शिमला में फिर से ग्रीन टैक्स लगाने की तैयारी
राजधानी आने वाले अन्य राज्यों के वाहनों से ग्रीन टैक्स अप्रैल से वसूलने की तैयारी फिर से शुरू हो गई है। प्रधान सचिव शहरी विकास विभाग प्रबोध सक्सेना ने बैठक बुलाई है। इसमें निगम की महापौर आयुक्त से लेकर अन्य अधिकारियों को बुलाया है। बैठक में तय किया जाना है कि कब से इसे शुरू किया जाना है।
रोहित नागपाल, शिमला
राजधानी शिमला आने वाले अन्य राज्यों के वाहनों से अप्रैल से ग्रीन टैक्स वसूलने की तैयारी फिर से शुरू हो गई है। प्रधान सचिव शहरी विकास विभाग प्रबोध सक्सेना ने इस संबंध में 17 जुलाई को बैठक बुलाई है। इसमें नगर निगम की महापौर कुसुम सदरेट व आयुक्त पंकज राय से लेकर अन्य अधिकारियों को बुलाया है। बैठक में तय किया जाना है कि कब से इसे शुरू किया जाना है। कहीं इसमें कानूनी पेंच तो नहीं हैं। इन सभी मुद्दों पर बैठक में फैसला लिया जाना है।
राज्य सरकार पहले ही वित्त विभाग से एक साल पहले इसकी मंजूरी ले चुकी है। नगर निगम के प्रस्ताव के मुताबिक छोटे वाहनों से 200 रुपये, जबकि बड़ी गाड़ियों से 300 रुपये तक शुल्क लिया जाना प्रस्तावित है। दोपहिया वाहनों का शुल्क 50 रुपये रखा गया है। शुल्क न देने पर 1500 रुपये जुर्माने का भी प्रावधान है। पूर्व सरकार के समय में भी इसे लागू किया था। हालांकि इसे बाद में एनएच की अनुमति के बगैर ही बैरियर लगाने के कारण हटाना पड़ा था। इसके बाद नगर निगम ने सभी विभागों से भी अनापत्ति पत्र प्राप्त कर लिया है। अब फिर से इसे लगाने की तैयारी चल रही है। लंबे समय से इस पर काम चल रहा था। अब आला अधिकारी के पास प्रस्तावित बैठक से फिर से इसके शुरू होने की उम्मीद बंधने लगी है।
शहर में बाहर का नंबर रखने वालों को ऐसे मिलेगी राहत
शहर में जिन लोगों के पास अन्य राज्यों के नंबर की गाड़ियां हैं, उन्हें पार्षदों से प्रमाणपत्र बनवाना होगा। इसके बाद इन्हें शुल्क से राहत दी जाएगी। ग्रीन फीस वसूलने के लिए इस बार नगर निगम प्रवेशद्वारों पर बैरियर नहीं लगाएगा। पिछली बार बैरियर के कारण फीस वसूली पर विवाद खड़ा हो गया था। निगम वर्ष 2015 से पहले भी यह शुल्क वसूलता था, लेकिन विवाद के बाद इसे बंद कर दिया गया था।
सैलानी ऑनलाइन भी कर सकेंगे ग्रीन फीस का भुगतान
अब सैलानी नगर निगम की मोबाइल एप से ग्रीन फीस दे सकेंगे। इसके अलावा पार्किग, होटल और रिज स्थित कैश काउंटर पर भी फीस देने की सुविधा रहेगी। ग्रीन फीस से नगर निगम को सालाना करीब 12 करोड़ रुपये की आय होना प्रस्तावित है। इससे शहर में विकास कार्यो के लिए बजट की कमी नहीं रहेगी। निगम प्रशासन जनता को सुविधाएं देने के लिए करोड़ों के प्रोजेक्ट तैयार कर सकेगा। फीस वसूली के शुरुआती तीन माह जुर्माने से राहत दे सकता है।