सेवानिवृत्त प्रधानाचार्यो को भी दे दी नियमित नियुक्ति
सरकार ने दस साल बाद डीपीसी की बैठक की। इसमें सेवानिवृत्त प्रधनाचार्यों को भी नियमित नियुक्ति दे दी है
राज्य ब्यूरो, शिमला: दस साल इंतजार करने के बाद वर्ष 2008 के 836 तदर्थ प्रधानाचार्यो को नियमित नियुक्ति दी गई है। हैरत यह है कि इनमें से करीब 75 फीसद से अधिक प्रधानाचार्य सेवानिवृत्त हो गए हैं। वर्ष 2008 के बाद स्कूल के प्रधानाचार्यो की नियमित नियुक्ति के लिए विभागीय पदोन्नति समिति (डीपीसी) की बैठक नहीं हुई थी। सरकार ने अब दस साल बाद डीपीसी की बैठक की है। वर्ष 2008 के बाद से तदर्थ पदोन्नति के आधार पर करीब 2500 प्रधानाचार्य तैनात किए गए।
इसमें से अधिकतर सेवानिवृत्त हो चुके हैं। शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज के निर्देश के बाद तदर्थ आधार पर पदोन्नत प्रधानाचार्यो के नियमितीकरण के लिए 2008 से वर्षवार डीपीसी की बैठक आयोजित करने का निर्णय लिया गया। इसके तहत पहली बैठक गत दिनों हुई। इसमें वर्ष 2008 में तदर्थ आधार पर प्रधानाचार्य पदोन्नत हुए 836 प्रवक्ताओं व मुख्याध्यापकों को नियमित प्रधानाचार्य पदोन्नत किया गया। सूत्रों के अनुसार वर्ष 2008 के दौरान एक्स सर्विसमैन की वरिष्ठता देने का मामला सुप्रीम कोर्ट गया था। इसके बाद से प्रदेश सरकार प्रधानाचार्यो की नियुक्ति के लिए डीपीसी की बैठक नहीं कर रही थी।
प्रवक्ता व मुख्याध्यापक को पदोन्नति पर तदर्थ के आधार पर प्रधानाचार्य के पद पर नियुक्ति देकर काम चलाया जा रहा था। सभी लाभ मिलेंगे शिक्षा विभाग में वर्ष 2008 के बाद पदोन्नत हुए प्रधानाचार्य डीपीसी की बैठक न होने के कारण तदर्थ आधार पर कार्य कर रहे थे। नियमित प्रधानाचार्य न होने के कारण इन्हें वित्तीय लाभों से भी वंचित रहना पड़ रहा था। अब सेवानिवृत्त हो चुके तदर्थ प्रधानाचार्यो को भी प्रधानाचार्यो को देय पदोन्नति से वित्तीय लाभ मिलेंगे।
'तदर्थ आधार पर पदोन्नत सभी प्रधानाचार्य नियमित होंगे सरकार चरणबद्ध तरीके से वर्ष 2018 तक तदर्थ आधार पर पदोन्नत सभी प्रधानाचार्यो को नियमित करेगी। इसके लिए अब वर्षवार डीपीसी की बैठक होगी।' सुरेश भारद्वाज, शिक्षा मंत्री