एक हजार यज्ञ से अधिक फलदायी उत्पन्ना एकादशी
¨हदू धर्म में एकादशी का बहुत महत्व माना गया है और सभी में एकादश्
जागरण संवाददाता, शिमला : ¨हदू धर्म में एकादशी का बहुत महत्व माना गया है और सभी में एकादशी में उत्पन्ना एकादशी का सर्वाधिक महत्व है। इसी दिन भगवान विष्णु ने एकादशी को उत्पन्न किया था, जिस कारण इस एकादशी को उत्पन्ना एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस वर्ष उत्पन्ना एकादशी तीन दिसंबर को आ रही है।
अनंत पुण्यदायी यह एकादशी एक हजार यज्ञ के बराबर फल देने वाली है। इसमें दशमी को सायं काल अन्न-जल त्याग कर उत्पन्ना एकादशी का व्रत किया जाता है। एकादशी के दिन प्रात: चार बजे उठकर सबसे पहले व्रत का संकल्प करें। रात्रि को भोजन करने वाले को उपवास का आधा फल मिलता है, दिन में एक बार भोजन करने वाले को भी आधा ही फल प्राप्त होता है, जबकि निर्जला व्रत रखने वाले का महात्म्य बहुत अधिक है। सबसे पहले हेमंत ऋतु में मार्ग शीर्ष कृष्ण एकादशी से इस व्रत को शुरू किया जाता है।
माना जाता है कि शखोद्धार तीर्थ में स्नान करके भगवान के दर्शन करने से प्राप्त फल भी एकादशी व्रत के 16वें भाग के समान नहीं। अश्वमेध यज्ञ करने से सौ गुणा अधिक और एक लाख तपस्वियों को 60 वर्ष तक भोजन कराने से जो फल मिलता होता है, वही फल उत्पन्ना एकादशी के व्रत से प्राप्त होता है।
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भगवान विष्णु का पूजन :
वैसे तो प्रत्येक एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित है। उत्पन्ना एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना का विशेष महत्व है। इसमें भगवान विष्णु की विधिवत पूजा कर, उन्हें केले का फल अर्पित करना चाहिए।