्नति में दिए जा रहे मौजूदा आरक्षण पर रोक लगा दी है।
शिमला, राज्य ब्यूरो। हिमाचल में पदोन्नति में मौजूदा आरक्षण पर प्रदेश प्रशासनिक ट्रिब्यूनल ने रोक लगा दीहै। हिमाचल प्रदेश सामान्य वर्ग कर्मचारी कल्याण महासंघ ने इसे चुनौती दी थी। सर्वोच्च न्यायालय ने पदोन्नतियों में आरक्षण के लिए राज्य सरकारों को तीन स्तरीय आधार पर रिपोर्ट बनाने के लिए कहा है। इसके बाद हिमाचल प्रदेश मंत्रिमंडल में 2013 में रिपोर्ट तैयार की गई और पदोन्नति में आरक्षण की आवश्यकता से इन्कार किया था।
इस संबंध में 31 अक्टूबर 2013 को अधिसूचना जारी कर दी गई। इसके बाद भी इन वर्गों को पदोन्नति में आरक्षण दिया जाता रहा। सामान्य वर्ग कर्मचारी कल्याण महासंघ के अध्यक्ष प्रदीप जसवाल व महासचिव भूतेश्वर चौहान ने प्रेस बयान में बताया कि पदोन्नति प्रक्रिया को ट्रिब्यूनल में चुनौती दी गई थी और फैसला उनके पक्ष में आया। महासंघ के नेताओं ने बताया कि 10 अगस्त को ट्रिब्यूनल ने आदेश पारित कर प्रदेश में पदोन्नति में दिए जा रहे मौजूदा आरक्षण पर रोक लगा दी है। उन्होंने बताया कि ट्रिब्यूनल के आदेश की सत्यापित प्रति प्रदेश प्रशासनिक ट्रिब्यूनल से प्राप्त कर ली है। इसी आदेश के आधार पर मुख्य सचिव के माध्यम से समस्त विभागाध्यक्षों को आगामी दिशानिर्देश जारी करने का अनुरोध किया है।
हताश थे कर्मचारी
उन्होंने बताया कि प्रदेश में पदोन्नतियों में दिए जा रहे आरक्षण से सामान्य व अन्य पिछड़ा वर्ग के अधिकारी व कर्मचारी हताश थे और इससे उनकी कार्यकुशलता भी प्रभावित हो रही है। सामान्य व अन्य पिछडा वर्ग के अधिकारियों व कर्मचारियों से बहुत कनिष्ठ कर्मचारी उनके ही वरिष्ठ अधिकारी बन रह हैं। इसी वजह से हिमाचल प्रदेश समान्य वर्ग कर्मचारी कल्याण महासंघ ने आरक्षण के विरोध में याचिका दायर की थी। पौने तीन लाख कर्मचारी सेवारत प्रदेश में पौने तीन लाख सरकारी कर्मचारी सेवारत हैं और इन कर्मचारियों में हर वर्ष
हजारों पदोन्नतियां हो रही हैं। प्रदेश में हर वर्ष होने वाले पदोन्नतियों में 15 फीसद अनुसूचित जाति और 7.50 फीसद अनुसूचित जनजाति के कर्मियों के लिए आरक्षण दिया जा रहा है।