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दो दिन मेहमानबाजी के साथ देव पर्व देवाल्ढू संपन्न

चिढगांव तहसील के रोहल क्षेत्र में देवता साहिब पवासी का दो दिवसीय ऐतिहासिक देव पर्व देवाल्ढू हर्षोंल्लास के साथ मनाया गया।

By JagranEdited By: Published: Wed, 13 Feb 2019 05:16 PM (IST)Updated: Wed, 13 Feb 2019 05:16 PM (IST)
दो दिन मेहमानबाजी के साथ देव पर्व देवाल्ढू संपन्न
दो दिन मेहमानबाजी के साथ देव पर्व देवाल्ढू संपन्न

जितेंद्र मेहता, रोहड़ू

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चिड़गांव तहसील के रोहल क्षेत्र में देवता साहिब पवासी का दो दिवसीय ऐतिहासिक देव पर्व देवाल्ढू हर्षोल्लास से मनाया। क्षेत्र के पांच गांव मंजवाडी, जतवानी, चिचवाडी, गईचवाडी व थाना में दो दिन तक लोगों ने मेहमानों के साथ पारंपरिक खानपान व सांस्कृतिक गतिविधियों का खूब आनंद लिया। कुल देवता पवासी के ऐतिहासिक महत्व पर सदियों से मनाए जाने वाले इस पर्व को लेकर लोगों में भारी उत्साह रहा। स्थानीय लोगों व मेहमानों ने पर्व के पहले दिन कुल देवता के देवलोक से वापस पालकी स्थापित होने पर आशीर्वाद लिया।

देवाल्ढू पर्व मनाए जाने के साथ रोहल में दोस्ती निभाने की परंपरा अभी तक कायम है। परिवार के महिला व पुरुष सदस्य का अपने गांव में एक देवाल (दोस्त) बचपन से होता है। दोनों दोस्त एक-दूसरे को घर बुला कर मेहमानबाजी करते हैं। हालांकि अब मेहमानबाजी में शराब का सेवन जरूरी नहीं रहा।

रोहल गांव में कुल देवता पवासी की उत्पत्ति मानी जाती है। एक मान्यता के आधार पर देवता की पालकी की स्थापना एक तांबे की बनी पालकी में थी। स्थानीय बुजुर्गो का कहना है कि देवता पवासी सदियों से तांबे की पालकी में ही रहे, लेकिन बाद में देवता को बड़े रथ में स्थापित करने का निर्णय लिया, जिसे रोहल के मंजवाडी गांव में स्थित माता कोटी में पालकी में स्थापित किया। परंपरा के आधार पर कुल देवता एक रात यहां बिताते हैं। इस दिन को रोहल के लोग एक पर्व के रूप में मनाते हैं, जिसे देवाल्ढू के नाम से जाना जाता है।


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