शिक्षा नियामक आयोग के खिलाफ अब नियमित जांच
निजी शिक्षण संस्थान नियामक आयोग के अध्यक्ष केके कटोच के खिलाफ सरकार ने अब नियमित जांच बैठा दी है। सूत्रों के अनुसार वीरवार को सरकार ने प्रधान सचिव विधि को जांच अधिकारी लगाया है।
राज्य ब्यूरो, शिमला : निजी शिक्षण संस्थान नियामक आयोग के अध्यक्ष केके कटोच के खिलाफ सरकार ने नियमित जांच बैठा दी है। सूत्रों के अनुसार वीरवार को सरकार ने प्रधान सचिव विधि को जांच अधिकारी लगाया है। वहीं शिक्षा विभाग के संयुक्त निदेशक हितेश आजाद प्रजेंटिंग ऑफिसर होंगे। इस संबंध में आदेश जारी किए गए हैं। अब कटोच दागी अधिकारी की सूची (ओडीआइ) में भी शामिल हो सकते हैं। जांच में अगर आरोप सही पाए गए तो वह न केवल चार्जशीट होंगे बल्कि निलंबित भी हो सकेंगे।
विभागीय जांच में उन पर लगे आरोप सही साबित हो चुके हैं। यह जांच प्रारंभिक शिक्षा के संयुक्त निदेशक हितेश आजाद ने की थी। इसके बाद भी कटोच ने कर्मचारियों का उत्पीड़न जारी रखा। कई को नौकरी से निकला तो कुछ को चार्जशीट किया। सरकार ने उच्चतर शिक्षा निदेशक डॉ. अमरजीत सिंह को अनुशासनात्मक अथॉरिटी घोषित किया। उन्होंने निलंबित कर्मचारियों को बहाल किया, लेकिन कटोच ने सरकार के आदेश मानने से ही इन्कार कर दिया। पद के दुरुपयोग का है आरोप
आरोप है कि आयोग अध्यक्ष ने अपने पद का दुरुपयोग किया है। सरकारी वाहनों का भी दुरुपयोग हुआ है। कार्यालय की फर्नीचर जैसी संपत्ति को अपने आवास में पहुंचाया है। जांच रिपोर्ट के आधार पर प्रधान सचिव शिक्षा केके पंत ने कटोच को मेमोरेंडम जारी दस दिन के अंदर जवाब मांगा था। इसमें कहा था कि क्यों न आपके खिलाफ अनुशासनात्मक प्रोसिडिग (कार्यवाही) आरंभ की जाए? आयोग के कर्मचारियों ने अध्यक्ष पर दुर्व्यवहार करने, सरकारी वाहनों सहित पद के दुरुपयोग के आरोप लगाए गए थे। सरकार ने पिछले साल 19 सितंबर और इस वर्ष 20 जुलाई को आरोपों की जांच करने के आदेश जारी किए। विवादों में रहे हैं कटोच
कटोच पहले पालमपुर कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति भी रहे हैं। तब उनका कार्यकाल विवादों से भरा रहा है। उन पर वित्तीय अनियमितताएं बरतने, यौन उत्पीड़न जैसे गंभीर आरोप लग चुके हैं। अभी इसमें उन्हें क्लीन चिट नहीं मिली है कि वह एक और विवाद में फंस गए हैं। हाल ही में छात्र संगठन एबीवीपी ने उनके कार्यालय का घेराव किया। आरोप है कि अध्यक्ष ने मीडिया कर्मी के साथ भी दुर्व्यवहार किया है। इसकी शिकायत शिक्षा मंत्री से लेकर मुख्यमंत्री तक हुई है।