घोटाले के मुख्य आरोपित को जारी होगा रेड कॉर्नर नोटिस
छह हजार करोड़ के घोटाले के मुख्य आरोपित एवं इंडियन टेक्नोमेक कंपनी के प्रमुख कर्ताधर्ता दिल्ली निवासी राकेश कुमार शर्मा को अब रेड कॉर्नर नोटिस जारी होगा। इस संबंध में हिमाचल प्रदेश की स्टेट सीआइडी ने कोर्ट वारंट अपराध से जुड़े तमाम दस्तावेज सीबीआइ को भेज दिए हैं। अब सीबीआइ अपने इंटरपोल विग के माध्यम से यह नोटिस थमाएगी। अभी आरोपित दुबई में छिपा हुआ है। यह हीरे का कारोबारी है। घोटाले के पैसों से कई देशों की सैर करता रहा है। सीआइडी के हाथ नहीं आ पाया है। अब कानूनी शिकंजा और कसेगा। नाहन की कोर्ट से भगौड़ा घोषित हो चुका है। वह बिजली बिलों के गड़बड़झाले में भी आरोपित है।
राज्य ब्यूरो, शिमला : छह हजार करोड़ रुपये के कर कर्ज घोटाले के मुख्य आरोपित एवं इंडियन टेक्नोमेक कंपनी के प्रमुख कर्ताधर्ता नई दिल्ली निवासी राकेश कुमार शर्मा को अब रेड कॉर्नर नोटिस जारी होगा। इस संबंध में हिमाचल प्रदेश की सीआइडी ने कोर्ट वारंट व अपराध से जुड़े तमाम दस्तावेज सीबीआइ को भेज दिए हैं। अब सीबीआइ अपने इंटरपोल विग के माध्यम से यह नोटिस थमाएगी।
आरोपित दुबई में छिपा हुआ है। वह हीरे का कारोबारी है जो घोटाले के पैसों से कई देशों की सैर करता रहा है। वह सीआइडी के हाथ नहीं आ पाया है मगर अब कानूनी शिकंजा और कसेगा। नाहन की कोर्ट से वह भगोड़ा घोषित हो चुका है। वह बिजली बिलों के गड़बड़झाले में भी आरोपित है। दोनों केसों में कोर्ट में तीन अलग-अलग चार्जशीट दाखिल की गई हैं। भगोड़ा घोषित होने से इन केसों में सुनवाई हो सकेगी।
सिरमौर जिले के पांवटा साहिब में स्थित इंडियन टेक्नोमेक कंपनी के कर्ताधर्ताओं ने 17 बैंकों के करीब ढाई हजार रुपये डकारे है। पहले यह राशि 1600 करोड़ रुपये थी। जांच एजेंसी को बैंकों से मिली सूचना के मुताबिक ब्याज समेत यह पैसा करीब 2500 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। वहीं, 25 जनवरी 2013 तक बैंकों का बकाया 1396 करोड़ रुपये था। कर्ज 1622 करोड़ रुपये लिया गया था। इसमें से केवल 226 करोड़ रुपये का ही भुगतान हुआ।
उधर, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बैंक से धोखाधड़ी मामले में इंडियन टेक्नोमेक कंपनी, आरोपित राकेश कुमार शर्मा व विनय कुमार शर्मा की 288 करोड़ रुपये की संपत्ति को अचैट किया है। ईडी मनी लॉंड्रिंग एक्ट के तहत कार्रवाई कर रही है। आबकारी एवं कराधान विभाग की इकोनॉमिक इंटेलीजेंस यूनिट ने वर्ष 2014 में कंपनी की गड़बड़ियों को पकड़ा था। तीन वर्षो तक मामला हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट में चलता रहा। पिछले दो वर्षो से हिमाचल हाईकोर्ट में नीलामी का केस चल रहा है।